मौर्य वंश का शासन भारत में 137 वर्षों (321-187) तक रहा। इन वर्षों में कई शासक हए, जिनमें निम्न तीन सम्राटों का शासनकाल उल्लेखनीय रहा
| पहला | पशुबलि की निंदा | 
| दूसरा | मनुष्य एवं पशुओं दोनों की चिकित्सा व्यवस्था का उल्लेख, चोल, पांडय, सतियपुत्र एवं केरल पुत्र की चर्चा | | 
| तीसरा | राजकीय अधिकारीयों (युक्तियुक्त और प्रादेशिक) को हर 5वे वर्ष द्वारा करने का आदेश | | 
| चौथा | भेरीघोष की जगह धम्म घोष की घोषणा | | 
| पांचवाँ | धम्म महामात्रों की नियुक्ति के विषय में जानकारी | | 
| छठा | धम्म महामात्र किसी भी समय राजा के पास सूचना ला सकता है, प्रतिवेदक की चर्चा | | 
| सांतवाँ | सभी संप्रदायों के लिए सहिष्णुता की बात | | 
| आठवाँ | सम्राट की धर्म यात्रा का उल्लेख, बोधिवृक्ष के भ्रमण का उल्लेख | | 
| नौवाँ | विभिन्न प्रकार के समारोहों की निंदा | | 
| दसवाँ | ख्याति एवं गौरव की निंदा तथा धम्म नीति की श्रेष्ठता पर बल | | 
| ग्यारहवाँ | धम्म नीति की व्याख्या | | 
| बारहवाँ | सर्वधर्म समभाव एवं स्त्री महामात्र की चर्चा | | 
| तेरहवाँ | कलिंग के युद्ध का वर्णन, पड़ोसी राज्यों का वर्णन, अपराध करने वाले आटविक जातियों का उल्लेख | | 
| चौदहवाँ | इसमें अशोक द्वारा जनता को धार्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी गयी है ! | 
| 1 | पण्याध्यक्ष | वाणिज्य विभाग का अध्यक्ष | 
| 2 | सुराध्यक्ष | आबकारी विभाग का अध्यक्ष | 
| 3 | सूनाध्यक्ष | बूचड़खाने का अध्यक्ष | 
| 4 | गणिकाध्यक्ष | गणिकाओं का अध्यक्ष | 
| 5 | सीताध्यक्ष | राजकीय कृषि विभाग का अध्यक्ष | 
| 6 | अकराध्यक्ष | खान विभाग का अध्यक्ष | 
| 7 | कोस्टगाराध्यक्ष | कोस्टगार का अध्यक्ष | 
| 8 | कुप्याध्यक्ष | वनों का अध्यक्ष | 
| 9 | आयुधगाराध्यक्ष | आयुधगार का अध्यक्ष | 
| 10 | शुल्काध्यक्ष | व्यापार कर वसूलने वालों का अध्यक्ष | 
| 11 | सूत्राध्यक्ष | कताई बुनाई विभाग का अध्यक्ष | 
| 12 | लोहाध्यक्ष | धातु विभाग का अध्यक्ष | 
| 13 | लक्षणाध्यक्ष | छापेखाने का अध्यक्ष, राज्य में मुद्रा जारी करने का प्रमुख अधिकारी | 
| 14 | गो – अध्यक्ष | पशुधन विभाग का अध्यक्ष | 
| 15 | विविताध्यक्ष | चरागाहों का अध्यक्ष | इसके अन्य कार्य कुओं का निर्माण, जलाशय का निर्माण जंगल से गुजरने वाले लोगों की रक्षा आदि थी | 
| 16 | मुद्राध्यक्ष | पासपोर्ट विभाग का अध्यक्ष | 
| 17 | नवाध्यक्ष | जहाजरानी विभाग का अध्यक्ष | 
| 18 | पतनाध्यक्ष | बंदरगाहों का अध्यक्ष | 
| 19 | संस्थाध्यक्ष | व्यापारिक मार्गो का अध्यक्ष | 
| 20 | देवताध्यक्ष | धार्मिक संस्थाओं का अध्यक्ष | 
| 21 | पौताध्यक्ष | माप तोल का अध्यक्ष | 
| 22 | मानाध्यक्ष | दूरी और समय से संबंधित साधनों को नियंत्रित करने वाला अध्यक्ष | 
| 23 | अश्वाध्यक्ष | घोड़ों का अध्यक्ष | 
| 24 | हस्त्याध्यक्ष | हाथियों का अध्यक्ष | 
| 25 | सुवर्णाध्यक्ष | सोने का अध्यक्ष | 
| 26 | अक्षपातलाध्यक्ष | महालेखाकार | 
| 1 | प्रधानमंत्री और पुरोहित | पुरोहित प्रमुख धर्माधिकारी होते थे | चंद्रगुप्त मौर्य के समय में यह दोनों विभाग कौटिल्य के अधीन थे | बिंदुसार के समय में विष्णुगुप्त कुछ समय तक उसका प्रधानमंत्री था उसके बाद खल्लाटक को प्रधानमंत्री बनाया गया | अशोक का प्रधानमंत्री राधागुप्त था | | 
| 2 | समाहर्ता | राजस्व विभाग का प्रधान अधिकारी | | 
| 3 | सन्निधाता | राजकीय कोषाध्यक्ष | | 
| 4 | सेनापति | युद्ध विभाग का मंत्री | | 
| 5 | युवराज | राजा का उत्तराधिकारी | | 
| 6 | प्रदेष्टा | फौजदारी (कंटक शोधन) न्यायालय के न्यायाधीश | | 
| 7 | नायक | सेना का संचालक अर्थात सेना का नेतृत्व | | 
| 8 | कर्मांतिक | देश के उद्योग धंधों का प्रधान निरीक्षक | | 
| 9 | व्यवहारिक | दीवानी (धर्मस्थीय) न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश | | 
| 10 | मंत्री परिषदाध्यक्ष | मंत्री परिषद का अध्यक्ष | | 
| 11 | दंडपाल | सेना की सामग्रियों को जुटाने वाला प्रधान अधिकारी | | 
| 12 | अंतपाल | सीमावर्ती दुर्गों का रक्षक | | 
| 13 | दुर्गापाल | देश के भीतरी दुर्गों का प्रबंधक | | 
| 14 | नागरक | नगर का प्रमुख अधिकारी | | 
| 15 | प्रशास्ता | राजकीय कागजातों को सुरक्षित रखने वाला तथा राज्य की आज्ञाओं को लिपिबद्ध करने वाला प्रधान अधिकारी | | 
| 16 | दौबारिक | राजमहलों की देखरेख करने वाला प्रधान अधिकारी | | 
| 17 | अंतवरशिक | सम्राट की अंगरक्षक सेना का प्रधान अधिकारी | | 
| 18 | आटविक | वन विभाग का प्रधान अधिकारी | | 
अशोक द्वारा भेजे गए बौद्ध मिशन
| धर्म प्रचारक | प्रचार का क्षेत्र | 
| महेंद्र और संघमित्र | श्रीलंका | 
| मज़्झंतिक | कश्मीर – गांधार | 
| सोन / उत्तरा | सुवर्ण भूमि | 
| महाधर्म रक्षित | महाराष्ट्र | 
| महादेव | मैसूर | 
| महारक्षित | यवनराज | 
| रक्षित | उत्तरी किनार | 
| धर्मरक्षित | पश्चिमी भारत | 
| शिल्प कला समिति | औद्योगिक कलाओं के निरीक्षण हेतु गठित यह समिति कलाकारों, कारीगरों एवं श्रमिकों के परिश्रमिक एवं सुरक्षा की व्यवस्था देखती थी। | 
| वैदेशिक समिति | वैदेशिक समिति के ऊपर विदेशियों की निगरानी, उनके आवागमन, उनके निवास स्थान एवं उनकी चिकित्सा तथा सुरक्षा का प्रबंध करना। | 
| जनसंख्या समिति | जन्म-मरण का लेखा-जोखा, कराधान एवं जनसंख्या में वृद्धि एवं कमी मापने के लिए जन्म-मरण का रजिस्ट्रेशन करवाना इस समिति का प्रमुख कार्य था। | 
| वाणिज्य व्यवसाय समिति | यह समिति व्यापारियों एवं वणिकों के निरीक्षण एवं नियंत्रण के लिए गठित की गई थी। | 
| वस्तु निरीक्षक समिति | वस्तुओं के उत्पादन तथा उद्योगपतियों द्वारा औद्योगिक उत्पादन में किये जा रहे मिलावट का निरीक्षण करना इस समिति का मुख्य उद्देश्य है। | 
| कर समिति | यह समिति बिक्री की वस्तुओं पर कर वसूलती थी। | 
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