नोम चोम्स्की का भाषा सिद्धान्त Chomsky Theory चोम्स्की अमेरिका के मनोवैज्ञानिक थे। जिन्होंने मनोविज्ञान से संबंधित अनेकों विचारों एवं तथ्यों का प्रतिपादन किया। जिनमे से उनकी भाषा पर की गई टिप्पणी विश्व-विख्यात हैं।

चोम्स्की को भाषा विकास के जनक (Father of Language Development) के रूप में भी देखा जाता हैं और उन्हें आधुनिक भाषा विकास का जनक भी कहा जाता हैं। जिस कारण इन्हें भाषाविद या भाषा मनोवैज्ञानिक के रूप में भी देखा जाता हैं। यह एक व्यवहारवादी विचारक थे। चोम्स्की के अनुसार बालक में व्याकरण एवं भाषा को सीखने की क्षमता जन्मजात होती हैं।

चोम्स्की के इस सिद्धांत को मनोभाषिक सिद्धान्त (Psycho Linguistics Theory) के नाम से भी जाना जाता हैं। तो दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से विस्तृत रूप से जानिंगे कि चोम्स्की का भाषा विकास सिद्धांत क्या हैं? Chomsky Theory in Hindi

चोम्स्की के भाषा विकास का सिद्धांत |Chomsky Theory in Hindi

chomsky theory kya hain

नोम चोम्स्की द्वारा इस सिद्धांत (Chomsky Theory) का प्रतिपादन वर्ष 1959 में किया गया था। उनके इस सिद्धांत के अनुसार वह मानते हैं कि बालक में भाषा को सीखने की क्षमता जन्मजात होती हैं, अर्थात भाषा अर्जन करने की क्षमता बचपन से ही छात्र में निहित होती हैं।

भाषा को अर्जन करने की ये क्षमता कुछ निश्चित समय तक होती है। बालक की भाषा अधिग्रहण क्षमता जो होती हैं वह शुरुआती 5 वर्ष तक प्रभावशील होती हैं। उसके पश्चात हमे किसी भाषा को सीखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं। क्योंकि उसके पश्चात भाषा को सीखने की क्षमता कम होते रहती हैं।

चोम्स्की के अनुसार बालक में भाषा अधिग्रहण यंत्र (LAD) होता हैं। जिसकी सहायता से वह किसी भाषा को तीव्र गति से सीख पाते हैं। यह यंत्र हमारे दिमाग का एक भाग होता हैं, जिसे निकाला या देखा नही जा सकता। यह प्राकृतिक क्षमता की देन होती हैं, सामान्य शब्दों में कहे तो इसे God Gift के रूप में देखा जा सकता हैं।

चोम्स्की मानते हैं कि बालक में भाषा या व्याकरण को सीखने की क्षमता जन्मजात होती हैं, परंतु उस भाषा को सीखने की क्षमता को क्रियान्वयन रूप वातावरण द्वारा दिया जाता हैं। अर्थात भाषा को सीखने हेतु वातावरण और संस्कृति का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं।

चोम्स्की सिद्धान्त की विशेषता |Features of Chomsky Theory

● जन्मजात क्षमता – चोम्स्की के अनुसार बालक बचपन से ही भाषा और व्याकरण को सीखने की क्षमता विकसित करके लाता हैं। यह सहमत अनुवांशिक और सार्वभौमिक होती हैं।

● पर्यावरण की महत्ता – चोम्स्की मानते हैं कि चाहें भाषा सीखने की क्षमता जन्मजात होती हैं, परंतु उसके सिद्धांतो और तत्वों को सीखने एवं उसको विकसित रूप प्रदान करने हेतु पर्यावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। यह पर्यावरण पर निर्भर करता हैं कि हमारी भाषा का विकास किस दिशा की ओर होता हैं।

● भाषाओं में संबंध – चोम्स्की मानते हैं कि दुनिया की जितनी भी भाषाएं हैं, उनके तत्वों में एक-दूसरे के साथ संबंध होता हैं। उनके अनुसार किसी भी प्रकार की भाषा को संज्ञा,क्रिया और विशेषण के आधार पर विभक्त किया जा सकता हैं।

● भाषा अधिग्रहण यंत्र (LAD) – चोम्स्की के अनुसार दिमाग का एक भाग (Language Acquisition Device) LAD का होता हैं, जो भाषा की क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता हैं। भाषा सीखने की यह क्षमता शुरुआती 5 वर्षों में अधिक होती हैं और इसके पश्चात इसकी प्रभावशीलता में कमी आने लगती हैं।

● सार्वभौमिक व्याकरण (Universal Grammar) – चोम्स्की के अनुसार भाषा के सीखने के साथ-साथ व्याकरण को सीखने एवं उसमें शुद्धता की मात्रा भी बढ़ते रहती हैं। इनके अनुसार भाषा को सीखना और व्याकरण को सीखने की प्रक्रिया सार्वभौमिक (Universal) हैं।

चोम्स्की के अनुसार छात्र भाषा को अधिग्रहण करने हेतु दो स्तरों का उपयोग करते हैं- सतही संरचना और गहरी संरचना।

● सतही संरचना (Surface Level) – चोम्स्की के अनुसार इस संरचना में छात्र सिर्फ भाषा की ध्वनियों एवं शब्दों का ज्ञान प्राप्त करते हैं परंतु इसके अर्थ को समझ पाने में वह असमर्थ होते हैं। उस शब्द के अर्थ को विस्तृत रूप से समझाने में असफल रहते हैं। जैसे- खाना,पीना, मम्मी,पापा आदि।

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● गहरी संरचना (Deep Level) – इसमें बालक शब्दों एवं ध्वनियों के अर्थ को समझने लगते हैं और उसकी विस्तृत व्याख्या करने में समर्थ हो जाते हैं। इसके अंतर्गत छात्र किसी वस्तु को परिभाषित करने के लिए उत्तम शब्दों का चयन कर पाते हैं। यह उनके भाषायी विकास का परिपक्व रूप होता हैं।

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संक्षेप में |Conclusion

नोम चोम्स्की का भाषा सिद्धान्त (Noam Chomsky Theory of Language) भाषाओं के विकास की प्रक्रिया को समझाने वाला एक सिद्धांत हैं। जो भाषा के विकास एवं उसको सीखने की क्षमता के संबंध में क्रमबद्ध विवरण करने का कार्य करता हैं।

चोम्स्की के अनुसार बालक में भाषा को सीखने की क्षमता जन्मजात होती हैं। परंतु उसको सीखने या उसका विकास करने का कार्य समाज द्वारा होता हैं। छात्रों के भाषा को सीखने में भाषा अधिग्रहण यंत्र (LAD) का महत्वपूर्ण योगदान रहता हैं। जो प्रथम 5 वर्षों में अधिक क्रियाशील रहता हैं।

तो दोस्तों आज आपने जाना कि चोम्स्की का भाषा सिद्धान्त (Chomsky Theory in Hindi) क्या हैं? अगर आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने अन्य मित्रों के साथ भी अवश्य शेयर करें।

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