आज से 13 साल पहले 2009 में पीसीएस पद पर रहते हुए रिंकू राही ने करोड़ो रुपये की छात्रवृत्ति घोटाले का पर्दाफाश किया था। इससे नाराज माफियाओं ने रिंकू को 7 गोलियां मारी थी। जिंदगी और मौत से जूझते हुए उनकी जिंदगी तो बच गई लेकिन एक आंख की रोशनी चली गई और एक कान काम नहीं करता है। वहीं एक गोली अभी भी सिर में फंसी हुई है। उन्होंने कोचिंग देकर 3 साल में 300 स्टूडेंट्स को सरकारी नौकरी निकालने में मदद की। अब यूपीएससी की परीक्षा में वह आईएएस के तौर पर चयनित हुए हैं|
आर्थिक तंगी के कारण 12वीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रिंकू राही ने खुद को इस काबिल बनाया कि स्कॉलरशिप लेकर बीटेक की पढ़ाई की। मूलरूप से अलीगढ़ के रहने वाले रिंकू राही साल 2008 में पीसीएस में चयन होने के बाद मुजफ्फरनगर में समाज कल्याण अधिकारी बने थे। इस दौरान उन्होंने 2009 में विभाग में चल रहे घोटालों को उजागर किया था।
करीब 100 करोड़ रुपये के घोटाले में फंसे घोटालेबाजों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलवाई थीं। जिससे उनकी एक आंख चली गई थी। कई जिलों में रहने के बाद साल 2019 से वह हापुड़ स्थित राजकीय आईएएस पीसीएस निःशुल्क कोचिंग सेंटर के प्रभारी के रूप में कार्यरत हैं। पिछले 3 साल में करीब 300 स्टूडेंट्स को सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कराकर अफसर बना चुके हैं। इस बार यूपीएससी-2021 की परीक्षा में 683वीं रैंक हासिल कर उन्होंने खुद भी सिविल सेवा में जाने का मार्ग प्रशस्त कर लिया है।
रिंकू राही ने एनबीटी को बताया कि उन्होंने बच्चों को शत प्रतिशत सरकारी नौकरी में चयन के लिए 20-20 घंटे तक पढ़ाई करवाई। उसी दौरान बच्चों की जिद पर उन्होंने खुद भी आईएएस की तैयारी की और पहली बार में ही परीक्षा पास कर ली। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य आज भी बच्चों को सफल बनाना है।
रिंकू राही की एक आंख में रोशनी नहीं है और एक कान भी सही नहीं है। इसके बावजूद उन्होंने अपने हाथों को मजबूत करने और यूपीएससी परीक्षा को पास करने का दृढ़ संकल्प लिया और आज उसको हासिल किया। उन्होंने आखिरकार 683वीं रैंक हासिल कर एक मिसाल कायम कर दी। यूपीएससी ने कुछ विशेष श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए आयु में छूट दी थी, जिससे राही को मदद मिली
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