जिला पानीपत
- पानीपत की स्थिति – यह हरियाणा के मध्य पूर्व भाग पानीपत की स्थापना
- 1 नवम्बर, 1989 (पानीपत 31 अक्टूबर 1989 तक के बीच स्थित है। करनाल जिले का भाग था)
- पानीपत का मुख्यालय- भिवानी में ही स्थित है।
- पानीपत का क्षेत्रफल – 1268 वर्ग किलोमीटर
- पानीपत का उपमंडल पानीपत और समालखा पानीपत के खण्ड- पानीपत, इसराना, मडलौडा, समालखा एवं बपौली, सनौली
- पानीपत की तहसील – पानीपत, समालखा, इसराना, बपौली
- पानीपत की उप-तहसील – मडलौडा
- पानीपत की कुल जनसंख्या 12,02,811 (2011) की जनगणना के अनुसार
- पानीपत की साक्षरता दर 77.5 प्रतिशत (2011) की जनगणना के अनुसार
- पानीपत का लिंग अनुपात 861/1000
- पानीपत का जनसंख्या घनत्व 949 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
- प्रमुख नदी यमुना (जिले के पूर्व में बहती है) प्रमुख खनिज- गंधक
- प्रमुख फसलें गेहूं, चावल, गन्ना व सब्जियां
पानीपत के प्राचीन / उपनाम नाम
- पानप्रस्थ
- बुनकरों का शहर
- पेट्रोकेमिकल हब
- युद्धों का अखाड़ा
इतिहास
- हरियाणा राज्य के पानीपत जिले की स्थापना 1 नवंबर 1989 को करनाल जिले से हुई थी। 24 जुलाई 1991 को इसे फिर से करनाल जिले में मिला दिया गया अथवा 1 जनवरी 1992 को, यह फिर से एक अलग जिला बन गया। किंवदंती के अनुसार, पानीपत महाभारत के समय में पांडव भाइयों द्वारा स्थापित पांच शहरों (प्रस्थ) में से एक था इसका ऐतिहासिक नाम (पाण्डवप्रस्थ) पांडवों का शहर था ।
- हरियाणा के मध्य पूर्व में पानीपत जिला स्थित है। इसके पूर्व में यू.पी., उत्तर में करनाल जिला, पश्चिम में जींद जिला तथा दक्षिण में सोनीपत जिला स्थित है। हैंडलूम उद्योग में विश्व मानचित्र पर नाम कमाने वाला हरियाणा का पहला जिला पानीपत भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। महाभारत युद्ध के समय जिन गांवों को पांडवों ने दुर्योधन से मांगा था, उनमें “पानप्रस्थ” भी शामिल था। बाद में इसका नाम बदलकर पानीपत रख दिया गया।
- पानीपत जिले की जिन तीन लड़ाईयो का ऐतिहासिक महत्व है, वह है पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 को दिल्ली के अफगान सुल्तान इब्राहिम लोधी और तुर्क मंगोल सरदार बाबर के बीच लड़ी गई थी, जिसने बाद में उत्तरी भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल शासन की स्थापना की। बाबर के बल ने इब्राहिम की (एक लाख) से अधिक सैनिकों की बहुत बड़ी ताकत को हराया। पानीपत की इस पहली लड़ाई ने दिल्ली में बाहुल लोधी द्वारा स्थापित ‘लोदी नियम’ को समाप्त कर दिया।
- पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवंबर, 1556 को दिल्ली के एक हिंदू राजा अकबर और हेम चंद्र विक्रमादित्य की सेनाओं के बीच लड़ी गई थी। हेमचंद्र, जिन्होंने आगरा और दिल्ली जैसे राज्यों पर कब्जा कर लिया था और अकबर की सेना को हराकर 7 अक्टूबर 1556को दिल्ली के पुराण किला में राज्याभिषेक के बाद खुद को स्वतंत्र राजा घोषित किया था, एक बड़ी सेना थी, और शुरू में उनकी सेना जीत रही थी, लेकिन अचानक उनकी आंख में तीर लगने से वह बेहोश हो गया। हाथी की पीठ पर उसके हावड़ा में न देखने पर उसकी सेना भाग गई। मृत हेमू को अकबर के शिविर में ले जाया गया, जहां बैरम खान के आदेश पर उन्हें दिल्ली दरवाजा के बाहर लटका कर जान से मार दिया गया था, राजा हेमू की शहादत का स्थान अब पानीपत में एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है।
- पानीपत की तीसरी लड़ाई 14 जनवरी 1761 को मराठा साम्राज्य और अफगान और बलूच आक्रमणकारियों के बीच लड़ा गया था। मराठा साम्राज्य का नेतृत्व सदाशिवराव भाऊ पेशवा ने दत्ताजी शिंदे दत्ताजी के साथ किया था और अफ़गानों का नेतृत्व अहमदशाह अब्दाली ने किया था। अफगानों की कुल संख्या 110,000 सैनिकों की थी, और मराठों के पास 75,000 सैनिक और 100,000 तीर्थयात्री थे। उस समय हिंदुस्तान (भारत और पाकिस्तान अलग नहीं हुए थे) के अन्य साम्राज्यों के असहयोग के कारण मराठा सैनिकों को भोजन नहीं मिल पा रहा था और इसके परिणामस्वरूप जीवित रहने के लिए युद्ध के मैदान में मृतकों को खाना पड़ा। दोनों पक्षों ने अपने दिल की लड़ाई लड़ी। अफगानों को भोजन की आपूर्ति के लिए नजीब-उद-दौला और शुजा-उद-दौला द्वारा समर्थित किया गया था, और मराठा तीर्थयात्रियों के साथ थे, जो लड़ने में असमर्थ थे, जिनमें महिला तीर्थयात्री भी शामिल थे। 14 जनवरी को, अफगानों की जीत के परिणामस्वरूप 100,000 से अधिक सैनिकों की मौत हो गई। हालांकि, जीत के बाद, एक शत्रुतापूर्ण उत्तर भारत का सामना करने वाले अफगान हताहतों से बचने के लिए अफगानिस्तान वापस चले गए। इस लड़ाई ने ब्रिटिश साम्राज्य के लिए भारत में कंपनी शासन स्थापित करने के लिए एक अग्रदूत के रूप में कार्य किया क्योंकि उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भारतीय रियासतों में से अधिकांश को कमजोर कर दिया गया था और इस प्रकार भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को मजबूती मिली।
- सूफी कवि मोहम्मद अफजल (मृत्यु 1623) और उर्दू के प्रसिद्ध शायर अल्ताफ हुसैन हाली यही जन्मे थे संत बू-अली शाह कलंदर (सन 1224-1345) भी पानीपत में ही पैदा हुए थे। पानीपत के क्रांतिकारी मौलवी कलंदर ने सन 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का झंडा बुलंद किया और फांसी पर चढ़ गए।
- पृथक जिला बनने से पहले पानीपत जिला करनाल जिले का भाग था। स्वतंत्र जिले के रूप में पानीपत का गठन 1 नवंबर 1989 को हुआ था। पानीपत जिले की सीमा तीनों ओर से हरियाणा के अन्य जिलों से घिरी हुई है। तो पूर्व दिशा में यमुना पार उत्तर प्रदेश के साथ सटी हुई है। पानीपत को ‘बुनकर नगरी’ भी कहा जाता है। फौज के लिए बनाए जाने वाले कंबल भी पानीपत जिले में बनते हैं। पानीपत रिफाइनरी नेशनल फर्टिलाइजर्स और थर्मल पावर स्टेशन पानीपत के विकास की मुंह बोलती तस्वीरें हैं।
प्रमुख व्यक्ति
- राज तिलक (अभिनय, निर्माता)
- सत्येन कप्पू (चरित्र अभिनय)
- मोहित अग्रवाल (अभिनय)
- नीरज चोपड़ा भाला फेंक के खिलाड़ी
- अल्ताफ हुसैन हाली – पानीपत के कवि (ये उर्दू भाषा के ग़ज़ल गायक थे) अल्ताफ हुसैन हाली का जन्म 11 नवंबर 1837 में हुआ था और मृत्यु 30 सितम्बर 1914 में हुई थी
- अल्ताफ हुसैन हाली की रचनाएँ यादगार ऐ हाली, ह्या ऐ हाली मुसदस ऐ हाली , , मजलिस उलनसा तरिया के जुमम
- 1904 में अल्ताफ हुसैन हाली को शम्स ऐ उलेमा की उपाधि मिली
- जसवीर सिंह कबड्डी के खिलाड़ी हैं।
- देशबंधु गुप्त इन्होने हरियाणा को अलग राज्य बनाने की बात की थी
पानीपत के मंदिर
- दादा पोता का मंदिर
- पाथरी माता का मंदिर
- दिगंबर जैन मंदिर
- देवी तालाब का मंदिर
- नोट देवी तालाब का मंदिर पानीपत के तीसरे युद्ध के बाद मराठो के सरदार मंगला रघुनाथ ने बनवाया
पानीपत के मेले
- दुर्गा अष्टमी मेला
- कैपटिव विद्युत संयंत्र
- कलंदर की मज़ार का मेला
- पाथरी माता का मेला
पानीपत की मस्जिद
- काबुली बाग़ की मस्जिद
- जामा मस्जिद
पानीपत की मज़ार
- अलीशाह कलंदर की मज़ार
- शेख अनामुल्लाह की मज़ार
- गौस अलीशाह की मज़ार
पानीपत के मक़बरे
- इब्राहिम लोदी का मकबरा
- हेमू का मकबरा
पानीपत की दरगाह
- बू अलीशाह कलंदर की दरगाह
- सैयद रोशन अलीशाह की दरगाह
- हाली की दरगाह
- जलालुद्दीन की दरगाह
प्रमुख उद्योग
- सूती व ऊनी वस्त्र
- चीनी उद्योग
- पेट्रोलियम
- विद्युत उपकरण
- कालीन उद्योग
- रसायनिक उद्योग
महत्वपूर्ण संस्थान
- एशिया की सबसे बड़ी रिफाइनरी (बाहोली)
- तापीय विद्युत केंद्र (1979)
- नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड
- यूरिया संयंत्र
- कृत्रिम रबड़ संयंत्र (2013)
पर्यटन स्थल
- पानीपत में कई पर्यटन स्थल है जो की आकर्षक का केंद्र है. जैसे पानीपत युद्ध संग्रहालय, हेमू, समाधि स्थान, बाबर व अकबर की छावनी, सोंदापुर गांव में इब्राहिम लोढ़ी की कब्र, काबुली बाग, देवी मंदिर, काला आम, सालर गज गेट और तेरहवीं सदी सूफी संत बुउ अली शाह कलंदर की कब्र
- पानीपत संग्रहालय हरियाणा सरकार द्वारा गठित बैटल आफ पानीपत मेमोरियल सोसायटी ने पानीपत की तीन लड़ाइयों और देश के समग्र इतिहास पर उनके प्रभाव के लिए महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को उजागर करने के लिए
- एक संग्रहालय बनाया गया है। पानीपत संग्रहालय की स्थापना का उद्देश्य तीन लड़ाइयों, कला, इतिहास, शिल्प और पुरातत्व के बारे में जानकारी प्रदान करना है। संग्रहालय में मूर्तियाँ, एंटीक वस्तुएं, हथियार, मिट्टी के बर्तन, गहनें, महत्वपूर्ण दस्तावेज़, पांडुलिपियाँ, कला और शिल्प की वस्तुएं, हस्तशिल्प, नक्शे, लेख, फोटो, स्लाइड सहित और भी बहुत कुछ प्रदर्शित किया गया है जो देश के उन बेटों की देशभक्ति और वीरता पर प्रकाश डालती हैं जिन्होंने आक्रमणकारियों को बाहर निकालने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था।
- हुमायूं समाधि स्थल उसने पानीपत की दूसरी लड़ाई में मुग़ल सेनाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। जब वह लड़ाई जीतने वाला था, बिल्कुल तभी उसकी आँख में एक तीर आकर लग गया था। हेमू बेहोश हो गया और कैद कर लिया गया। पानीपत में जींद रोड पर स्थित सौंधपुर में अकबर के सामने लाते समय वह मर गया था। हेमू के मित्रों और समर्थकों ने उसके सिर कटने के स्थान पर उसकी समाधि का निर्माण किया।
- इब्राहिम लोदी की मकबरा सन् 1526 में इब्राहिम लोधी ने बाबर के साथ लड़ाई लड़ी, जिसमें उसकी हार हुई और वह मारा गया। लड़ाई स्थल पर ही इब्राहिम लोधी को दफनाया गया। बाद में अंग्रेजों ने इस स्थान पर एक बहुत बड़ा चबूतरा बनवाया तथा एक पत्थर पर उर्दू में इस कब्र के महत्व के बारे में लिखवाया।
- काबुली बाग काबुली बाग में गार्डन, एक मस्जिद और एक टैंक बना हुआ है। जिसे मुगल सम्राट बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोधी पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए बनवाया था। उसने इस मस्जिद और गार्डन का नाम अपनी पत्नी मुस्समत काबुली बेग़म के नाम पर रखा था।
- देवी मंदिर सालारजंग गेट के समीप स्थित देवी मंदिर इस समय पानीपत में उपलब्ध प्राचीनतम हिन्दू स्मारक है। कहा जाता है कि पानीपत के तीसरे युद्ध के समय भी इस स्थान पर एक विष्णु मंदिर और यहां वर्तमान तालाब विद्यमान था। देवी मंदिर प्रांगण में जाने के लिए सडक़ के साथ ही एक बड़ा प्रवेश द्वार बना है। यह प्रवेश द्वार 1904 ई0 (वि.सं. 1961) में बनवाया गया था।
- काला आम काला आम्ब स्मारक 70 हजार मराठों के बलिदान की कहानी है।जिन्होंने पानीपत की तीसरी लड़ाई में वीर गति प्राप्त की थी। इस लड़ाई में मराठों व मुगल सल्तनत के सरताज अहमदशाह अब्दाली में लगातार पांच मास घमासान युद्ध हुआ था।9 अगस्त 1992 को हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल श्री धनिक लाल मण्डल ने इसे हरियाणा राज्य ने नाम समुपत कर दिया।
- सलार गंज गेट- पानीपत नगर के मध्य स्थित यह त्रिपोलिया दरवाजा प्राचीन आबादी का प्रवेश द्वार है जिसका निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था जो नवाब सलारजंग के नाम से जाना जाता है। यह दरवाजा प्राचीन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। यह पानीपत शहर के बीच मुख्य आर्टीरियल सड़क पर स्थित है।
- बू-अली शाह कलंदर का मकबरा • यह इमारत 700 वर्ष पुरानी दरगाह के रूप में जानी जाती है जिसे खिजर खान और शाह खान अलाऊदीन खिलजी के पुत्रों ने बनवाया था। बू-अलीशाह कलन्दर जोकि सलार फकीरूदीन के सुपुत्र थे, वर्ष 1190 ई0 में पैदा हुए थे।
- अरन्तुक यक्ष मन्दिर – यह मन्दिर अस्थल त्रिखू तीर्थ के नाम से जाना जाता है। यह तीर्थ सींख व पाथरी गांव की सीमा पर स्थित है। यह स्थान महाभारत काल के समय का है और कहा जाता है कि यह महाभारत का चौथा दक्षिण पूर्वी द्वार था जिसके द्वारपाल मंच कुर्क यक्ष था। यहां पर वह तालाब भी है जहां पर यक्ष द्वारा युधिष्टर से संवाद किए गए थे। इस तीर्थ पर स्थापित किए गए डेरे का इतिहास लगभग 800 वर्ष पुराना है।
- सिद्ध शिव शनिधाम पानीपत पानीपत के मुख्य बाजार में स्थित सिद्ध शनिधाम श्रद्धालुओं को धामक एकता से सरोकार कराता है। इस शनिधान में जहां एक ओर आर्तियां होती हैं वहीं दूसरी ओर मुस्लिम श्रद्धालु नमाज अदा कर रहे हैं। आस-पास के क्षेत्रों में इस शनिधामों को दादा पोता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
- मंदिर गुरूद्वारा, पानीपत पानीपत के तहसील कैंप राम नगर में आमने-सामने स्थित श्री गुरूनानक द्वारा और सनातन आश्रम मंदिर की अपनी ही मान्यता है। यहां एक ओर श्रद्धालु सनातन आश्रम मंदिर में शीश झुकाते हैं, वहीं दूसरी ओर श्री गुरूनानक द्वारे में मात्था टेकने के लिए संगत की भीड़ लगी ही रहती है। संत श्रवण स्वरूप महाराज ने ही वर्ष 1976 में श्री गुरू नानक द्वारे की स्थापना की थी। उसी समय गुरूद्वारे के सामने ही सनातन आश्रम मंदिर का निर्माण किया गया।
- रामचन्द्र जी का मंदिर रामचन्द्र जी का मंदिर मोहल्ला बड़ी पहाड़ में स्थित है। नगर के अन्दर मराठों द्वारा बनवाया गया यह अकेला मंदिर है। यह 1793 ईसवी में तत्कालीन महाराजा सिंधिया द्वारा निमत है।
- दिगम्बर जैन मन्दिर यह मन्दिर पुराने पानीपत नगर के पश्चिम में जैन मोहल्ले में स्थित है। इस मन्दिर की वास्तुकला के अनुसार इसका निर्माण 17वीं शताब्दी के आरम्भिक काल में किया गया।
- कबीर-उल-औलिया हजरत शेख जलालुद्दीन की दरगाह शेख जलालुद्दीन पानीपत के प्रमुख सुफी संत हुए हैं। ये बू-अली शाह कलंदर के समकालीन थे। शेख जलालुद्दीन की मृत्यु 1364 ई.वी. में हुई लेकिन मकबरे का निर्माण 13 मई 1499 ई.वी. को फिरोज मुहम्मद लतुफउल्लाह अफगान ने करवाया। यह मककबरा पुराने पानीपत के पूर्वी भाग में स्थित था। आज यह मकदूम साहब के नाम से प्रसिद्ध है।
- सैयद रोशन अली शाह दरगाह पानीपत के सामान्य अस्पताल परिसर में स्थित सैयद रोशन अली शाह साहेब की दरगाह भाई-चारे की मिशाल है। यहां हर धर्म के लोग भाई-चारे के लिए दुआ करने पहुंचते हैं।
- अल्ताफ हुसैन हाली की कब्र मसुल उलमा की उपाधि से विभूषित अल्ताफ – हुसैन हाली उर्दू, फारसी, अरबी व अंग्रेजों के अच्छे ज्ञाता थे। इन्होंने शिक्षा के प्रसार के लिए कई हज़ार रूपये इक्कठे करके एक पुस्तकालय बनवाया व बाद में एक छोटा सा स्कूल शुरू करने में जुड़ गए जो बाद में हाली हाई स्कूल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। भारत विभाजन के समय जी.टी. रोड़ पर स्थित आर्य हाई स्कूल ही हाली हाई स्कूल की पुरानी ईमारत में स्थानांतरित हुआ था। इस महान साहित्यकार की मृत्यु 31 दिसम्बर 1914 को पानीपत में हुई। इनकी कब्र बु-अली शाह कलंदर दरगाह के प्रांगण में स्थित है। इनके नाम से एक पुस्तकालय भी वहीं बनाया गया है। नगर के एक पार्क का नाम भी हाली के नाम पर रखा गया है।
- जामा मस्जिद नगर की मुख्य मस्जिद को जामा मस्जिद कहते हैं। ये नगर के मध्य में और नगर की सबसे बड़ी मस्जिद है। इसकी वस्तु कला को देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस मस्जिद का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ।
- हजरत ख्वाजा शमशुद्दीन का मकबरा यह पानीपत के प्रमुख संत हुए हैं जो बु-अली शाह कलंदर के समकालीन थे और शेख अलाउद्दीन शाबरी के अनुयायी थे। अपने गुरु की सलाह पर ये पानीपत में रूके। इनका मकबरा पुराने पानीपत में दक्षिण के मुख्य द्वार पर स्थापित था। वहीं से ही नगर में प्रवेश होता था। अब यह स्थान सनौली रोड़ पर स्थित है।
- मदरसा-ए-गुम्बदान यह स्मारक दो गुम्बदों की अलग-अलग ईमारतें हैं। इनकी वास्तुकला के अनुसार यह मदरसा सलतनत काल का है। सलार फखरूद्दीन व हाफिज जमाला का मकबरा यह मकबरा बू-अली शाह कलंदर के माता-पिता का है। इनके पिता इराक से आए थे। यह मकबरा दिल्ली के सुल्तान अलाऊद्दीन मासूद शाह के समय 1246 ईसवी में बनाया गया।
- पानीपत का किला यह किला कोई दुर्ग की शक्ल में नहीं दिखता। यह पानीपत नगर के उत्तर-पूर्वी भाग का ही हिस्सा लगता है व इसमें कुछ ईटों के अवशेष दिखाई पड़ते हैं। अकबर कालीन लेखक अबुल फजल पानीपत में ईंटों के किले का उल्लेख करता है। इस किले पर ब्रिटिश काल के कुछ भवन थे। जिसमें गांधी मैमोरियल लाईब्रेरी भी थी। 1996 ई.वी. में तत्कालीन हरियाणा सरकार के आदेशानुसार यह भवन गिरा कर एक पार्क का निर्माण कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त यहां पर नगर निगम पुस्कालय भी स्थापित किया गया है।
- श्री श्याम जी का मन्दिर गांव चुलकाना गाँव चुकालना में श्री श्याम जी का – भव्य मंदिर है.
- प्रगटेश्वर महादेव धाम गांव भादड़ पानीपत से दक्षिण पश्चिम दिशा में 10 किलोमीटर दूर गांव भादड़ में स्थित प्रकटेश्वर महादेव धाम शिव मन्दिर सात एकड़ भूमि में फैला हुआ है।
- गांव पाथरी में शीतला माता का मेला यह मेला चैत्र व आसाढ़ मास के प्रत्येक बुधवार को लगता है। यहां पर श्रद्धालु दूर-दूर आकर मन्नतें मानते है।
- दरवाजा शमशुदीन का मकबरा तथा शाह विलायती का मजार यह दरगाह = सनौली रोड़ पर स्थित है। इसमें बू-अली शाह कलन्दर के मुख्य शिष्य ख्वाजा शमशुदीन की मजार बनी हुई है।
- प्रेम मंदिर पानीपत के वार्ड 3 में श्री प्रेम मन्दिर स्थित है। यह प्रेम. सेवा एवं एकता का महान संगम है। इसकी स्थापना सर्वप्रथम शहर लैय्या जो कि अब पाकिस्तान में है, वहां पर पूज्य गुरूदेव श्री श्री 108 श्री शान्ति देवी जी महाराज सुपुत्री श्री घनश्याम दास जी चान्दना के द्वारा 1920 में की गई थी।
- बाबा जोध सचियार- पानीपत से दिल्ली की तरफ सिखों के गुरू बाबा जोध सचियार का गुरूद्वारा अपने में एक विशेष महत्ता रखता है। इसके अन्दर बाबा जोध सचियार का समाधि स्थल है।
Note:
- पानीपत जिले का नाम मान्यता के अनुसार महर्षि पाणिनि के नाम पर पड़ा है। देश का पहला बेंटोनाइट सल्फर प्लांट यहीं पर स्थित है।
- यक्ष युधिष्ठिर संवाद पानीपत के सिंक पथरी गांव में हुआ था।
- भारतीय सेना हेतु 75% कपड़ों की आपूर्ति पानीपत से होती है।
- हरियाणा राज्य का यह जिला नेशनल हाईवे नंबर 1 पर स्थित है।
- 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ तथा सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की गई थी।
- पानीपत जिले का पचरंगा अचार पूरे हरियाणा में प्रसिद्ध है।
- हरियाणा में कुल 20 ऊर्जा पार्क हैं जिनमें से प्रथम जिला ऊर्जा पार्क पानीपत के नौथला ने बनवाया गया है।
- हरियाणा में निर्यातकों की सहायता के लिए पानीपत और रेवाड़ी में कंटेनर स्टेसन बनाए गए हैं।
- नेत्रहीन बच्चों हेतु सरकारी संस्थान पानीपत जिले में खोला गया है।
- देश का पहला बेंटोनाइट सल्फर प्लांट पानीपत में खोला गया है।
- प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय भी इस जिले में स्थित है।
- हरियाणा के पानीपत में एक अमोनिया प्लांट भी स्थापित किया गया है।
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मोबाइल का नशा Mobile ka nasha
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