
जिला जींद
- जींद की स्थिति यह हरियाणा के उत्तर अक्षांश और पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है।
- जींद की स्थापना 1 नवम्बर, 1966
- जींद का मुख्यालय जींद में ही स्थित है।
- जींद का क्षेत्रफल – 2702 वर्ग किलोमीटर
- जींद का उपमंडल जींद, सफीदों, नरवाना, उचाना
- जींद की तहसील जींद, सफीदों, नरवाना, जुलाना
- जींद की उप-तहसील – अलेवा, पिल्लूखेड़ा, उचाना
- जींद में खंड जींद, जुलाना, पिल्लूखेड़ा, सफीदों, उचाना कलां, अलेवा
- जींद की कुल जनसंख्या 13,34,152 (2011) की जनगणना के अनुसार
- जींद की साक्षरता दर 71.44 प्रतिशत (2011) की जनगणना के अनुसार
- जींद का लिंग अनुपात – 871/1000 जींद का जनसंख्या घनत्व 493 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
जींद जिले के उपनाम
- हर्ट ऑफ हरियाणा
- जयंतपुरी
- जयंती देवी नगरी
इतिहास
- • जींद जिले के बारे में ऐसा माना जाता है कि इसकी स्थापना पांडवों ने की थी। पांडवों ने यहां पर एक जयंती देवी का मंदिर बनवाया था, जिसके आस-पास जींद (जैतपुरी के नाम से) नगर बसा था।
- पांडवों ने महाभारत का युद्ध लड़ने से पहले युद्ध में सफलता प्राप्त करने के लक्ष्य से “विजय की देवी जयंती देवी मंदिर का निर्माण करके देवी की आराधना की थी। इसी विख्यात जयंती देवी के नाम से इस नगर का नाम जींद पड़ा।
- राजा गजपत सिंह ने 1768 में जींद रियासत को संभाला था और वो यहां के पहले राजा बने थे। राजा गजपत सिंह की मृत्यु सन 1789 में हुई थी।
जींद जिले में स्थित प्राचीन वस्तु अवशेष स्थल, संग्रहालय, किला
जयंती पुरातत्व संग्रहालय
- जयंती पुरातत्व संग्रहालय जींद जिले में जयंती देवी मंदिर के पास स्थित है। इस संग्रहालय की स्थापना 28 जुलाई 2007 को की गई थी।
- जयंती पुरातत्व संग्रहालय की दीवारों पर जींद जिले का इतिहास लिखा हुआ है। यहाँ पर
- हड़प्पा संस्कृति से सम्बंधित अवशेष रखे गए हैं।
जींद का किला
- जींद के किले का निर्माण राजा गजपत सिंह ने 1775 ई. में पक्की ईंटों से करवाया था।
वस्तु अवशेष स्थल
- • नरवाना, बरसाना, खोखरी आदि जींद जिले में सीसवाल संस्कृति से संबंधित स्थल है।
जींद जिले के धार्मिक स्थल, पर्यटन स्थल
जयंती देवी मंदिर
- जयंती देवी मंदिर जींद बस स्टैंड से 5 किमी की दूरी पर स्थित है।
- महाभारत काल में पांडवों ने महाभारत के युद्ध में कोरवों पर विजय प्राप्त करने हेतु जयंती देवी (विजय की देवी) के सम्मान में इस मंदिर को बनवाया था, जिसे जयंती देवी मंदिर के रूप में जाना गया।
गुरुद्वारा धमतान साहिब
- गुरुद्वारा धमतान साहिब जींद जिले के नरवाना बस स्टैंड से 17 किमी की दूरी पर स्थित है।
- नरवाना के पास धमतान गांव में स्थित यह गुरुद्वारा सिक्खों के 9 वें गुरु, गुरु तेग बहादुर से संबंधित है। ऐसा कहा जाता है कि गुरु तेग बहादुर अंग्रेजों के पास अपनी शहीदी के लिए जाते समय यहां पर रुके थे।
भूतेश्वर मंदिर
- भूतेश्वर मंदिर जींद बस स्टैंड से 11 किमी की दूरी पर गोहाना मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण जींद के शासक राजा रघुबीर सिंह ने करवाया था।
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। भगवान शिव को भूतनाथ भी कहा जाता है और उन्हीं के नाम पर ही इस मंदिर का नाम भूतेश्वर मंदिर पड़ा है।
पांडू-पिंडारा
- पांडू-पिंडारा जींद से लगभग 6.5 किमी की दूरी पर जींद गोहाना रोड़ पर स्थित है।
- प्राचीन गाथा के अनुसार पांडवों ने यहां पर अपने पितरों का पिंडदान किया था, जिसकी वजह से इस गांव का लोकप्रिय नाम पांडू-पिंडारा है।
- सोमवती अमावस्या को यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है।
अश्वनी कुमार तीर्थ
- अश्वनी कुमार तीर्थ जींद जिले से 14 किमी की दूरी पर जिले के आसन गांव में स्थित है।
- यहां पर एक तालाब भी है, जिसका वर्णन महाभारत, पदम पुराण, नारद पुराण और वामन पुराण में भी मिलता है।
- ऐसा माना जाता है मंगलवार के दिन इसमें स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते है।
राजपुरा (भैण)
- यह जींद से 11 किमी दूरी पर जींद-हांसी मार्ग पर स्थित है। यहां पर एक गोविंद कुंड है जो महाभारत काल से अब तक है।
हटकेश्वर मंदिर
- यह मंदिर जींद जिले के सफीदों गांव में स्थित है। इसमें पृथ्वी के 68 तीर्थों की शक्ति समाई हुई है।
रामराय तीर्थ
- रामराय जींद से 8 किमी दूर जींद-हांसी रोड पर स्थित है।
- यह स्थल भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ माना जाता है। यहां पर एक भगवान परशुराम का पुराना मंदिर है, जहां उनकी पूजा की जाती है।
हंसहेडर तीर्थ
- हंस हैडर तीर्थ जींद जिले में है। ऋषि कदम ने यहाँ कई वर्षों तक तपस्या की थी। ऋषि क़दम के पुत्र कपिलमुनि ने यहाँ जन्म लिया था और सांख्य शास्त्र की रचना की।
- यहाँ पर एक शिव मंदिर और बिंदुसार तीर्थ भी स्थित है।
वराह
- यह स्थान जींद से 10 किलोमीटर दूरी पर बराह गांव में स्थित है पदम पुराण, वामन पुराण और महाभारत के अनुसार भगवान विष्णु ने यहाँ पर वराह अवतार लिया था।
इकाहमसा
- यह स्थल जींद जिले से 5 किलोमीटर दूरी पर है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण गोपियों से बचने के लिए एक हंस का रूप धारण करके यहां पर छुपे थे।
मुंजावता
- जींद जिले का यह स्थल भगवान महादेव की कथा से जुड़ा माना जाता है।
यक्षिणी तीर्थ
- यह जींद जिले से 8 किलोमीटर दूर दिखनी खेड़ा में स्थित तीर्थ है।
- ऐसा माना जाता है कि जो इंसान यहां स्नान कर लेता है और यक्षिणी को खुश कर देता है, तो उसके सभी पाप धुल जाते हैं।
पुष्कर तीर्थ
- पुष्कर तीर्थ जींद से 11 किलोमीटर की दूरी पर पोंकर खेड़ी गांव में स्थित है। पुराणों के अनुसार इस तीर्थ की खोज जमादग्नि के पुत्र परशुराम ने की थी।
जामदग्नि तीर्थ (जमनी)
- • यह तीर्थ जींद से 18 किमी दूरी पर सफीदों-जींद मार्ग पर जामनी गांव में स्थित है।
- ‘लोकमान्यता के अनुसार महर्षि जमदग्नि ने यहां कठोर तपस्या की थी और उन्हीं से संबंधित इस तीर्थ को माना जाता है।
खांडा
- खांडा गांव जींद से 23 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां पर अत्यधिक प्राचीन भगवान परशुराम मंदिर एवं तीर्थ स्थल है।
- स्थानीय लोगों की मान्यता है कि भगवान परशुराम की माता रेणुका जी प्रत्येक दिन इस तीर्थ से जल लेने आती थी। एक दिन चोरों ने माता रेणुका के जल कलश को चुरा लिया था, जिसके कारण वह कलश मिट्टी का हो गया था। आज भी यह कलश इस मंदिर में विराजमान है।
रानी का तालाब
- रानी के तालाब का निर्माण अमृतसर के गोल्डन टेंपल के तर्ज पर करवाया गया। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर उस समय के राजा ने एक सुरंग का निर्माण भी करवाया था, जो इस तालाब को रानी के महल से जोड़ती थी।
- रानी इस तालाब में स्नान करने के बाद सुरंग के रास्ते सीधा महल में पहुंचती थी, रानी की वजह से ही इसे “रानी का तालाब कहा जाने लगा।
बाबा गैनी साहिब तीर्थ
- यह तीर्थ जींद जिले के नरवाना में स्थित है। प्राचीन कथा के अनुसार यहाँ एक तपस्यारत एक बाबा हवा में विलीन हो जाते थे, इसी कारण से श्रधालु उन्हें नी बाबा के नाम से पुकारते थे।
टूढ़वा तीर्थ
- महाभारत के युद्ध में दुर्योधन हारने के बाद इस स्थल पर आकर छिप गया था और भीम ने उसे यहाँ ढूढ़ कर मारा था। इसी वजह से इस स्थान का नाम ढूढ़वा तीर्थ पड़ा था।
जींद जिले के प्रसिद्ध मेले
- हटकेश्वर मेला
- बिलसर मेला
- जामनी का मेला
- बाबा भोलूनाथ का मेला
- सच्चा सौदा का मेला
- धमतान साहिब का मेला
जींद जिले के बारे में अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी
- चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी की स्थापना 24 जुलाई 2014 को की गई थी।
- पहले इसकी स्थापना 2007 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएट रीजनल सेंटर के रूप में की गई थी, जिसे बाद में विश्विद्यालय बना दिया गया।
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बीरबारा वन्य जीव संरक्षण केंद्र
- • बीरबारा वन्यजीव संरक्षण केंद्र जींद जिले से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर जी हांसी मार्ग पर स्थित है। यह पिहोवा से दस किमी की दूरी पर है।
जींद का विद्रोह
- जींद का विद्रोह गुलाब सिंह के नेतृत्व में 1814 ई. हुआ था।
- जींद जिले से 1857 की क्रांति का नेतृत्व प्रताप सिंह के द्वारा किया गया।
जींद जिले में उद्योग धंधे
- जींद सहकारी चीनी मिल्स लिमिटेड जींद सहकारी चीनी मिल्स लिमिटेड की स्थापना 16 फरवरी, 1985 को जींद जिले में की गई।
- मिल्क प्लांट जींद मिल्क प्लांट जींद की स्थापना 1997 को हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा जींद जिले में की गई।
- जींद जिले के अन्य उद्योग धंधे चमड़ा उद्योग, साइकल उद्योग
- हरियाणा के जींद जिले में सबसे कम झाड़ियां पाई जाती है।
- जींद जिले से कोई भी नदी नहीं बहती है।
- मुर्रा नस्ल की भैंस के लिए जींद जिला पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
- VVPAT का प्रयोग सबसे पहले जींद उपचुनाव में वर्ष 2019 में किया गया था।
- पक्की सड़कों का सबसे कम घनत्व जींद जिले में है।
- हरियाणा का प्रथम ग्राम सचिवालय हैबतपुर (जींद) में है।
- जींद जिले के नरवाना में फूड पार्क भी है।
- हरियाणा में पशुओं का चारा प्लांट कृषि ट्रेनिंग संस्थान जींद जिले में है।
- हरियाणा का पहला मतदाता सेल्फी पवाएंट जींद जिले में है।
- भारतीय क्रिकेटर यूजवेंद्र चहल का सम्बंध जींद जिले से है।
- WWE में लड़ने वाली पहली प्रोफेशनल भारतीय महिला रेसलर कविता दलाल का सम्बंध जींद जिले के मालवी गाँव से है।
- हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला का विधानसभा चुनाव क्षेत्र (हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में) उचाना था, जो जींद जिले में पड़ता है।
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