जाकिर हुसैन 1897-1969
- हैदराबाद में जन्मे डॉ. जाकिर हुसैन ने 1920 में राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया।
- वह जामिया मिलिया जैसे राष्ट्रवादी संस्थान के संस्थापकों में से एक थे तथा 1926 में 29 वर्ष की आयु में इसके वाईस चांसलर बने।
- महात्मा गांधी के आग्रह पर उन्होंने वर्धा शिक्षा योजना तथा बेसिक शिक्षा प्लान के नाम से जारी किया गया।
- उन्होंने छात्रों को स्वरोजगार परक बनने का सुझाव दिया तथा राज्यिक ज्ञान के अलावा राष्ट्रीय विचार भी रखे वह चाहते थे कि पश्चिमी ज्ञान को भारतीय परिवेश में ढालकर उसका उपयोग भाषा, साहित्य के विकास पर लिया जाये।
- वह अलीगढ़ विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने, बाद में बिहार के गवर्नर, भारत के उपराष्ट्रवादी तथा राष्ट्रपति बने।
- वह भारत के पहले राष्ट्रपति थे, जिनका पद पर रहते निधन हुआ।
तेज बहादुर सप्रू 1875-1949
- तेज बहादुर सप्रू पेशे से वकील थे। उनका जन्म अलीगढ़ में हुआ तथा उर्दूफारसी के विद्वान थे।
- वह अनेकों वर्षों तक यू.पी. कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। ये सर्वेधानिक संघर्ष में विश्वास करते थे।
- उन्होंने लखनऊ समझौते में भी महत्वपूर्ण कार्य किया तथा 1919 में लिबरल पार्टी में भाग लिया।
- वह वाइसराय की कार्यकारी कौंसिल में निधि-सदस्य बने तथा अनेकों महत्वपूर्ण कानूनों को पास करवाया।
- सबसे खास था 1910 में प्रेस कानून को समाप्त करना।
- वह नेहरू कमेटी के भी सदस्य रहे तथा संघीय राजनीति का समर्थन किया।
- सन् 1934 में वह प्रिवी कौंसिल के भी सदस्य बने।
विनायक दामोदर सावरकर 1883-1966
- विनायक दामोदर सावरकर क्रांतिकारी कवि, इतिहासकार तथा समाज सेवक थे।
- उन्होंने 1899 में मित्र मेला नामक संस्था की स्थापना की, जो बाद में अभिनव भारत समाज (1904) में परिवर्तित हो गयी।
- वह 1906 में लंदन में बनी फ्री इंडिया सोसायटी के संस्थापकों में से थे।
- उन्होंने इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेंस पुस्तक में पहली बार 1857 के विद्रोह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली जंग कहा।
- 1910 में उन्हें नासिक षड़यंत्र केस में गिरफ्तार किया गया तथा अंडमान, पोर्ट ब्लेयर में निर्वासित किया गया।
- जेल से छूटने के बाद उन्होंने हिंदू महासभा में भाग लिया तथा हिंदुत्व के कट्टर समर्थक बन गए।
अबुल कलाम आज़ाद 1888-1958
- उनका जन्म मक्का में हुआ तथा वह कलकत्ते में आकर रहने लगे।
- उन्होंने स्वदेशी आंदोलन से भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत की, बाद में रोलेट सत्याग्रह में भाग लेने के कारण वह गांधी जी के संपर्क में आए।
- अपनी दो अखबारों अल हिलाल (1912) तथा अल बलाग (1915) के द्वारा उन्होंने राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार किया। यह अखबार उर्दू भाषा में छपते थे। वह दो प्रसिद्ध पुस्तकों ‘इंडिया विन्स फ्रीडम’ तथा ‘गुबरे-ए-खातिर’ (पत्र संग्रह) के भी लेखक थे। पहली पुस्तक अंग्रेजी में थी तथा दूसरी उर्दू में।
- वह कई मुस्लिम धार्मिक आंदोलनों अहरार तथा खिलाफत में भी प्रतिभागी रहे एवं जमात-उल-उलेमा नामक धार्मिक संस्था के अध्यक्ष भी रहे।
- वह कांग्रेस अधिवेशन (1923, दिल्ली, विशेष) के सबसे युवा अध्यक्ष बने तथा (1940-45) तक लंबे समय तक इसके अध्यक्ष भी रहे।
- उन्होंने शिमला कांफ्रेंस तथा केबिनेट मिशन के ब्रिटिश सदस्यों के साथ हुई वार्ता में हिस्सा भी लिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने तथा महत्वपूर्ण शैक्षिक संस्थानों, जैसे-राष्ट्रीय औद्योगिक संस्थान, खड्गपुर, विश्वविद्यालय तथा माध्यामिक शिक्षा कमीशन तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संस्थापक सदस्य भी रहे।
अच्युत एस. पटवर्धन 1909-71
- ये कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने महाराष्ट्र में क्रांतिकारी गतिविधियों भूमिगत) का सफलतापूर्वक संचालन किया था।
- स्वतंत्रता के पश्चात् उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया।
अरबिंदो घोष
- अरबिंदो घोष ने स्वदेशी आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी तथा वह निष्क्रिय विरोध के समर्थक नहीं थे।
- सिविल सेवा परीक्षा में चुने जाने के बाद सरकार ने उनकी नियुक्ति नहीं की।
- उन्होंने अपने उग्रवादी विचारों का प्रचार; युगांतर तथा वंदेमातरम् पत्रिकाओं के द्वारा किया।
- उन्हें अलीपुर षड्यंत्र केस (1910) में आरोपित किया गया परंतु बाद में साक्ष्यों के अभाव में उन्हें छोड़ दिया गया।
- सूरत कांग्रेस में हुए नरमपंथी चरमपंथी संघर्ष के पश्चात् उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ दी तथा अध्यात्म की ओर मुड़ गए।
- उन्होंने पांडिचेरी में आश्रम की स्थापना की तथा आध्यात्मिक गुरु बन गए। उनकी पुस्तक लाइफ डिवाइन के नाम से छपी।
- इनका जन्म उत्तर पश्चिमी सीमांत (नार्थ वेस्ट फ्रेंटियर) के उत्तमजायी जिले में हुआ।
- रोलेट सत्याग्रह से ही इन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेना शुरु किया।
- उन्होंने हर गांधीवादी आंदोलन खिलाफत, असहयोग सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह (1940) तथा भारत छोड़ो में अग्रणी भूमिका निभाई तथा 14 वर्षों तक कारागार में रहे। वह गांधी जी की सत्याग्रह की विचारधारा में विश्वास व्यक्त करते थे इसलिए उन्हें सीमांत गांधी भी कहा गया।
- उन्होंने 1929 में खुदाई खिद्मतगार (भगवान के सेवक) नामक एक संस्था भी बनाई जो लाल वस्त्र धारण करते थे। जिसे, लाल कुर्ती आंदोलन, भी नाम मिला।
- उनके स्वयंसेवक ग्रामीण उद्योग विकास तथा पश्तू स्त्रियों के लिए समाज सुधार का भी कार्य करते थे। वह ‘पख्तून’, नामक एक मासिक पत्रिका का संपादन करते थे।
- इस धर्मनिरपेक्ष पठान ने लीग की सांप्रदायिक राजनीति का हमेशा ही विरोध किया तथा भारत-विभाजन के वह कट्टर विरोधी थे।
- जब वह विभाजन को रोकने में असफल रहे तो उन्होंने अलग पख्तूनिस्तान की मांग की वह; फ़ख्र-ए-अफगान (पठानों का गर्व) के नाम से प्रसिद्ध हुए।
- उन्हें सन् 1987 में भारत रत्न से सम्मानित किया। ऐसा सम्मान प्राप्त करने वाले वह पहले गैर-भारतीय थे।
बारीन्द्र कुमार घोष 1880-1959
- बारीन्द्र कुमार घोष क्रांतिकारी राष्ट्रवादी थे।
- उन्होंने स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया तथा वह अरबिंदो घोष के उग्रवादी विचारधारा से प्रेरित थे और उनके सहयोगी भी रहे।
- बारीन्द्र कुमार घोष 1902 में बनी गुप्त संस्था अभिनव भारत (कलकत्ता) में भी भाग लिया था।
- वे युगांतर’ नामक क्रांतिकारी पत्रिका जो राष्ट्रवादी तथा क्रांतिकारी विचारों का प्रसार करती थी, से भी जुड़े रहे।
- औपनेविशिक शासन के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए उन्हें मृत्युदंड दिया गया, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया। उन्होंने बाद में स्टेट्समैन अखबार के कार्य से अपने आप को जोड़ लिया।
चार्ल्स फ्रीयर एंड्रयूज
- सी.एफ. एंड्रयूज एक ईसाई मिशनरी थे। वह महान मानव प्रेमी थे।
- उन्होंने श्रमिक वर्ग तथा अन्य पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए दक्षिणी अफ्रीका तथा भारत में कार्य किया।
- चार्ल्स फ्रीयर एंड्रयूज ने मद्रास के सूत श्रमिकों की हड़ताल का 1918 तथा 1919 दोनों में ही समर्थन किया तथा बेरोजगार चाय बागान श्रमिकों की सहायता भी की (चांदपुर)।
- वह दो मौकों पर 1925 तथा 1921 में ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।
- अस्पृश्यता के विरुद्ध संघर्ष में उन्होंने डा. अम्बेडकर का साथ दिया।
- उन्होंने अनेक देशों के मजदूरों के अधिकारों के लिए कार्य किया-जिसमे प्रमुख थे भारतीय मूल के वह श्रमिक, जो दक्षिणी तथा पूर्वी अफ्रीका, वेस्टइंडीज व फिजी के कामगार थे।
- उन्होंने उनकी समस्याओं से संबंधित आंकड़े एकत्रित कर उन्हें सरकार के सामने रखा। उन्होंने उपनिवेशवाद के विरुद्ध भारत तथा अन्य देशों में संघर्ष किया। उ
- नके गरीबों तथा श्रमिकों के प्रति प्रेम के कारण गांधी जी ने उन्हें दीनबंधु नामकरण दिया, इसके बावजूद कि वह एक विदेशी थे। उनकी उपनिवेशवाद के विरुद्ध लड़ाई जीवन पर्यंत जारी रही।
भगत सिंह 1907-31
- शहीदे-आजम, भगत सिंह का जन्म लायलपुर (पंजाब) में हुआ।
- वह प्रतिभा सपन्न, शिक्षित तथा महान क्रांतिकारी विचारों से ओत-प्रोत नवयुवक थे। उनका उद्देश्य न केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद को ही समाप्त करना था वरन् वे भारत में रूसी क्रांति की तरह राजनीतिक बदलाव भी लाना चाहते थे।
- गांधीवाद से रुष्ट होकर उन्होंने हिंसा का रास्ता चुना तथा हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में शामिल होकर ही सांर्डस का वध किया जो लाहौर के बदनाम पुलिस अधिकारी थे।
- उन्होंने बटुकेश्वर दत्त के साथ केंद्रीय असेम्बली में दो बम फैके, जिससे कोई हताहत नहीं हुआ।
- वह समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतांत्रिक भारत की स्थापना में विश्वास रखते थे तथा हर प्रकार की संप्रदायवादी राजनीति के विरुद्ध थे।
- वह ऐसे पहले क्रांतिकारी थे, जो सभी वर्गों तथा लोगों के द्वारा आज तक भी याद किए जाते हैं।
- भगत सिंह को 23, मार्च, 1931 में लाहौर षडयंत्र केस के सिलसिले में अन्य दो लोगो के साथ फांसी दी गई।
धोंधो केशव कर्वे 1858-1962
- इनका उपनाम अन्ना साहिब था। वह महान समाज सुधारक तथा शिक्षाविद् भी थे।
- उन्होंने विधवा-पुनर्विवाह के लिए कार्य किया तथा इसके लिए विवाहोत्तोजक मंडली (विधवा पुनर्विवाह समिति) का गठन किया, (1893)। इसके लिए उन्होंने स्वयं एक विधवा से विवाह किया जिससे कि हिंदु नवयुवकों में अच्छा संदेश जा सके।
- वह स्त्री शिक्षा के भी प्रबल समर्थक थे।
- इससे उन्होंने 1907 में महिला महाविद्यालय (महिला स्कूल) की स्थापना की।
- इन्होंने 1916 में प्रथम महिला विश्वविद्यालय जो भारत में अपनी तरह का पहला विश्वविद्यालय था, की स्थापना में योगदान दिया। उन्हें समता संघ वर्गों में समानता का अधिकार प्रदान करने का था।
- सन 1958 में उन्हें भारत-रत्न सम्मान भी मिला।
बी. आर. अम्बेडकर 1891-1956
- भारतीय संविधान सभा की प्रारूप सीमिति के अध्यक्ष तथा दलितों के प्रखर नेता डा. अम्बेडकर का जन्म महू (मध्य प्रदेश) में महार जाति में हुआ।
- यह जाति हिंदू समाज में अस्पृश्य समझी जाती थी।
- वह कोलंबिया तथा लंदन विश्वविद्यालय से शिक्षित हुए।
- उन्होंने दलित जातियों के उत्थान के लिए अनेकों संस्थाओं, पत्रिकाओं के द्वारा प्रचार कार्य किया।
- 1924 में डिप्रेस क्लासस इंस्टीट्यूट तथा 1927 में समाज समता संघ की स्थापना की।
- बी. आर. अम्बेडकर ने पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी के द्वारा अनेक कॉलेज तथा हॉस्टल खोले।
- उन्होंने दलित जातियों के लिए प्रांतीय तथा केंद्रीय असेम्बलियों में सुरक्षित स्थानों की मांग तथा वह मेकडोनाल्ड अवार्ड के पुरजोर समर्थक थे परंतु कांग्रेस व विशेषकर गांधी जी के प्रयासों के कारण उन्होंने पूना समझौता किया (1932)।
- वह जाति प्रथा का उन्मूलन चाहते थे तथा उसके बारे में अपनी पुस्तक एनिहिलेशन ऑफ कास्टस् (1936) में इसका वर्णन किया है।
- विधि सदस्य के तौर पर उन्होंने हिंदू कोड बिल लाने का प्रस्ताव पारित करवाया जिसमें सभी हिंदू जातियों को समानता दी गई इसके अलावा उन्होंने अनेक पार्टियों का गठन किया जैसे- लेबर पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी इत्यादि।
हेनरी लुई विलियम डिराजियो 1809-31
- वह एंग्लो इंडियन मूल के विदेशी थे, जो फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर समाज-सुधार के कार्य में जुट गए तथा कलकत्ता को उन्होंने अपना निवास बना लिया था।
- वह भारत के पहले राष्ट्रवादी कवि थे। उन्होंने अपने प्रतिक्रियावादी विचारों से बंगाल के अनेक नौजवानों को प्रभावित किया तथा उन्हें बेकार के अंधविश्वासों तथा आडंबरों को त्यागने को कहा।
- उन्होंने कई अकादमियों की स्थापना की, जिसमें प्रमुख थी- सोसाइटी फार एक्वाजिशन ऑफ नोलेज, बंगहित सभा, एग्लोइंडियन हिंदू एसोसिएशन तथा डिबेटिंग क्लब आदि उन्होंने कलकत्ता लाइब्रेरी गेजेट, तथा होसपीयर्स, नामक पत्रिकाओं का भी संपादन कार्य किया।
- उनका यंग बंगाल आंदोलन इटली के मैजिनी के यंग इटली से प्रभावित था।
- वह कलकत्ता के हिंदू कॉलेज में इतिहास तथा साहित्य के प्रवक्ता के रूप में कार्य करने लगे परंतु उनके अतिवादी विचारों के चलते उन्हें पद से हटा दिया गया तथा इन्हीं अतिवादी विचारों के कारण उनका आन्दोलन अधिक देर तक न चल सका।
बेहरामजी-एम-मालाबारी 1853-19-12
- बेहरामजी-एम-मालाबारी गुजरात के कवि तथा समाज सुधारक थे।
- उन्होंने नीतिविनोद (1875) पुस्तक लिखी जो अति लोकप्रिय रही। (गुजराती कविताओं का संग्रह)- इंडियन म्यूस इन इग्लिश गार्व; अंग्रेजी कविता छंद; गुजरात एंड गुजराती, गुजरात का वर्णन; जैसी साहित्यक कृतियों की रचना की।
- वह बाल-विवाह तथा जाति प्रथा के विरोधी थे, उन्होंने विधवा-पुर्नविवाह तथा स्त्रीपुरुष समानता पर विशेष जोर दिया।
- बेहरामजी-एम-मालाबारी चाहते थे कि सामाजिक मसलों पर कानूनी प्रस्तावों का सहारा लिया जाये।
- उनके प्रयासो से एज ऑफ कंसेंट बिल (1891) पारित किया गया, जिसके द्वारा 12 वर्ष से कम आयु की कन्या के विवाह पर प्रतिबंध लगाया गया।
- वह एक सामाजिक संस्था सेवा सदन के भी सदस्य बने तथा इन सभी सामाजिक मुद्दों पर वह समय-समय पर इंडियन स्पेक्टर, वाइस ऑफ इंडिया, बाम्बे गेजेट तथा टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखते रहते थे।
अक्षय कुमार दत्त
- अक्षय कुमार दत्त एक समाज-सुधारक तथा क्रांतिकारी थे।
- ब्रह्म समाज से प्रभावित होकर उन्होंने समाज सुधार के कार्य किए- तत्वबोधिनी पत्रिका के संपादक रहे तथा विधवा-विवाह का समर्थन व बहु-विवाह प्रथा का विरोध किया।
- वे एक प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे।
चितरंजन दास 1870-1926
- इनका जन्म कलकत्ता में हुआ।
- उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत दादा भाई नारौजी के प्रचार अभियान से लंदन में शुरू की। वह उन दिनों विद्यार्थी थे।
- चितरंजन दास को प्रसिद्धि तब मिली जब, उन्होंने बम कांड (1908) में अरविंदो की पैरवी की तथा उन्हें बरी करवा दिया।
- वह 1921 में कांग्रेस अधिवेशन, इलाहाबाद में अध्यक्ष चुन लिए गए थे परंतु जेल में होने के कारण वह अध्यक्षता नहीं कर पाए।
- 1922 के गया अधिवेशन में उन्होंने कांग्रेस की अध्यक्षता की।
- गांधी जी के साथ मतभेदों के कारण उन्होंने पंडित मोती लाल नेहरु के सहयोग से कांग्रेस खिलाफत स्वराजिस्ट पार्टी (स्वराज पार्टी) का गठन दिसंबर 1922 में किया तथा कौंसिल के चुनावी में भागीदारी सुनिश्चित की।
- 1924 में वह कलकत्ता म्यूनिसिपलिटी के महापौर बने तथा कृषि मुद्दों से जुड़े प्रश्नों पर सहयोग किया तथा यूरोपीय मंडल पर संबद्ध औद्योगीकरण का विरोध किया।
- उन्होंने ग्राम पंचायतों की स्थापना पर बल दिया तथा सरकारी विभागों में सुधार के लिए पांच सूत्रीय क्रार्यक्रम दिया, जो इस प्रकार था : स्थानीय निकायों को प्रोत्साहन दिया जाये, स्थानीय निकायो से ही विकास के लिए योजना वृहद पैमाने पर तैयार की जाए, इस प्रकार के विकास की योजना राज्य के लिए भी लागू होनी चाहिए, ग्रामीण केंद्रों तथा वृहद केंद्रों को अधिक स्वायत्ता देनी चाहिए, अवशिष्ट शक्तियों का प्रयोग केंद्र सरकार के द्वारा बेहतर ढंग से होना चाहिए।
- वे देशबंधु के उपनाम से विख्यात रहे तथा उनकी मृत्यु दार्जिलिंग में हुई।
ज्योतिबा फुले 1827-90
- ज्योतिबा फूले ने दलित जातियों के सामाजिक उत्थान के लिए कार्य किया।
- इसके लिए उन्होंने सत्यशोधक समाज (1873) तथा दीनबंधु सार्वजनिक सभा (1884) की स्थापना की।
- उन्होंने ब्रिटिश प्रशासन की पिछड़ी जातियों की जागृति के लिए दी जाने वाली शिक्षा की प्रशंसा की। परन्तु इस बात की आलोचना भी की, कि उच्च शिक्षा के लिए धन को अन्य पदों में खर्च किया जा रहा है।
- ज्योतिबा फुले ने प्रार्थना समाज तथा सार्वजानिक सभा की इस बात को लेकर आलोचना की कि वे सिर्फ उच्च जातियों विशेषकर ब्राह्मणों में समाज-सुधार के कार्य करते हैं।
- उनकी संस्था ने स्त्रियों तथा दलित जातियों में शिक्षा का प्रसार किया। उन्होंने गुलामगिरी तथा सार्वजनिक सत्यधर्मनामक पुस्तकों की रचना की थी।
भीकाजी कामा
- एक क्रांतिकारी महिला थीं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए यूरोपीय देशों में प्रचार किया।
- उन्होंने भारत के लिए झंडे का डिजाइन तैयार किया जिसमें लाल, हरे तथा केसरी रंग की पट्टियों के साथ चांद-सितारा भी था और इस पर वंदे मातरम् भी अंकित था।
- इस झंडे को 1907 में जर्मनी-स्टूटगार्ट में समाजवादियों की कांफ्रेस में फहराया गया।
- उन्होंने श्यामजी कृष्ण वर्मा तथा वी.डी. सावरकर के साथ मिलकर कार्य किया एवं भारतीय नवयुवकों को लंदन में संगठित करने के लिए फ्री इंडिया सोसाइटी बनाई उन्होंने वंदे मातरम अखबार का भी संपादन किया।
मदन लाल धींगरा
- वह एक क्रांतिकारी थे तथा लंदन में कार्यरत थे।
- इस दौरान वह श्याम जी कृष्ण वर्मा तथा वी.डी. सावरकर जैसे क्रांतिकारियों के संर्पक में आए इसके अतिरिक्त यह अभिनव भारत, होमरूल सोसयाटी तथा इंडिया हाउस के सदस्य भी बने रहे।
- उन्होंने सैक्रेटरी ऑफ स्टेट के सलाहकार सर विलियम कर्जन वाइली की गोली मार कर हत्या कर दी थी।
- इसके लिए उन्हें 17 अगस्त, 1909 को लंदन में मृत्यु दंड दिया गया।
हसरत मोहानी
- वह एक राष्ट्रवादी तथा रोमानी विद्या के अच्छे कवि थे।
- उन्होंने ही ‘इन्कलाब जिंदाबाद (Inquilab Zindabad) का नारा दिया था।
- वे पहले ऐसे राष्ट्रवादी नेता थे, जिन्होंने कांग्रेस के मंच पर पूर्ण स्वराजय का मुद्दा उठाया तथा कांग्रेस को सलाह दी थी कि उसे ही अपना लक्ष्य बनाये।
- उनकी इस मांग के प्रस्ताव को कांग्रेस ने ठुकरा दिया था उनका रुझान समाजवाद की ओर भी हुआ।
- हसरत मोहानी अपनी रुमानी गज़लों और गीतों के लिए काफी प्रसिद्ध हुये। ग़जल चुपके-चुपके रात-दिन आंसू बहाना याद है उन्ही की लिखी हुई है।
भूलाभाई देसाई 1877-1946
- भूलाभाई देसाई का जन्म सूरत में हुआ तथा शिक्षा कलकत्ता में।
- उन्होंने बंबई के एडवोकेट जनरल के रूप में कार्य किया।
- भूलाभाई देसाई ने एनी बेसंट के होमरूल आंदोलन में भाग लिया तथा ब्रूमफील्ड समिति के सामने बारदोली किसानों का प्रतिनिधित्व किया।
- वह केंद्रीय असेम्बली में कांग्रेस के प्रतिनिधि रहे (लगभग 9 वर्ष) तथा बंबई के कांग्रेस अध्यक्ष तथा वर्षों तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य भी रहे।
- अंतिरम सरकार में लीग के प्रतिनिधि उप-प्रधान लियाकत अली खान के साथ उन्होंने वार्ता की तथा लियाकत-देसाई समझौता किया। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू तथा आसफ अली के साथ मिलकर आजाद हिंद फौज के कैदियों का मुकदमा भी लड़ा।
अरुणा आसफ़ अली 1909-96
- अरुणा आसफ़ अली, कालका में जन्मीं थीं तथा उन्होंने आसफ अली से विवाह किया।
- उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया तथा व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940) में भी हिस्सा लिया।
- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वह दिल्ली क्षेत्र की प्रमुख नेत्री के रूप में उभरकर सामने आयीं स्वतंत्रता के पश्चात् वह दिल्ली की महापौर/मेयर (1958) बनीं।
- उन्हें लेनिन सम्मान तथा भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
इंदुलाल याज्ञनिक 1852-1872
- इंदुलाल याज्ञनिक समाज सेवक, पत्रकार तथा स्वतंत्रता सेनानी थे।
- उन्होंने गुजरात में होम रूल आंदोलन तथा खेड़ा सत्याग्रह में भाग लिया।
- उनका संबद्ध मुख्य रूप से किसानों तथा आदिम-जनजातियों के कल्याण से रहा। उन्होंने जनजातियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए अनेक स्कूल खोले तथा उन्हें अखिल हिंदू किसान सभा, का अध्यक्ष भी चुना गया (1942)।
- वह गुजरात विद्यार्थी सभा के संस्थापक सदस्यों में से थे तथा स्वतंत्रता पश्चात् उन्होंने महा गुजरात जनता परिषद् की भी स्थापना की।
- उन्होंने गुजराती मासिक नवजीवन अने सत्या तथा दैनिक नूतन गुजरात का संपादन कार्य भी किया।
कोंजीवरम नटराजन अन्नादुराई 1909-69
- कोंजीवरम नटराजन अन्नादुराई तमिलनाडू के सामाजिक कार्यकर्ता तथा राजनीतिज्ञ थे।
- उन्होंने विधुतलाई, कुंदी अरसू तथा द्रविडानादू जैसी पुस्तकों का संपादन भी किया।
- वह जस्टिस पार्टी के सदस्य बने तथा श्रमिक वर्ग को संगठित करने व उनके अधिकारों की रक्षा हेतु आंदोलन भी चलाया। वह द्रविड़ मुनेत्रा काषगम (दलित उत्थान संघ) के संस्थापक थे।
- इस संस्था ने तमिलनाडु में सामाजिक तथा राजनीतिक कार्य किया। वह लोकसभा के सदस्य भी बने तथा 1967-69 तक वह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी रहे।
मौलाना मोह्हमद अली जौहर 1878-1931
- मौलाना मोह्हमद अली जौहर का जन्म मुरादाबाद (यू.पी.) में हुआ। वह खिलाफत आंदोलन के प्रणेता थे।
- असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने गांधी जी के साथ पूरे भारत का भ्रमण किया।
- उन्होंने मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस सम्मेलनों की अध्यक्षता की 1923, काकीनाडा।
- उन्होंने कामरेड (अंग्रेजी) तथा हमदर्द (उर्दू) का संपादन कार्य भी किया।
- उन्हें ब्रिटिश सरकार ने युद्ध विरोध के भय के कारण शौकत अली के साथ छिंदवाड़ा (मध्य प्रांत) में नजरबंद रखा।
- वह आधुनिक विचारों वाले, धर्मनिरपेक्ष, राष्ट्रवादी मौलाना थे (धार्मिक गुरु) तथा जामिया मिलिया की स्थापना में प्रमुख सहयोगी थे।
डेविड हेयर 1775-1842
- डेविड हेयर स्काट्लैंड के घड़ीसाज थे तथा कलकत्ता में आकर रहने लगे।
- उन्होंने अनेकों स्कूलों व कॉलेजों की स्थापना में सहयोग किया तथा प्रसिद्ध हिंदू कॉलेज (1817) व कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की स्थापना में भी अग्रणी भूमिका निभाई।
- उन्होंने उदारवादी तथा प्रतिक्रियावादी विचारों का प्रसार करने के लिए अंग्रेजी व बंगाली पुस्तकों का प्रकाशन आरंभ किया तथा स्कूल बुक सोसाइटी नामक संस्था में छापाखाना तथा प्रकाशन विभाग भी खोला।
- वह राजा राम मोहन राय के समाज-सुधार कार्यक्रम से भी जुड़े रहे तथा हेनरी विलियन डिराजियो के यंग बंगाल के प्रतिक्रियावादी, सुधारवादी आंदोलन से भी संबद्ध रहे।
अलूरी सीताराम राजू 1847-1924
- ये आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले गैर-आदिवासी थे।
- उन्होंने रम्पा नामक आंध्र प्रदेश की एक जाति के साथ मिलकर ब्रिटिश अत्याचार के विरुद्ध आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। वह एक ज्योतिषी तथा चिकित्सक भी थे।
- अलूरी सीताराम राजू जनजातियों में गांधीवादी सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए पंचायत में कार्य किया तथा शराबबंदी के विरुद्ध आंदोलन चलाया।
- अंत में उन्होंने सरकार विरोधी छापामार युद्ध का संचालन किया। इस युद्ध को कुचल दिया गया तथा उन्हें गोली मार दी गई (1924) ।
राजेन्द्र-प्रसाद 1884-1963
- राजेन्द्र-प्रसाद ने गांधी जी के साथ चंपारण (1917) में राष्ट्रीय आंदोलन में हिस्सा लिया तथा जीवनपर्यन्त एक गांधवादी रहे।
- उन्होंने पटना में राष्ट्रीय कालेज की स्थापना की तथा 1946 की अंतरिम सरकार में शामिल हुए।
- वह संविधान सभा के सभापति मनोनीत् हुए।
- गणतंत्र बनने पर वह भारत के पहले राष्ट्रपति बने तथा अकेले ऐसे राष्ट्रपति रहे जो लगातार दो बार निर्विरोध चुने गए।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी 1879-1972
- उनका जन्म सेलम (तमिलनाडु) में हुआ उन्होंने 1919 में गांधी जी के आह्वान से प्रेरित होकर बैरिस्टर का कार्य छोड़ दिया तथा असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। उनका उपनाम राजाजी था।
- सन 1930 में उन्होंने प्रसिद्ध नाटक ‘मार्च’ त्रिचिरापल्ली से लेकर वेदारण्यम (तंजौर नट) का आयोजन किया।
- अपने मुख्यमंत्रितत्व के काल में (1937-38, मद्रास) उन्होंने मंदिर प्रवेश एक्ट पारित किया तथा पूर्ण शराबबंदी लागू की।
- उनके प्रसिद्ध सी.आई. फार्मूला में भारत के मुसलमानों को स्वायत्तता तथा आजादी के पश्चात् भारतीय संघ से अलग होने का अधिकार भी प्रदान किया गया था, परंतु यह फार्मूला मुस्लिम लीग ने अस्वीकार कर दिया था।
- वह स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर-जनरल बने (1948-50)।
- स्वतंत्रता के पश्चात् वह भारत के गृहमंत्री भी बने तथा बाद में उन्होंने स्वतंत्र पार्टी का भी गठन किया। उनके समाजवादी विचारों का संकलन उनकी पुस्तक सत्यमेव जयते में मिलता है।
मुख़्तार अहमद अंसारी
- यह पेशे से एक चिकित्सक थे और 1912-1913 में वह तुकों में चिकित्सा मिशन पर गए थे।
- उन्होंने दिल्ली की राजनीति में बहुत अधिक भागीदारी की तथा होम रूल लीग, रोलेट सत्याग्रह, खिलाफत तथा असहयोग आंदोलन में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया।
- सन् 1928 में हुई सर्व पार्टी अखिल भारतीय सभा का सभापतित्व किया।
- वह एक महान शिक्षाशस्त्री भी थे तथा अलीगढ़ में जामिया मिलिया की स्थापना में बहुत सहयोग दिया।
बदरुद्दीन तैयबजी 1844-1906
- उनका जन्म एक अभिजात्य या संभ्रात परिवार में हुआ वह बंबई में प्रथम भारतीय बैरिस्टर बने।
- बदरुद्दीन तैयबजी को 1895 तथा 1902 में बंबई बेंच में नियुक्त किया गया तथा वे दूसरे भारतीय प्रधान न्यायधीश बने।
- संयोगवंश जब तिलक पर केसरी में प्रकाशित लेख पर मुकदमा चला, तब वे ही उस मुकदमे के न्यायाधीश थे- बदरुद्दीन तैयबजी ने उन्हें जमानत दे दी थी।
- वह बंबई प्रेसीडेंसी एसोसिशन तथा कांग्रेस के संस्थापको में से थे।
- उन्होंने 1887 के मद्रास अधिवेशन की अध्यक्षता भी की।
- वह मुस्लिम समाज-सुधार आंदोलन से भी संबंधित थे तथा अंजुमनए-इस्लाम नामक मुस्लिम सुधारवादी संस्था के अध्यक्ष भी रहे। यह संस्था मुसलमानों के लिए आधुनिक शिक्षा, तथा उनमें व्याप्त लिंगभेद को समाप्त करने के लिए प्रयासरत थी।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1901-1953
- श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जनसंघ के संस्थापक तथा दक्षिण पंथी राजनीतिज्ञ थे।
- वह हिंदू महासभा के भी सदस्य रहे। वह कलकत्ता विश्वविद्यालय के वाईस चांसलर बने।
- 1937 में राजनीति में आकर वे बंगाल लेजिस्लेटिव असेम्बली में निर्वाचित हुए।
- नेहरू के केबिनेट में वह मंत्री भी रहे। परन्तु उन्होंने त्यागपत्र दे दिया।
- उनके विचारों को मुस्लिम तथा ईसाई विरोधी माना जाता था।
आचार्य नरेंद्र देव 1889-1956
- ये महान समाजवादी नेता, राष्ट्रवादी तथा शिक्षाविद थे तथा उनका पेशा वकालत था।
- असहयोग आंदोलन के दौरान वह सबसे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने सी.आर.दास की तरह वकालत छोड़ राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित होने का निर्णय लिया था।
- वह कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक थे, जिसकी शुरुआत 1934 में हुई थी तथा इसका मुख्य उद्देश्य समाजवादी का निर्माण करना था।
- वह काशी विद्यापीठ के प्राचार्य तथा लखनऊ व बनारस विश्वविद्यालय के उप-कुलपति भी रहे।
बल्लभ भाई पटेल 1875-1950
- बल्लभ भाई पटेल भारत के लौह पुरुष तथा सरदार के नाम से विख्यात थे।
- उन्होंने स्वतंत्रता पश्चात् भारतीय रजवाड़ों का भारत में विलय करने का अति कठिन परंतु विलक्षण कार्य किया।
- उन्होंने खेड़ा सत्याग्रह से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की तथा गांधी जी के नेतृत्व में उन्होंने उन किसानों का लगान माफ करने को संघर्ष किया, जिनका उत्पादन 25 प्रतिशत से कम था।
- 1927 में बारदोली के किसानों के लिए आंदोलन किया, जिसमें उन्होंने लगान की दर बढ़ाने का विरोध किया।
- अहमदाबाद नगर निगम को उन्होंने एक साधारण संस्था से लोगों के प्रतिनिधित्व वाली संस्था बना दिया।
- सन् 1913 में वह कांग्रेस अध्यक्ष बने तथा संविधान सभा के सदस्य भी रहे।
- स्वतंत्रता पश्चात् वे देश के पहले उपप्रधानमंत्री भी बने।
खुदीराम बोस (1889-1908)
- खुदीराम बोस का जन्म मिद्नापुर (बंगाल) में हुआ।
- बंग-भंग के विरोध में उन्होंने स्वदेशी आंदोलन में भाग लिया। वह क्रांतिकारी विचारधारा से प्रेरित थे।
- उन्होंने हरगाचा में सरकारी विभाग की डाकघर की डकैती में हिस्सा लिया था।
- उन्होंने बंगाल के गवर्नर की रेलगाड़ी पर बम से हमला किया नारायणगढ़ स्टेशन, (1907) उनका सबसे जोखिमपूर्ण कार्य था।
- बंगाल के मुजफ्फरपुर क्षेत्र के बदनाम जार्ज किग्सफोर्ड की गाड़ी में सवार दो महिलाओं की मृत्यु हुई (1909)।
- प्रफुल्ल चाकी भी उनके साथ इस वारदात में शामिल थे।
- उन्हें गिरफ्तार किया गया और मुकदमे के पश्चात् 19 वर्षीय इस महान शहीद को मृत्युदंड मिला।
- उनकी याद में बाद में बहुत सारे देशभक्ति से पूर्ण गीतों का संग्रह लिखा गया।
आसफ़ अली 1888-53
- आसफ़ अली पेशे से वकील थे गांधी जी के आहवान पर उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया तथा वकालत छोड़ दी।
- इससे पहले वह होमरूल आंदोलन जैसे- राष्ट्रव्यापी आंदोलन से भी जुड़े रहे थे।
- वह सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के सदस्य भी रहे (1935-47) तथा बाद में भारत सरकार की एक्ज्यूक्टिव काउंसिल (कार्यकारिणी परिषद) के भी सदस्य रहे (1946-47)।
- वह स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात वाशिंगटन में भारत के पहले राजदूत के रूप में नियुक्त किए गए तथा उसके पश्चात् वह उड़ीसा राज्य के गवर्नर भी रहे।
सैफुद्दीन किचलू 1888-1963
- सैफुद्दीन किचलू गांधीवादी नेता थे तथा 1919 के आंदोलन में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई।
- सैफुद्दीन किचलू तथा डा. सत्यपाल की गिरफ्तारी ने पंजाब में काफी गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी थी।
- वह काफी प्रसिद्ध वकील रहे।
- दिल्ली तथा मेरठ षड़यंत्रों केसों में उन्होंने राष्ट्रवादियों की मुक्ति के लिए केस लड़े।
- उन्होंने अखिल भारतीय शांति कौंसिल बनाई।
- 1954 में उन्हें स्टालिन शांति सम्मान भी दिया गया।
चंद्र शेखर आजाद 1908-31
- असहयोग आंदोलन में गिरफ्तारी के बाद उन्होंने अपने ऊपर चले मुकदमें में कोर्ट में अपना नाम आजाद बताया तथा राष्ट्रीय आंदोलन के शुरुआती दौर में ही वह अपने आप को आजाद समझने लगे थे।
- वह भारत की स्वतंत्रता के लिए क्रांतिकारी तरीकों का समर्थन करते थे।
- वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक थे।
- काकोरी षड़यंत्र केस में उन्होंने भाग लिया (1925)।
- उनकी प्रधानता में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में तब्दील हुई।
- वह अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे, जैसे- लाहौर षड़यंत्र केस, दिल्ली षड़यंत्र केस, दिल्ली असेम्बली बम केस (जिसमें भगत सिंह तथा बटुकेशवर दत्त ने केंद्रीय असेम्बली में बम फेंका था)।
- गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में स्वयं को गोली मार ली थी।
गोपाल गणेश अगरकर 1856-95
- उन्होंने तिलक से मिलकर मराठा( अंग्रेजी) तथा केसरी (मराठी) पत्रिकाओं में कार्य किया।
- उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध प्रचार किया तथा राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रचार किया।
- सुधारक मानक पत्रिका का संपादन कार्य कर वे हिंदु समाज में अस्पृश्यता का विरोध करते रहे तथा तिलक से अलग वे प्राचीन सभ्यता की झूठी प्रशंसा के प्रतिरोधी थे।
- तिलक के साथ सहयोग से उन्होंने पूना में प्रसिद्ध फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की।
स्वामी श्रद्धानंद 1856-1926
- स्वामी श्रद्धानंद प्रमुख आर्य समाजी थे।
- उन्होंने गुरुकुल शिक्षा का प्रचार करने के लिए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की (1902), जिसका मुख्य उद्देश्य था हिंदु धर्म छोड़कर गए हुए लोगों का फिर से हिंदू धर्म में धर्मातरंण करना।
- वह सभा के सभापति भी चुने गए।
- उन्होंने, सत्य धर्म प्रचारक का संपादन भी किया।
मानवेन्द्रनाथ रॉय 1887-1954
- मानवेन्द्रनाथ रॉय साम्यवादी नेता थे जिन्होंने लेनिन के साथ मिलकर राष्ट्रीय तथा उपनिवेशी प्रश्नों पर शोध प्रारूप, प्रस्तुत किया था।
- 1920 में उन्होंने ताशकंद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना लोगों के साथ मिलकर की, जो बाद में कानपुर में संगठित होकर कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के नाम से गठित हुई।
- ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कम्युनिस्ट षड़यंत्र के चलते गिरफ्तार किया था। उन्होंने 1940 में कांग्रेस में भी भाग लिया।
- परंतु गांधी विचारधारा से उन्हें संतुष्टि नहीं मिली तथा उन्होंने कांग्रेस छोड़कर रेडिकल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया। परंतु उन्हें सन् 1944 में यह पार्टी निलंबित करनी पड़ी क्योंकि यह आशानुरुप कार्य नहीं कर पाई।
- उन्होंने इंडिया इन ट्राजिशन नामक पुस्तक लिखी।
विपिन चंद्र पॉल 1858-1932
- उनका जन्म पोइल (सिलहट) में हुआ। बिपिन चंद्र पाल बंगाल पुर्नजागरण के अग्रणी नेता थे।
- अरबिंदो घोष ने उन्हें राष्ट्रवाद का मसीहा भी कहा था- अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने समाज सुधारक के रूप में की तथा हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए कार्य किया।
- उन्होंने एक विधवा से विवाह किया तथा 22 वर्ष की अवस्था में उन्होंने परिदेशिक पत्रिका का संपादन भी किया। बाद में उन्होंने न्यू इंडिया (1901) तथा बंदे मातरम (1906) का संपादन कार्य भी किया।
- उन्होंने नरमपंथियों की राजनीति का कांग्रेस से विरोध किया तथा सत्याग्रह का आह्वान किया।
- स्वदेशी आंदोलन के दौरान ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार एवं उनके संस्थानों तथा सेवाओं का विरोध किया। उनके द्वारा स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार किया गया।
- उनके ओजस्वी भाषणों ने नौजवानों को राष्ट्रवादी आंदोलन में भाग लेने के लिये प्रेरित किया। वह भारत में सत्ता का विकेंद्रीकरण करने तथा स्थानीय निकायों को अधिक शक्तियां प्रदान करने के पक्ष में थे।
- उन्होंने भारत से ड्रेन ऑफ वेल्थ की निंदा की तथा इस पर रोक लगाने को कहा।
- उन्होंने आसाम के चाय बागानों में कार्यरत श्रमिकों के लिए आवाज उठाई तथा मजदूरों को दिये जाने वाले भत्तों में बढ़ोत्तरी करने के लिए संघर्ष किया।
सच्चिदानंद सिन्हा 1871-1950
- सच्चिदानंद सिन्हा का जन्म आरा बिहार में हुआ, उन्होंने होम रूल आंदोलन में भाग लिया तथा केंद्रीय तथा प्रांतीय असेंबलियों में चुने गए।
- उन्होंने पटना विश्वविद्यालय के वाईस-चांसलर के पद पर भी कार्य किया (1936-1944)।
- वह संविधान सभा के अंतरिम सभापति भी रहे दिसम्बर, 9, 1946) उनकी प्रकाशित पुस्तक का नाम है इंडियन नेशन।
जमनालाल बजाज 1844-1942
- ये प्रख्यात उद्योगपति थे तथा उन्होंने कांग्रेस के खंजाची के रूप में अनेक वर्षों तक कार्य किया। असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने ब्रिटिश सरकार से मिली ‘राजा बहादुर’ की पदवी को वापिस कर दिया था। उन्होंने गांधी सेवा संघ, गौसेवा संघ, सस्ता साहित्य मंडल की स्थापना की तथा वर्धा के सत्याग्रह आश्रम की स्थापना के सहयोगी रहे। उन्होंने ग्रमीण उद्योग धंधों के लिए प्रेरणा दी तथा हरिजन उद्धार का भी कार्य किया। उन्होंने सीगांव, नामक ग्राम गांधीजी को दान कर दिया, जिसका नाम बदलकर ‘सेवाग्राम’ रखा गया|
अमृतलाल विट्ठललाल (ठक्कर बापा) 1869-1951
- इनका जन्म भावनगर में हुआ।
- ठक्कर बापा ने अपने कैरियर की शुरुआत एक इंजीनियर के रूप में की परंतु बाद में बंबई नगर निगम से इस्तीफा देकर वह आदिम जन-जातियों तथा दलित-अधिकारों की रक्षार्थ कार्य करने लगे।
- शुरुआत में वह सर्वेट ऑफ इंडिया सोसाइटी के सदस्य थे परंतु बाद में उन्होंने भील-सेवा-मंडल का गठन किया तथा काफी समय तक भारतीय आदिम जनजाति के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे।
- जब गांधी जी ने हरिजन सेवक संघ की स्थापना की तो वह इसके सचिव बने तथा उन्होंने गांधी जी के साथ मालिन बस्तियों का दौरा किया।
- वह भारतीय रियासतों में प्रारंभ हुये राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित रहे तथा बाद में संविधान-सभा के सदस्य भी बने।
लाला लाजपत रॉय 1856-1924
- उनका जन्म पंजाब, लुधियाना में हुआ। उन्हें शेरे-पंजाब व पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता था।
- उन्होंने आर्य समाज तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में हिस्सा लिया।
- अपने अतिवादी विचारों के कारण वह बिपिन चंद्र पाल, लोकमान्य तिलक के संपर्क में आए तथा वह गरमपंथी त्रिमूर्ति के एक महत्वपूर्ण सदस्य बने।
- ये सयुंक्त रूप से- ‘लाल, बाल, पाल’ के नाम से जाने जाते थे।
- भारतीय स्वतंत्रता के लिए समर्थन जुटाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर गए। उन्होंने अमेरिका तथा ब्रिटेन का दौरा किया।
- उन्होंने गांधी जी के असहयोग आंदोलन की शुरुआत तथा उसके वापिस लेने दोनों का ही विरोध किया।
- उन्होंने स्वराजिस्ट पार्टी में शामिल होकर 1923 तथा 1926 की लेजिस्लेटिव कॉसिलों में हिस्सा भी लिया। उन्होंने पंजाबी, दि पीपल, दि बंदे मातरम का संपादन भी किया।
- साईमन कमीशन के विरोध में हुए एक प्रर्दशन के दौरान वह गंभीर रूप से घायल हुए (नवम्बर, 1927) तथा कुछ दिनों बाद उनकी चोटों के कारण मृत्यु हो गयी।
श्री नारायण गुरु 1845-1928
- श्री नारायण गुरु केरल की अछूत समझने वाली दलित जाति इर्जावा से संबंधित थे।
- उन्होंने ब्राह्मणवाद की सत्ता का विरोध किया तथा इसके लिए उन्होंने श्री नारायण धर्म (एस.एन.डी.पी.) की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य था- सामाजिक एकता, स्कूलों में अछूत जातियों का प्रवेश, मदिरों में प्रवेश, तालाबों, सड़कों का उपयोग सरकारी नौकरी में प्रतिनिधित्व, असेम्बलियों में प्रतिनिधित्व इत्यादि।
- उन्होंने दलित जातियों के दमन के विरुद्ध सफलतापूर्वक आवाज उठाई तथा उनके आत्म-सम्मान के लिए कार्य किया।
मोहम्मद अली जिन्ना 1876-1948
- मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म कराची में हुआ। दादा भाई नौरोजी तथा गोपाल कृष्ण गोखले से प्रभावित होकर उन्होंने 1906 में राजनीति में प्रवेश किया।
- उन्होंने शुरुआती दौर में सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली का विरोध किया। लेकिन बाद में वह उसके समर्थक बने और कहा जब तक पूर्ण निर्वाचन का मताधिकार न मिले प्रथम निर्वाचन मंडल (मुसलमान के लिए) जारी रहने चाहिए।
- 1916 के लखनऊ समझौते में उन्होंने मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस को एक मंच पर लाने के लिए एक तरह से राजदूत की भूमिका निभाई बाद में गांधी जी के साथ खिलाफत तथा असहयोग के मसले पर उनके मतभेद हुए। परन्तु वह राष्ट्रवादी विचारधारा तथा हिंदू मुस्लिम एकता के दूत बने रहे।
- 1928 में नेहरु रिपोर्ट के समकक्ष उन्होंने चौदह सूत्रीय कार्यक्रम रखा, जो 1939 तक लीग की राजनीति में प्रमुख रहा।
- इसके पश्चात् वह द्विराष्ट्र सिद्धांत के कट्टर समर्थक बन गए और यह अधिकार जताया कि भारत में मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांतों पर केवल मुस्लिम लीग का ही अधिकार है और वे ही भारत में मुसलमानों के सच्चे हितैषी हैं।
- पाकिस्तान बनने के बाद वे वहां के प्रथम गवर्नर जनरल बने उन्हें ‘कायदे आज़म’ या ‘महान नेता’ के नाम से भी जाना जाता है।
दादाभाई नौरोजी 1825-1917
- भारतीय राष्ट्रवाद के पितामह तथा महान वृद्ध भारतीय के उपनाम से विख्यात रहे दादाभाई का जन्म (बंबई) में हुआ।
- उन्होंने ही सबसे पहले अपनी पुस्तक पावर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया (1900), में वर्णित अध्याय दि इंडियन डैट टू ब्रिटिश में ड्रेन थ्योरी के बारे में लिखा, जिसमें उन्होंने ब्रिटेन के भारत आर्थिक-शोषण का उल्लेख किया।
- वह भारत में स्थापित प्रथम वाणिज्यक कंपनी के सहयोगी रहे तथा डब्ल्यू.सी. बेनजी के सहयोग से उन्होंने लंदन इंडियन सोसाईटी की स्थापना की।
- वह तीन बार कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष मनोनीत किए गए (1886, 1893 तथा 1906) तथा हाउस ऑफ कामन्स में उदारवादी पार्टी के उम्मीदवार बन ब्रिटिश पालियमेंट में पहले भारतीय सदस्य चुने गए।
- राजनीतिक तथा अन्य अधिकारों की मांग के लिए उन्होंने, मासिक पत्रिका, दि वाइस ऑफ इंडिया का भी संपादन किया। वह पारसी समाज सुधार से भी संबंधित रहे तथा समाज सुधारक सभा रहनुमाई मसदयान सभा की भी स्थापना की।
- उनका संबंध गुजराती अखबार रास्तगुफ्तार के प्रकाशन से भी रहा।
लाला हरदयाल 1884-1939
- इनका जन्म दिल्ली में हुआ। वह सत्याग्रह के पक्षधर थे। उन्होंने कई व्यक्तियों के राजनीतिक जीवन को प्रभावित किया, जिसमें लाला लाजपत राय भी शामिल थे।
- सन् 1913, में उन्होंने सान फ्रांसिस्को में गदर पार्टी की स्थापना की तथा गदर नामक अखबार भी निकाला।
- ब्रिटिश विरोधी कारवाईयों के कारण उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ा तथा वे यूरोप में आ बसे।
- उन्होंने जर्मनी में इंडियन इंडिपेंडेंस कमेटी की स्थापना की तथा उनके ओरिएण्टल ब्यूरो, ने स्वतंत्रता से संबंधित अनेकों पुस्तकों का अनुवाद किया। वह राष्ट्रीय शिक्षा में यकीन रखते थे। उनकी लिखी हुई पुस्तक का नाम है हिंट्स फार सेल्फ कल्चर एंड वेल्थ ऑफ नेशन्स।
स्वामी सहजानंद सरस्वती 1889-1950
- स्वामी सहजानंद सरस्वती बिहार के किसान नेता थे।
- उन्होंने बिहार किसान सभा की स्थापना की तथा 1936 में लखनऊ में अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष बने। वह कृषि सुधारों के समर्थक थे।
- वह जमींदारी प्रथा उन्मूलन, कर घटाने, जमीन किसानों को देने के पक्षधर थे।
- उन्होंने किसानों की समस्याओं का उल्लेख अपने संपादित कार्यो, भूमिहारी ब्राह्मण, लोक सघर्ष में किया है।
- उन्हें किशन प्राण के नाम से भी जाना गया।
- उन्होंने शुरुआती आंदोलनों में कांग्रेस का समर्थन किया परन्तु कांग्रेस के किसानों के प्रति उदासीन रवैया के कारण उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में कांग्रेस का समर्थन नहीं किया।
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर 1820-91
- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर जन्म बंगाल (हुगली) में हुआ।
- विद्यासागर ने अपना सारा जीवन हिंदू विधवाओं के पुनरुत्थान में लगा दिया।
- उनके प्रयासों से विधवा विवाह अधिनियम, 1856 पारित किया गया, जिसके कारण उन्हें पुरातनपंथी वर्ग का घोर विरोध भी सहना पड़ा तथा अपने परिवार के विरोध का भी सामना करना पड़ा।
- उन्होंने अनेक विधवा पुनर्विवाह सपन्न किए तथा अपने पुत्र का विवाह भी विधवा से ही किया। इसके साथ-साथ वह बहुविवाह तथा बाल विवाह के विरोध में भी कार्य करते रहे।
- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर बंगाली भाषा के प्रमुख लेखक भी थे। उनकी प्रसिद्ध रचनाएं हैं- बर्नापारिचयो, कोठमोला, चरिताबोली, उपक्रमणिका तथा बैताल पंजाबगंसती।
अजित सिंह
- ये पंजाब के राष्ट्रवादी क्रांतिकारी थे।
- इन्होंने लाला लाजपत राय के साथ मिलकर राजनीतिक कार्य किया। अपनी ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों के कारण 1907 में गिरफ्तार किए तथा उन्हें सजा के तौर पर बर्मा (मांडले) निर्वासित किया गया।
- उन्होंने भारत माता समाज का गठन किया तथा पेशवा नामक पत्रिका भी प्रकाशित की।
- गिरफ्तारी से बचने के लिए वह पश्चिमी विश्व में रहने लगे, जहां उन्होंने गदर आंदोलन में सहयोग किया 15 अगस्त 1947 को उनकी मृत्यु हुई।
महादेव गोविन्द रानाडे 1842-1901
- महादेव गोविन्द रानाडे महाराष्ट्र के समाज-सुधारक थे तथा अनेकों सामाजिक व राजनीतिक संस्थाओं से संबद्ध रहे जिनमें प्रमुख थीं- पूना सार्वजनिक सभा, सोशल कांफ्रेस, इंडस्ट्रियल कांफ्रेस, प्रार्थना समाज तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।
- उन्होंने जाति प्रथा का विरोध तथा लिंग भेद असमानता को समाप्त करने का कार्य किया तथा शिक्षा का प्रसार करना, कृषि मजदूरों को शोषण से बचाना इत्यादि उनके अन्य कार्य थे।
- वह समाज में बदलाव के लिए कार्यकारी तथा व्यवस्थापिका के द्वारा कानून पारित करवाना चाहते थे।
- वह बम्बई हाई कोर्ट के जज भी रहे।
ए. के. फ़जल हक 1873-1962
- ये बंगाल के सुप्रसिद्ध मुस्लिम नेता तथा ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के संस्थापको में से एक थे लखनऊ समझौते (1916) के दौरान उन्होंने कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के मध्य समझौता वार्ता में प्रमुख भूमिका निभाई।
- उन्होंने गोलमेज सम्मेलन में मुस्लिम लीग के सदस्य के रूप में भाग लिया (1930-33) परंतु बाद में लीग में यू.पी. के सदस्यों के वर्चस्व के कारण उन्होंने लीग को छोड़ दिया तथा कृषक प्रजा पार्टी का गठन किया।
- 1937 के चुनावों में लीग के साथ मिलकर बंगाल में साझा सरकार बनाई।
- ए. के. फ़जल हक बंगाल के मुख्यमंत्री भी रहे (1938-43)।
सुब्रह्मण्यम भारती 1882-1921
- सुब्रह्मण्यम भारती का जन्म तमिलनाडु के तिनवेली में हुआ।
- वह तमिल के महान राष्ट्रवादी कवि थे।
- उनकी प्रसिद्ध कविताओं में वंदे माथरम तथा पंचाली हैं।
- उन्होंने चक्रवथीनी; इंडिया व बाला भारती का संपादन भी किया।
- उन्होंने स्वतंत्रता के गीत या सांगस् ऑफ फ्रीडम कविता सग्रंह भी लिखा तथा गिरफ्तारी से बचने के लिए वह पांडिचेरी में स्व. निर्वासित जीवन व्यतीत करने लगे तथा अरविंदो घोष भी उनसे काफी प्रभावित हुए।
- उन्होंने गांधी जी के सम्मान में ‘महात्मा गांधी’ कविता भी लिखी।
गोपाल हरी देशमुख 1823-92
- गोपाल हरी देशमुख लोकहितकारी के नाम से भी जाने गए।
- देशमुख पश्चिमी भारत के पहले समाज-सुधारक थे।
- उन्होंने सामाजिक तथा धार्मिक पुरातनपंथी विचारधारा का विरोध किया तथा मानवता, धर्मनिरपेक्ष व नयी विचारों का समर्थन किया।
- उनका यह कहना था कि अगर धर्म समाज-सुधार की प्रक्रिया में अड़चन बनता है तो उसे भी बदल देना चाहिए।
- विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होंने अहमदाबाद में पुनर्विवाह मंडल की स्थापना की।
- वह मराठी पत्रिका लोकहितकारी से भी संबद्ध रहे।
- गोपाल हरी देशमुख इंदुप्रकाश तथा ज्ञानप्रकाश अखबारों में भी संपादन कार्य किया। उन्होंने समाजसुधार के लिए सन् 1851 में परमहंस मंडली की भी स्थापना की थी।
फिरोज शाह मेहता 1845-1915
- फिरोज शाह मेहता बम्बई में पैदा हुए दादा भाई नौरोजी के संपर्क में आने के कारण वह कांग्रेस के नरमपंथी दल के सदस्य रहे।
- उग्रपंथी नेताओं- अरविंदो घोष, बाल-पाल तथा लाल का विरोध करते रहे।
- 1892 में वह इंपिरियल कौंसिल में चुन लिए गए।
- सूरत कांग्रेस के बाद वह लाहौर कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।
- उन्होंने बोम्बे क्रोनिकल की शुरुआत भी की तथा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की।
- उन्हें बंबई का बेताज बादशाह कहा जाता था।
सरोजनी नायडू 1879-1949
- सरोजनी नायडू भारत कोकिला, के नाम से प्रसिद्ध थीं, वह पहली भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष चुनी गई (कलकत्ता, 1925)।
- गोखले से प्रभावित होकर उन्होंने 20वीं सदी के शुरुआती वर्षों में राजनीति में प्रवेश किया।
- उन्होंने हर गांधीवादी आंदोलन में भाग लिया।
- उन्होंने स्त्री शिक्षा हेतु, अनेकों कन्या स्कूल खोले तथा अनाथालयों की स्थापना की।
- उन्होंने अनेकों पुस्तकें लिखीं। उनमें प्रमुख हैं- दि गोल्डन थ्रेशहोल्ड, दि फिदर ऑफ डॉन, दि बर्ड ऑफ टाइम (1912) तथा ब्रोकन विंग (1919)।
एलन ओक्टोवियन ह्यूम 1829-1912
- ये भारत में भारतीय सिविल सेवा के सदस्य के रूप में आए परंतु उन्होंने ब्रिटिश सरकार की भारत-विरोधी तथा भेदभावपूर्ण नीतियों का विरोध किया।
- इन्होंने पुलिस सुपरिडेंट्ड को दी गई न्यायकि शक्तियों का घोर विरोध किया, जिसके कारण लार्ड लिटन की सरकार ने उन्हें प्रशासन से बाहर कर दिया।
- वह कांग्रेस के प्रारंभिक सदस्यों में से थे तथा इसके सचिव भी रहे परंतु उन्हें यह भ्रम था कि कांग्रेस ‘सेफ्टी वाल्व’ की तरह कार्य कर ब्रिटिश साम्राज्यवाद का सहयोग करेगी। उन्होंने इंडिया नामक पत्रिका का लंदन से 1899 में प्रकाशन भी आरंभ किया।
- ये इटावा में मुफ्त स्कूल की योजना से संबंधित रहे तथा छात्रवृति शुरू की और बाल-अपराधी सुधार विद्यालय की स्थापना में सहयोग दिया।
गोविन्द बल्लभ पन्त 1889-1961
- वह राष्ट्रवादी नेता थे उन्होंने स्वराज्य की स्थापना पर बल दिया तथा सभी गांधीवादी आंदोलन में भाग लिया, विशेषकर सविनय अवज्ञा आंदोलन में।
- गोविन्द बल्लभ पन्त ने यू.पी. में कृषि सुधार के लिए पंत रिपोर्ट पेश की 1927 में वह यू.पी. के मुख्यमंत्री बने तथा स्वतंत्रता पश्चात् वह राज्य के मुख्य मंत्री बने तथा जमींदारी प्रथा का उन्मूलन किया।
- भारत के गृह मंत्री के रूप में उन्होंने राज्य पुनर्गठन में सहयोग किया।
एनी बेसंट 1847-1933
- एनी बेसंट एक आयरिश महिला थीं तथा उनका भारत आगमन 1893 में थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य के रूप में हुआ।
- वह भारत की प्राचीन सम्यता से प्रभावित थीं।
- एनी बेसंट ने उच्च शिक्षा के प्रसार हेतु कार्य किया तथा केंद्रीय हिंदू स्कूल व कॉलेज की स्थापना की, जो बाद में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बना।
- उन्होंने गीता की अनुवादित पुस्तक लोट्स सांग, का भी प्रकाशन किया।
- एनी बेसंट ने कांग्रेस में उस समय भाग लिया, जब संस्था मुशिकल में थी। उनके प्रयासों से उग्रपंथी कांग्रेस में वापस आए।
- सितंबर 1916 में उन्होंने होम रूल लीग की स्थापना की तथा इसकी शाखाओं को भारत के अनेक भागों में स्थापित किया तथा भारतीयों को होमरूल देने के लिए आंदोलन का संचालन किया।
- उन्होंने न्यू इंडिया तथा कॉमनवील नामक दो पत्रिकाओं का संपादन किया तथा कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष बनी (1917)।
- परंतु मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों को लेकर गांधी जी के साथ मतभेद होने पर तथा असहयोग आंदोलन की सार्थकता को लेकर गांधी जी से वैचारिक संघर्ष के कारण उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया।
मेडलिन स्लेड (मीरा बहन) 1892-1982
- मेडलिन स्लेड एक अंग्रेज महिला थीं।
- उन्होंने गांधी जी के साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) में रहकर सादगी भरा जीवन जीया।
- गांधी जी उन्हें मीरा बहन के नाम से पुकारते थे तथा वह गांधी जी के राजनीतिक व सामाजिक कार्यों में सहभागी रहीं।
- खादी तथा सत्याग्रह का प्रचार करने के लिए उन्होंने देश की यात्रा की तथा स्टेट्समैन, टाईम्स ऑफ इंडिया, यंग इंडिया (गांधी जी द्वारा संपादित) में अनेकों लेखों को लिखा।
- मुलसदपुर में किसानों तथा पशुओं के लिए आश्रम स्थापित करने में वे अग्रणी रहीं।
- सन् 1959 में भारत छोड़ कर वह वियना आस्ट्रिया में जा बसीं।
आचार्य जयराम दौलतराम कृपलानी (आचार्य कृपलानी)
- आचार्य कृपलानी ने अनेक गांधीवादी आंदोलनों में भाग लिया तथा गांधी जी के साथ 1917 में चंपारण का भी दौरा किया।
- 1929 के लाहौर अधिवेशन में वे पंडित नेहरू के भाषण का विरोध करने वाले नेताओं में से थे।
- आचार्य कृपलानी ने हिंदुस्तान मजदूर सभा (1938) की स्थापना में भी सहयोगी रहे।
- भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर वह कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे।
रोमेश चन्द्र दत्त 1848-1909
- रोमेश चन्द्र दत्त राजनीतिक अर्थशास्त्री थे तथा पहले भारतीयों में से थे जिन्होंने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा (1889) में सफलता प्राप्त की।
- उन्होंने 1899 के लखनऊ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की तथा भारत की आर्थिक समस्याओं पर विचार प्रकट किए। ड्रेन ऑफ वेल्थ, गरीबी अकाल तथा भारतीय उद्योगों का ह्रास इत्यादि इन सभी तथ्यों का जिक्र उन्होंने अपनी पुस्तक दि इकोनोमिक हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इंडिया तथा इंडिया इन विक्टोरियन एज तथा इसके अलावा उन्होंने दि हिस्ट्री ऑफ सिविलाईजेशन इन इंडिया में किया है।
बाबा राम चन्द्र
- बाबा राम चन्द्र राष्ट्रवादी तथा किसान नेता थे।
- उन्होंने मुख्यतः प्रतापगढ़ के क्षेत्र के किसानों के मध्य कार्य किया। असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने अवध तथा आसपास के क्षेत्रो के किसानों को संगठित किया।
- वह किसानों को संगठित करने के लिए रामचरितमानस के प्रसंगों का सहारा लेते थे।
- परंतु उनके अतिवादी विचारों के कारण कांग्रेस से उनका मोह भंग हो गया तथा 1930 के बाद उन्होंने कांग्रेस संगठन से किनारा कर लिया।
- परंतु वह किसानों के अधिकारों के लिए संघर्षरत रहे तथा जमींदारी उन्मूलन बेदखली के विरुद्ध भूमिकर घटाने संबंधी किसानहित मुद्दों पर कार्य करते रहे।
मोती लाल नेहरु 1861-1831
- मोती लाल नेहरु एक सफल वकील थे तथा उन्होंने होमरुल आंदोलन में राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत की।
- स्वराज्य तथा होमरुल के विचारों का प्रसार करने के लिए उन्होंने इंडिपेंडेंट पत्रिका की शुरुआत की।
- जालियांवाला बाग घटना की जांच कार्यवाही में वे कांग्रेस की तरफ से अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
- असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने वकालत छोड़ दी और उसमें सम्मिलित हुए परन्तु गांधी जी द्वारा आंदोलन बंद कर दिये जाने के कारण उन्होंने सी.आर.दास के सहयोग से सन् 1925 में स्वराज पार्टी का गठन किया।
- उनका सबसे प्रसिद्ध कार्य था नेहरु कमेटी की रिपोर्ट, जिसमें उन्होंने भारत के संविधान का प्रारुप तैयार किया था।
राम मनोहर लोहिया लोहिया 1910-1968
- राम मनोहर लोहिया लोहिया समाजवादी नेता थे, जिन्होंने आचार्य नरेन्द्र देव तथा जयप्रकाश नारायण के साथ मिलकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया (1934) ।
- 1936 में वह कांग्रेस के विदेश विभाग के प्रमुख नियुक्त हुए तथा इस काल से उन्होंने अनेक विदेशी देशों के साथ बेहतर संबध बनाए।
- स्वतंत्रता पश्चात् वे गोवा में राजनीतिक आन्दोलन चलाने में अग्रणी रहे।
- वह चाहते थे कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाए।
आनंद मोहन बोस
- वह 1876 में निर्मित इंडियन एसोसियेशन के संस्थापक सचिव थे तथा ऑल इंडिया कांफ्रेंस के सक्रिय सदस्य रहे। इस संस्था को कांग्रेस की पूर्व संस्था की एक महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है (1883)।
- सुरेन्द्र नाथ बनर्जी के सहयोग से उन्होंने; वर्नाकुलर प्रेस एक्ट, इलबर्ट बिल, आदि मुद्दों पर विरोध प्रकट किया तथा सिविल सेवा के लिए आयु घटाने के प्रस्ताव का समर्थन किया।
- वह कांग्रेस के 1898 मद्रास अधिवेशन के अध्यक्ष भी रहे।
- आनंद मोहन बोस ब्रह्म समाज के साथ भी संबद्ध रहे तथा साधारण ब्रह्म समाज के वह पहले अध्यक्ष चुने गए।
मोहम्मद इक़बाल 1873-1938
- मोहम्मद इक़बाल उर्दू एवं फारसी के महान कवि और दार्शनिक थे।
- उन्होंने नया शिवाला, तराने हिंद तथा हिमालय नामक देश भक्तिपूर्ण गीतों की रचना की थी।
- परन्तु उनकी बेहतरीन रचनाएं बाल-ए-जिब्रेल (उर्दू) तथा रामुज-बेखुदी (पारसी) एवं जावेदनामा (पारसी) हैं।
- उन्होंने नौजवानों को कर्म तथा आत्मविश्वास बनाने की बात पर बल दिया।
- उनका भी सपना एक इस्लामी राज्य की स्थापना करना था किन्तु वह जिन्ना की सोच से काफी भिन्न था।
राना महेंद्र प्रताप 1886-1964
- राना महेंद्र प्रताप एक राज परिवार से संबंधित युवक थे तथा देश की आजादी के लिए उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन किया।
- 1915 में उन्होंने आजाद भारत की अस्थाई सरकार का निर्माण किया।
- उन्होंने तकनीकी या प्रौद्योगिक शिक्षा का समर्थन किया।
- उन्होंने वृंदावन में प्रेम विद्यालय की स्थापना की।
- उन्होंने दो अखबारों प्रेम (हिंदी) तथा निर्मल सेवक (हिंदी-उर्दू) का प्रकाशन भी किया।
गणेश वासुदेव मावलंकर 1888-1956
- गणेश वासुदेव मावलंकर बैरिस्टर का कार्य छोड़ असहयोग आंदोलन में भाग लेकर राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हुए।
- उन्होंने सविनय अवज्ञा तथा भारत छोड़ो आंदोलनों में भाग लिया तथा गिरफ्तार भी हुए व जेल में रहे।
- उन्होंने बंबई लेजिस्लेटिव असेम्बली में स्पीकर का पदभार संभाला तथा अहमदाबाद म्यूनिसिपैलिटि के सभापति रहे।
- गणेश वासुदेव मावलंकर स्वतंत्रता पश्चात् वे लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष नियुक्त हुए।
ई. वी. रामास्वामी नायकर 1879-1973
- वह पेरियार के नाम से भी प्रसिद्ध हुए। वह एक महान समाज-सुधारक थे, जिन्होंने दलित जातियों के उत्थान के लिए कार्य किया।
- उन्होंने ब्राह्मणवादी ग्रंथों जैसे- मनु स्मृति को नकार दिया और दलित जातियों के लिए सेल्फ रेसपेक्ट आंदोलन शुरू किया।
- उन्होंने गांधी जी के सामाजिक समता विचारों से भी विरोध जताया। कुदी अरसू नामक पत्रिका के लेखों द्वारा वह दलित जातियों में समानता तथा सम्मान के लिए जागृति जगाने के लिए लेख भी लिखते रहे।
- उन्होंने द्रविड़ मुनेत्र कषगम की स्थापना की तथा दक्षिण में हिंदी थोपने का भारी विरोध किया।
पट्टाभि सीतारमैया 1940-1954
- पट्टाभि सीतारमैया पेशे से एक डाक्टर थे, उन्होंने 1916 में कांग्रेस में शामिल होकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी तथा कांग्रेस कार्यकारिणी समिति के भी सदस्य रहे।
- वह कांग्रेस के कार्यकारी इतिहासकार भी रहे।
- कांग्रेस के विचारों को फैलाने के लिए उन्होंने अंग्रेजी पत्रिका, जन्मभूमि का भी संपादन किया।
- वह 1939 के कांग्रेस अधिवेशन में गांधी जी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार बने परन्तु सुभाष चंद्र बोस से वह हार गए।
- सन् 1948 में जयपुर अधिवेशन में वह कांग्रेस अध्यक्ष बने। 1952 में वह मध्य प्रदेश के गर्वनर रहे।
रास बिहारी बोस 1886-1945
- रास बिहारी बोस का जन्म पलबिगती (बंगाल) में हुआ, वह एक क्रांतिकारी थे।
- उन्होंने दिल्ली, यू.पी. तथा पंजाब में क्रांतिकारी आंदोलन का संचालन किया।
- दिसम्बर 23, 1912 में दिल्ली के चांदनी चौक में गवर्नर-जनरल लार्ड हार्डिग के काफिले पर उन्होंने बम फेंका तथा उन्होंने और अधिक क्रांतिकारी आंदोलन को संचालन करने की योजना बनाई जो (प्रथम लाहौर षड़यंत्र केस के नाम से जाना गया) परन्तु उनकी योजना विफल रही तथा गिरफ्तारी से बचने के लिए सन् 1915 में वह जापान पलायन कर गये तथा वह एक भगोड़े के रूप में रहने लगे।
- जापान में भी उन्होंने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियां जारी रखीं। उन्होंने वहां इंडियन इंडिपेंडेंस लीग (पहले बैंकाक) की स्थापना की।
- रास बिहारी बोस ने कैप्टन मोहन सिंह को युद्धबंदियों की सेना आजाद हिंद फौज का गठन करने में सहायता प्रदान की तथा सन् 1943 में सिंगापुर में उन्होंने, इंडियन इंडिपेंडेंस लीग, की कमान भारतीय नेता सुभाष चंद्र बोस को सौंप दी।
गोपाल कृष्ण गोखले 1866-1915
- उनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुआ। महात्मा गांधी उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
- गोपाल कृष्ण गोखले की संस्था दक्कन सभा (1896) का उद्देश्य अकाल के दौरान मदद करना, प्लेग महामारी में सहायता करना, भूमि-सुधार कार्य तथा ग्रामीण स्वशासन की स्थापना करना था।
- उन्होंने वेल्बी आयोग के सामने भारत में ब्रिटिश प्रशासन की आर्थिक तथा प्रशासनिक हालत की बुरी व्यवस्था पर गवाही दी थी।
- भूमि बेदखली कानून पर उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी बैंक बनाने का सुझाव दिया तथा बेदखली की जमीन के एवज में बैंकों पर निर्भर होने का भी प्रस्ताव दिया।
- वह कांग्रेस के बनारस अधिवेशन (1905) के अध्यक्ष बने। उसी दौरान स्वराज्य का प्रस्ताव भी पारित किया गया था।
- उन्होंने सरवेंट ऑफ इंडिया सोसाईटी की स्थापना 1907 में की, जिसका उद्देश्य राष्ट्र की सेवा करना था।
- वह भारत में प्रारंभिक शिक्षा के हिमायती थे इसके लिए उन्होंने लेजिस्लेटिव कौंसिल में प्रस्ताव भी पेश किया था। उन्होंने दि क्वार्टरली जनरल का भी संपादन किया।
लोकमान्य तिलक 1886-1920
- इनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ। वह कांग्रेस की उग्रपंथी विचारधारा के नेता थे और प्रसिद्ध त्रिमूर्ति लाल-बाल-पाल के सदस्य थे।
- सामाजिक तौर पर वह पुरानी विचारधारा को मानते थे। परन्तु राजनीतिक तौर पर वह अपने सभी सहयोगियों से काफी आगे थे।
- उनका प्रमुख नारा था स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है मैं इसे लेकर रहूंगा।
- महाराष्ट्र में लोगों को राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने के लिए उन्होंने शिवाजी तथा गणपति उत्सवों का अयोजन किया।
- अप्रैल, 1916 में उन्होंने होम रूल लीग की स्थापना की, जिसका प्रभाव मध्य प्रांत, बरार तथा महाराष्ट्र में काफी अधिक रहा।
- तिलक पश्चिमी शिक्षा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, राजनैतिक स्वतंत्रता तथा प्रेस की स्वतंत्रता को सर्वोपरि मानते थे वह कांग्रेस का दुबारा से पुनर्निर्माण करना चाहते थे। उन्होंने मराठा (अंग्रेजी) केसरी (मराठी) पत्रिकाओं का सपांदन भी किया।
- इसके अलावा गीता रहस्य नामक पुस्तक उनकी श्रेष्ठ कृति है, जिसमें उन्होंने गीता के ऊपर एक बहुत अच्छी व्याख्या लिखी है।
पी. आनंद चारलू 1843-1908
- पी. आनंद चारलू पहले दक्षिण भारतीय थे, जिन्होंने राजनीतिक संस्था बनाई, वह 1884 की मद्रास महाजन सभा के निर्माता थे, जिसका मुख्य उद्देश्य था राजनीतिक जागृति कायम करना।
- वह कांग्रेस के शुरुआती वर्षों के एक सदस्य थे तथा 1895 में इसके अध्यक्ष भी रहे।
- 1903-5 से वह मद्रास लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य भी रहे।
देव प्रसाद गुप्ता
- देव प्रसाद गुप्ता बंगाल के प्रमुख क्रांतिकारी थे।
- उन्होंने चटगांव सशस्त्र विद्रोह में 18 अप्रैल 1923 में सूर्य सेन के साथ मिलकर भाग लिया।
- इसके लिए उन्होंने 17 क्रांतिकारियों के संगठन को तैयार किया था।
- ये गिरफ्तारी से बचने के लिए वह जलालाबाद की पहाड़ियों में जा छिपे थे।
जयप्रकाश नारायण 1902-99
- इनका जन्म पटना के निकट सीताबयीरा में हुआ। उन्हें लोकनायक के नाम से ख्याति प्राप्त हुई।
- वह मार्क्सवादी विचारधारा से प्रेरित थे तथा श्रमिकों दबे-कुचले वर्गों के लिए उन्होंने जीवन पर्यन्त कार्य किया।
- जयप्रकाश नारायण जमींदारी प्रथा के उन्मूलन तथा भारी उद्योगों के राष्ट्रीयकरण के पक्षधर थे।
- जवाहरलाल नेहरु के प्रभाव के कारण उन्होंने कांग्रेस में सम्मिलित होने का निर्णय लिया। उन्हें कांग्रेस के श्रमिक प्रभाग का कार्य उन्हें सौंपा गया।
- कांग्रेस की समाजवादी विचारधारा को प्रभाव में लाने के लिए उन्होंने आचार्य नेरन्द्र देव के सहयोग से कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना की (1934)।
- 1942 के आन्दोलन के दौरान उन्होंने गुप्त संस्था, आजाद दस्ता, का निर्माण कर भूमिगत आंदोलन चलाया।
- आजादी के बाद उन्होंने विनोभा भावे के, भूदान आंदोलन, में भाग लिया तथा 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगायी गई आपातकाल के विरुद्ध जन-आन्दोलन चलाया तथा गिरफ्तारी दी।
- उनकी प्रसिद्धि के कारण जनता पार्टी को 1977 के चुनावों में विजय प्राप्त हुई।
मदन मोहन मालवीय 1861-1946
- वह पेशे से एक वकील थे तथा उनका संबंध कांग्रेस तथा हिंदू महासभा से भी रहा। उन्होंने इलाहाबाद में यू.पी. औद्योगिक संघ की स्थापना की तथा बाद में भारतीय औद्योगिक संस्था बनाने में सहयोग दिया।
- वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक थे तथा बाद में इसके उप-कुलपति रहे।
- उन्होंने नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना भी की तथा इंडियन यूनियन, हिंदुस्तान, अभियान, दया जैसे अखबारों का सपांदन भी किया।
हकीम अजमल खान 1868-1927
- वह विश्व प्रसिद्ध यूनानी चिकित्सक थे। चिकित्सा-विज्ञान के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के कारण उन्हें हफीज उल मुल्क (1908) तथा कैसर-ए-हिंद (1915) सम्मानों से नवाजा गया।
- वे उर्दू तथा फारसी भाषाओं में कविता, शैदा के उपनाम से करते थे।
- उन्होंने मासिक पत्रिका, मुजाला-ए-तिब्बिया का भी प्रकाशन व संपादन किया।
- उन्होंने 20वीं शती के शुरुआती वर्षों में राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया तथा कांग्रेस व मुस्लिम लीग की राजनीति में सक्रिय रहे तथा हिंदु-मुस्लिम एकता के लिए संघर्षरत रहे।
- महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि हिंदु-मुस्लिम एकता तो उनकी सांसों में बसी हुई है।
- उन्होंने दिल्ली में रोलेट सत्याग्रह तथा खिलाफ़त-असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया, इसी दौरान उन्होंने अली बंधुओं के साथ मिलकर, अलीगढ़ में जामिया मिलिया की स्थापना की तथा जिसे बाद में दिल्ली लाया गया। उन्होंने दिल्ली में तिब्बिया विश्वविद्यालय भी स्थापित किया।
कैलाश नाथकाटजू 1887-1969
- कैलाश नाथकाटजू एक वकील थे तथा उन्होंने मेरठ षड़यंत्र केस के अभियुक्तों की पैरवी भी की थी (1933)।
- यूनाइटेड प्रोविन्स के मंत्रालय में वह कांग्रेस के उद्योग, विकास, तथा न्याय मंत्री भी रहे।
- उनका चयन संविधान-सभा के सदस्य के रूप में हुआ। वह केंद्रीय मत्रिमंडल में गृह मंत्री भी रहे तथा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने।
लियाकत अली खान 1895-1951
- लियाकत अली खान मुस्लिम लीग के महत्वपूर्ण नेता थे।
- उन्होंने सन् 1944 में कांग्रेस के साथ समझौता वार्ता की थी। जो देसाई-लियाकत समझौता के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- 1946 में बनी अंतरिम सरकार में वह वित्त मंत्री थे उन्होंने अपने कार्यों से पटेल तथा नेहरू को काफी परेशान कर दिया था।
- उसी कारण कांग्रेस के सदस्यों ने विभाजन करने का मन बनाया था।
- विभाजन के बाद वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने तथा 1951 में रावलपिंडी में उनकी हत्या कर दी गई।
रानी गेंदालुई 1815-81
- रानी गेंदालुई नागा जनजाति से संबधित थीं तथा मणिपुर राज्य के नागा नेता जधोनाग की शिष्या थी।
- जधोनाग ने मणिपुर को ब्रिटिश दासता से मुक्त करवाने के लिए राजनीतिक आन्दोलन चलाया। उन्हें मृत्यु दंड मिला था।
- इसके पश्चात् रानी गेदांलुई ने आंदोलन का नेतृत्व किया परंतु 1932 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया तथा उनकी मुक्ति 1947 में स्वतंत्रता मिलने पर ही हुई।
- जवाहरलाल नेहरु ने स्वर्ण अक्षरों में उनके योगदान का उल्लेख करते हुए उन्हें ‘नागाओं की रानी’ के नाम से सुशोभित किया।
महादेव देसाई
- इन्होंने 25 वर्षों तक गांधी जी के सचिव के रूप में कार्य किया।
- उन्होंने चंपारन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक के सभी गांधीवादी आंदोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने इंडिपेंडेंट तथा नवजीवन का संपादन किया।
- वह 1942 की गिरफ्तारी के दौरान पूना में गांधी जी के साथ जेल रहते हुए मृत्यु को प्राप्त हुए।
नारायण मल्हार जोशी 1975-1955
- नारायण मल्हार जोशी जन्म महाराष्ट्र के कोलाबा में हुआ, उन्होंने सरवेन्टस ऑफ इंडिया सोसायाटी में कार्य किया।
- 1912 में उन्होंने सोशल सर्विस लीग की स्थापना की।
- वह श्रमिकों के उत्थान के लिए कार्य करते रहे। 1921 में उन्होंने ऑल इंडिया ट्रेड कांग्रेस में भाग लिया परन्तु 1931 में उन्होंने अलग नाम में ऑल इंडिया ट्रेड फेडरेशन बनाई।
- वह अन्तराष्ट्रीय श्रम सगंठन की गवर्निग बॉडी के सदस्य बने तथा भारत सरकार पर श्रमिक कल्याण के लिए कानून बनाने पर दबाब डाला।
- उन्होंने अनेकों औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की तथा कोपरोअटिव सोसाइटी की स्थापना की।
कल्पना दत्त 1913-78
- इन्होंने सूर्यसेन के साथ मिलकर प्रसिद्ध चटगांव शस्त्रागर हमले की योजना में भाग लिया था।
- उन्हें भारत निर्वासन की सजा मिली। बाद में उन्होंने, कम्यूनिस्ट पार्टी की सदस्यता ग्रहण की तथा श्रमिक वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया।
फिरोज शाह मेहता 1911-1932
- फिरोज शाह मेहता जन्म चटगांव बंगाल में हुआ।
- ये प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्यसेन की सहयोगी बनी।
- उन्होंने अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया, जिसमें सबसे प्रमुख था- 24 सितम्बर, 1932 में चटगांव में यूरोपीय क्लब पर हमला था।
- गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने आत्महत्या कर ली।