PF Interest Rate: होली से पहले मोदी सरकार ने कर्मचारियों को दिया झटका, पीएफ पर ब्याज दर 8.5% से घटाकर की गई 8.1 फीसदी

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ईपीएफ की दो दिवसीय बैठक (EPF Meeting) आज खत्म हो चुकी है। इसके तहत पीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला किया गया है। अभी तक यह 8.5 फीसदी था, जो अब 8.1 फीसदी कर दिया गया है। दिलचस्प ये है कि यह दर पिछले 40 सालों में सबसे कम है। विशेषज्ञ तो पहले से ही अनुमान लगा रहे थे कि इसमें गिरावट आ सकती है।

 
नई दिल्ली: ईपीएफ की बैठक (EPF Meeting) में पीएफ की ब्याज दर (PF Interest Rate) घटाने का फैसला किया गया है। पहले यह 8.5 फीसदी था, जो अब न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार 8.1 फीसदी कर दिया गया है। यह दर पिछले करीब चार दशकों यानी 40 सालों में सबसे कम है। 1977-78 में ईपीएफओ ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था। उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे अधिक रही है। 11 मार्च, शुक्रवार को ही ईपीएफओ की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई थी, जो आज खत्म हो गई है, जिसमें ईपीएफ की ब्याज दर घटाने का फैसला लिया गया है। मोदी सरकार के इस फैसले के देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारियों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।

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ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2020-21 और इससे पिछले वित्त वर्ष में 8.5 फीसदी ब्याज तय की थी। इससे पहले 2018-19 में ईपीएफओ पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया गया था। ईपीएफओ ने 2016-17 और 2017-18 में भी 8.65 प्रतिशत का ब्याज दिया था। वहीं, 2015-16 में ब्याज दर 8.8 फीसदी, 2013-14 और 2014-15 में भी 8.75 प्रतिशत थी।
 
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अभी पीपीएफ में 7.1 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है। अगर आप सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक या सबसे बड़े प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई से इसकी तुलना करेंगे तो आपको पता चलेगा कि यहां आपको एफडी पर अधिकतम 6 फीसदी ब्याज मिलेगा। यानी पीपीएफ में निवेश कर के कम से कम 1 फीसदी अधिक रिटर्न मिलेगा। वहीं दूसरी ओर बैंक की एफडी से मिले ब्याज पर टैक्स लगता है, जबकि पीपीएफ से मिले ब्याज पर टैक्स नहीं लगता है। हालांकि, पीपीएफ में सालाना कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश किए जा सकते हैं। इसमें निवेश करते वक्त यह ध्यान रखें कि इसका लॉक इन पीरियड 15 साल का होता है।
 
पहले ही जताई जा रही थी आशंका
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है। आशंका जताई जा रही थी कि इससे कमाई प्रभावित हो सकती है। ऐसे में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पीएफ की ब्याज दरों को स्थिर रखा जा सकता है या इसमें कटौती की भी जा सकती है। अब इसमें कटौती का फैसला लिया गया है।
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