Diesel Petrol Price: जानिए कैसे मनमोहन सिंह के वक्त में सस्ता था पेट्रोल-डीजल, जबकि कच्चे तेल की कीमत थी 130 डॉलर प्रति बैरल!

Diesel Petrol Price: कई रिपोर्ट में इस बात का दावा किया जा चुका है कि 15-20 मार्च तक पेट्रोल की कीमतें 20-25 रुपये तक बढ़ सकती (Diesel Petrol Price Rise) हैं। इसकी वजह है रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध, जिसके चलते कच्चा तेल करीब 130 डॉलर प्रति बैरल (crude oil price) कीमत का हो गया है। कीमतें बढ़ने की अटकलों के बीच ये बातें होने लगी हैं कि मनमोहन सिंह के वक्त में भी कच्चा तेल (diesel petrol price in manmohan singh time) इतना ही महंगा था, लेकिन डीजल-पेट्रोल की कीमतें आधे से भी कम थीं। आइए समझते हैं ऐसा कैसे मुमिकन हुआ।

नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतें तेजी से ऊपर की तरफ भाग रही हैं। अभी कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल  के करीब घूम रहा है। ऐसे में हर कोई इस बात को लेकर चिंतित है कि अब डीजल-पेट्रोल के दाम एक बार फिर से तेजी से ऊपर भागेंगे। कई रिपोर्ट में इस बात का दावा किया जा चुका है कि 15-20 मार्च तक पेट्रोल की कीमतें 20-25 रुपये तक बढ़ सकती  हैं। लोग भी मान चुके हैं कि चुनाव के चलते पेट्रोल की कीमतें स्थिर थीं, जिनमें अब अचानक से तगड़ी तेजी देखने को मिलेगी। ऐसे में कुछ लोग यह भी तर्क दे रहे हैं कि मोदी सरकार जनता को लूट रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की मनमोहन सरकार में 2008 में तो कच्चा तेल  इससे भी महंगा हो गया था, लेकिन पेट्रोल-डीजल के दाम आज की तुलना में बहुत अधिक कम थे। आइए समझते हैं इसका पूरा गणित।


2008 में क्या थी कीमत?

आज की तुलना अगर 2008 से करें, जब कच्चे तेल के दाम रेकॉर्ड हाई 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब थे तो उस वक्त पेट्रोल अभी के मुकाबले सस्ता था। 2008 के दौरान पेट्रोल की कीमत करीब 50 रुपये थी और डीजल की कीमत लगभग 35 रुपये थी। अभी कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल के करीब है, जबकि पेट्रोल 95.41 रुपये और डीजल लगभग 86.67 रुपये के स्तर पर है। वहीं 100 से दिन से भी अधिक हो गए हैं, लेकिन पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े हैं। ये दाम 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के चलते नहीं बढ़ रहे थे, लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि इनमें तगड़ी तेजी आएगी।


तब सस्ता क्यों था पेट्रोल?

2008 में पेट्रोल के सस्ते होने की क्या वजह थी, यह समझने के लिए पहले ये जानना जरूरी है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय कैसे होती हैं। यह समझना होगा कि इन कीमतों में कितना टैक्स होता है, कितनी लागत होती है, कितना कमीशन होता है, सब कुछ।

सबसे पहले बात पेट्रोल की। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 1 मार्च 2022 को 95.41 रुपये थी।इंडियन आयल की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार इसमें से 27.90 रुपये एक्साइज ड्यूटी है जो केंद्र सरकार का हिस्सा है और 15.50 रुपये वैट है जो राज्य सरकार लेती है। यानी कुल मिलाकर होता है 43.40 रुपये। यानी पेट्रोल की कीमत में करीब 45 फीसदी तो सिर्फ टैक्स है। वहीं 3.77 रुपये प्रति लीटर डीलर कमीशन है।

इसी तरह अगर डीजल की बात करें तो दिल्ली में 1 मार्च 2022 को डीजल 89.87 रुपये का था।इंडियन आयल की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के अनुसार इसमें से 21.80 रुपये एक्साइज ड्यूटी है जो केंद्र सरकार का हिस्सा है और 12.68 रुपये वैट है जो राज्य सरकार लेती है। यानी कुल मिलाकर होता है 34.48 रुपये। यानी डीजल की कीमत में करीब 40 फीसदी हिस्सा तो सिर्फ टैक्स का है। वहीं 2.57 रुपये डीलर कमीशन होता है।

 

2008 में पेट्रोल-डीजल पर कितना टैक्स?:

उस दौर में दिल्ली में पेट्रोल का बेस प्राइस 21.93 रुपये था, जबकि डीजल का बेस प्राइस 22.45 रुपये था। वहीं पेट्रोल की कीमत 50.56 रुपये और डीजल की कीमत 34.80 रुपये थी। अभी के हालात में पेट्रोल का बेस प्राइस 47.99 रुपये है, जबकि डीजल का बेस प्राइस 49.34 रुपये है। इसकी तुलना में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये है, जबकि डीजल की कीमत 89.87 रुपये है। तब पेट्रोल की कीमत का करीब 49 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और वैट होता था, जबकि डीजल का 26 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और टैक्स में जाता था। 2008 के बजट के अनुसार पेट्रोल पर कुल एक्साइज ड्यूटी 14.35 रुपये थी और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 4.65 रुपये थी। वहीं दिल्ली में डीजल-पेट्रोल पर वैट करीब 20 फीसदी था, जो अभी करीब 19.40 फीसदी (15.50 रुपये) है।


जब महंगा था कच्चा तेल, लेकिन सस्ते थे डीजल-पेट्रोल:

जून 2013 में भारत में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब थी। उस समय पेट्रोल की कीमत 63.09 रुपये प्रति लीटर थी। यहां ये तर्क दिया जा सकता है कि आज की तुलना 8 साल पहले से नहीं कर सकते। ऐसे में अगर डॉलर की तुलना में रुपये की वैल्यू पर डेप्रिसिएशन देखते हुए भी कैल्कुलेट करें तो पेट्रोल की कीमत करीब 76.6 रुपये प्रति लीटर आती है। इसी तरह अक्टूबर 2018 में कच्चे तेल की कीमत लगभग 80 डॉलर प्रति बैरल थी, लेकिन जब डीजल की कीमत अपने उच्चतम स्तर 75.7 रुपये पर थी। इस तरह देखा जाए तो अभी कच्चा तेल उन दिनों से सस्ता है, लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आसमान से भी ऊपर निकल गई हैं।


जब कच्चा तेल हुए सस्ता, लेकिन डीजल-पेट्रोल के दाम नहीं घटे:

भारत में ब्रेंट क्रूड ऑयल आता है, जिसकी कीमत पिछले कुछ सालों में 21 अप्रैल 2020 को सबसे कम हुई और 19.90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। फरवरी 2002 के बाद भारत में ब्रेंट क्रूड की ये सबसे कम कीमत थी। यानी अभी की (73 डॉलर) तुलना में एक तिहाई से भी कम। अब अगर आज पेट्रोल 100 रुपये है तो क्या तब पेट्रोल 30-35 रुपये में मिल रहा था? ऐसा नहीं हुआ। सरकार ने इस गिरावट का इस्तेमाल अपनी कमाई बढ़ाने में किया। 5 मई 2020 को सरकार ने डीजल पर 10 रुपये और पेट्रोल पर 13 रुपये की एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी। उस वक्त कच्चे तेल की कीमत लगभग 25 डॉलर प्रति बैरल थी यानी करीब 14.75 रुपये प्रति लीटर। तब दिल्ली में पेट्रोल की कीमत करीब 71 रुपये और डीजल की कीमत लगभग 70 रुपये थी।


जब जनवरी 2016 में गिरा था कच्चा तेल:

अगर कच्चे तेल की बात करें तो जनवरी 2016 में इसमें तगड़ी गिरावट आई थी। यह गिरकर करीब 35 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंचा था। तब डीजल-पेट्रोल की कीमतें हर 15 दिन में बदलती थीं। 16 जून 2017 से कीमतें रोज बदलने लगीं। 1 जनवरी 2016 को पेट्रोल 63 पैसे सस्ता होकर 59.35 रुपये प्रति लीटर हो गया और डीजल 1.06 रुपये प्रति लीटर सस्ता होकर 45.03 रुपये प्रति लीटर हो गया। उस वक्त उम्मीद की जा रही थी कि कीमतें और कम होंगी, क्योंकि कच्चा तेल अपने करीब 11 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन वैसा नहीं हुआ। तब भी सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतें अधिक कम करने के बजाय एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने पर ध्यान दिया। उससे पहले 16 दिसंबर 2015 को भी डीजल 46 पैसे और पेट्रोल 50 पैसे सस्ता हुआ था।


अब समझिए 2008 में क्यों सस्ते थे डीजल-पेट्रोल?:

मनमोहन सिंह के कार्यकाल में कच्चा तेल रेकॉर्ड महंगा होने के बावजूद डीजल-पेट्रोल सस्ता था, जिसकी कई वजहें हैं। पहली तो ये कि उस वक्त डीजल-पेट्रोल का बेस प्राइस आज की तुलना में 40-42 फीसदी था यानी आधे से भी कम। वहीं एक्साइज ड्यूटी भी तब पेट्रोल पर कुल 14.35 रुपये और डीजल पर 4.65 रुपये थी। वहीं आज के वक्त में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 27.90 रुपये और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 21.28 रुपये है। यानी पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी दोगुनी हो गई है, जबकि डीजल पर करीब 5 गुनी हो गई है। बेस प्राइस अधिक होने की वजह से वैट भी बढ़ा है, क्योंकि उसकी गणना प्रतिशत में होती है। इन सभी की वजह से 2008 की तुलना में आज पेट्रोल की कीमत लगभग दोगुनी और डीजल की कीमत लगभग ढाई गुनी हो गई है।

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