पिता का साया सर से उठने के बावजूद रच दिया इतिहास , सिरसा की यह बेटी बनी हुई है युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत ||

“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” इस कहावत को चरितार्थ किया है सिरसा की इस बेटी ने जिसने हाल ही में हुई सिविल सेवा न्यायिक में जज बनी है |

अपनी मेहनत के दम पर यहां की बेटियों ने बड़ा मुकाम हासिल किया है. इस बार सिविल सेवा न्यायिक परीक्षा में सिरसा की चार बेटियों ने कमाल का प्रर्दशन किया है. इतिहास रचते हुए  बेटियों ने सिविल सेवा न्यायिक परीक्षा पास कर जज बनने में सफलता पाई है. हरियाणा का नाम रौशन करने वाली मौजदीन गांव की सिविल जज बनीं रेणु बाला ने बताया कि उन्होंने यह सफलता पहले ही प्रयास में हासिल की है.बचपन में सर से पिता का साया सर से उठ गया था , पर रेणु ने कभी हार नहीं मानी और अपने पिता से सपने को साकार किया है |

गुरु गुरविंदरपाल बने मार्गदर्शक

उनके टीचर गुरविंदर पाल ने परीक्षा को उत्तीर्ण करवाने में बहुत मदद की है. वह अपने सफलता का अधिकतम श्रेय अपने अध्यापक को देती हैं. रेणु ने बताया कि वह उन बच्चों की भी मदद करती थीं जो फीस के पैसे नहीं दे पाते थे और उनसे दिन-रात मेहनत करवाई. बचपन में ही इनके पिता का देहांत हो गया था और इनके मामा ने इनका पालन-पोषण किया था. जिसकी वजह से वह आज इस मुकाम तक पहुंच पाई है. उन्होंने अन्य लड़कियों को भी मन लगाकर पढ़ाई करने और आगे बढ़ने की सलाह दी. वहीं, रेणु की मां गुरमीत कौर ने बेटी की सफलता पर खुशी जाहिर की.रेणु युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है | हजारों युवाओं को रेणु से प्रेरित होकर सफलता के मार्ग पर आगेर बढ़ाना चाहिए | विपरीत हालातों में भी रेणु ने हार ना मानते हुए इस मुकाम को हासिल किया है |

रेणु के मामा ने की काफी मदद

रेनू की मां ने बताया कि वह 23 साल की थी जब उन्होंने अपने पति को खो दिया. उसके बाद उनकी उन्होंने मेहनत मजदूरी करके रेनू का पालन पोषण किया. रेणु को अच्छे संस्कार के साथ साथ अच्छी शिक्षा दी | रेणू के मामा ने भी उसकी काफी मदद की.

40हजार लोगों ने दिया एग्जाम

रेणु ने कहा कि 40,000 लोगों ने एग्जाम दिया था. 3,000 ने मेंस क्लियर किया. 400 लोगों को इंटरव्यू में बुलाया था. कुल 265 सीटें थीं मगर 122 कैंडिडेट्स को ही चुना गया. उनका कहना है कि एक पल उन्हें लगा कि शायद वह इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाएंगी. मगर उन्होंने पहले ही मन में सोच लिया था कि वह जज बनकर ही रहेंगी. उसके बाद उनका इंटरव्यू अच्छा गया और वह पास हो गई. उनके गांव और रिश्तेदारों में खुशी की लहर है.

युवाओं के लिए सन्देश :

रेणु ने युवाओं के लिए एक बेहतर सन्देश दिया है कि “लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” ||

हरियाणा के 4 साल के छोरे ने बनाया वर्ड रिकॉर्ड, कुछ ही मिनटों में ||

हरियाणा के गुरुग्राम जिले में रहने वाले अजिंक्य ने रचा एक वर्ल्ड रिकॉर्ड ||

4 साल 7 महीने के अजिंक्य ने एक खास रिकॉर्ड बनाया 6 जून 2018 को गुरु ग्राम में पैदा हुए अजिंक्य ने 29 जनवरी 2023 को 7मिनट और 20 सेकंड में 195 देशों का नाम, राजधानी और महाद्वीप के नाम बता कर वर्ड रिकॉर्ड बनाया हैं|

 अजिंक्य  ने लॉक डाउन में यूट्यूब पर एजुकेशन वीडियो देख कर ये सीखा गया था और अजिंक्य  अपने माता पिता के साथ यह बाते शेयर करता था और अजिंक्य के माता पिता ने इसकी बताओ की वीडियो बना कर सोशल मिडिया पर पोस्ट करना शुरू की और लोगो के द्वारा अजिंक्य के टेलेंट को सोशल मिडिया ने बहुत सहायता की|

इस रिकॉर्ड को आधिकारिक तोर पर ओएमजी बुक ऑफ़ रिकॉर्डस और इंटरनेशनल टेलेंट ऑफ़ रिकॉर्डस के द्वारा दर्ज किया गया हैं||

अजिंक्य के नाम अब 7 मिनट और 40 सेकंड में सभी महाद्वीप के साथ साथ देश और उनकी राजधानी के नाम उसके झंडे पहचानकर सबसे तेज विश्व रिकॉर्ड क़ायम किया हैं|| अजिंक्य ने 40 मिनट में 3 विश्व रिकॉर्ड बनाए है| 39 सेकेण्ड में USA के पचास राज्यों को पचाड़ दिया||

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14 वर्ष की आयु में बना World’s Youngest CEO || जानें इनकी की सफलता की कहानी ||

सुभाष गोपीनाथ संस्थापक, ग्लोबल्स इंक के सीईओ और अध्यक्ष – प्रेरणादायक सफलता की कहानी Suhas Gopinath Founder, CEO & Chairman of Globals Inc – Inspirational and Motivational Success Story

नमस्कार मित्रो, आज के इस अंक में हम आपको बताने जा रहे है ग्लोबल्स इंक सीईओ (Founder, CEO & Chairman of Globals Inc. (A Multinational IT Company) सुहास गोपीनाथ (Suhas Gopinath) के सफल जीवन की कहानी (Success Story) जिन्होंने मात्र 14 वर्ष की आयु में ग्लोबल्स इंक कंपनी खड़ी करके पूरे विश्व में अपना लोहा मनवा दिया था | आम जीवन में ये बच्चो की वो उम्र होती है जिसमे वो लोग अपने करियर या भविष्य तक की ना सोचकर मौज-मस्ती और आराम की जिंदगी गुजर-बसर कर रहे होते है पर सुहास गोपीनाथ की इस उम्र में ही सोच आम बच्चो से अलग बहुत तेज थी | आजतक पूरे विश्व के सबसे कम उम्र के सीईओ का खिताब सुहास गोपीनाथ के नाम ही है जो उन्होंने मात्र 14 वर्ष की आयु में ही प्राप्त कर लिया था | चलिए जाने उनके इस सफल जीवन की पूरी कहानी Suhas Gopinath Success Story विस्तारपूर्वक |

जाने सुहास गोपीनाथ के बचपन की कहानी

सुहास गोपीनाथ का जन्म 4 नवंबर 1986 को कर्नाटक राज्य के बैंगलोर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था । उनके पिताजी एम.आर. गोपीनाथ भारतीय सेना में एक रक्षा वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत थे और माताजी कला गोपीनाथ एक घरेलू महिला थी। उनकी शुरुआत की शिक्षा बैंगलोर स्थित एयर फ़ोर्स स्कूल से हुई | उनको बचपन से जीव-जंतु और Veterinary Science में बहुत लगाव था | उस समय भारत में कंप्यूटर का चलन शुरू ही हुआ था और उनके दूसरे साथी से सम्बन्धित आपस में बाते किया करते थे जिसके कारण उनकी चाह भी इसके बारे में और जानने की करती थी |

जाने सुहास गोपीनाथ द्वारा कंप्यूटर सीखने की कहानी

सुहास गोपीनाथ अब धीरे-धीरे अपने स्कूल के मित्रो के द्वारा कंप्यूटर सीखने और दिनभर उससे सम्बन्धित आपस में बाते करने के कारण खुद भी कंप्यूटर सीखने का मन बना चुके थे लेकिन समस्या ये थी कि उनके घर पर कंप्यूटर नही था ऐसे में उन्होंने जल्दी ही इस समस्या का तोड़ निकालते हुए घर के पास मौजूद एक इन्टरनेट कैफ़े का सहारा लिया और रोज कंप्यूटर सीखने के लिए यहाँ आने का निर्णय लिया।

लेकिन फिर समस्या रोज का इन्टरनेट कैफ़े का किराया देने की थी क्योंकि सुहास गोपीनाथ के पास तो इतने पैसे नही थे | ऐसे में उन्होंने कैफ़े मालिक से बात की और रोज फ्री में यहाँ कंप्यूटर सीखने के बदले 1से 4 बजे तक कैफ़े को खोलने और चलाने की जिम्मेदारी ले ली |

जाने सुहास गोपीनाथ द्वारा 13 वर्ष की आयु से ही अपने पैरो पर खड़ा होने की कहानी

अब कैफ़े में सुहास गोपीनाथ ने रात-दिन वेबसाइट बनाना सीखने के लिए मेहनत करना शुरू किया और धीरे-धीरे वो कामयाब भी होने लगे | सबसे पहले उन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन फ्रीलांस वेब डिजाइनर (Freelance Web Designer) के तौर पर अपना  कराया | फिर अपने पहले क्लाइंट की वेबसाइट फ्री में बनाई | उसके बाद जल्द ही उनके पास कुछ और भी क्लाईंट की वेबसाइट बनाने का कार्य आने लगा जिसकी सहायता से उन्होंने 100 डॉलर जमा किये और मात्र 9वी कक्षा में अपना खुद का कंप्यूटर खरीद लिया नेट कनेक्शन समेत |

जाने सुहास गोपीनाथ द्वारा अमेरिका बेस्ड कंपनी की नौकरी का ऑफर छोड़ने की कहानी

जल्दी ही सुहास गोपीनाथ के टैलेंट की चर्चा देश और विदेश में होने लगी जिसके कारण उन्हें नौकरी सम्बन्धित कई अच्छे ऑफर आने लगे | उन्हें अमेरिका की एक बहुत ही बड़ी आईटी कम्पनी से नौकरी का ऑफर मिला जो अमेरिका में उनकी पार्ट-टाइम नौकरी के साथ पढाई का खर्चा उठाने को भी तैयार थी पर उनके दिमाग में भी बिल-गेट्स जैसा कुछ अपना बड़ा करने का सपना था इसलिए उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया |

जाने सुहास गोपीनाथ द्वारा मात्र 14 वर्षीय आयु में अपनी कंपनी ग्लोबल्स इंक स्टार्टअप शुरू करने की कहानी

सुहास गोपीनाथ ने अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए और जल्दी से कुछ बड़ा करने के लिए मात्र 14 वर्ष की आयु में ही अपनी खुद की कंपनी ग्लोबल्स इंक स्टार्टअप शुरूआत की | शुरू में वो इस कंपनी का नाम “Global” या “Global Solutions” रखना चाहते थे परंतु भारत में उन्हें एक तो उनकी कम आयु के कारण कंपनी खोलने का अधिकार नही था और दूसरा भारत में ये दोनों नाम ही कंपनी रजिस्ट्रेशन के लिए उपलब्ध नही थे |इसलिए उन्होंने वर्ष 2000 में अमेरिका के कैलिफोर्निया में जाकर अपनी कम्पनी ग्लोबल्स इंक के नाम का रजिस्ट्रेशन करवाया क्योंकि अमेरिका के कानून के अनुसार वहां कम्पनी का रजिस्ट्रेशन मात्र 15 मिनट में हो जाता है। अपनी इस नई कंपनी के वो खुद मालिक और सीईओ बन गये और उनका एक अमेरिकी मित्र कंपनी का बोर्ड ऑफ़ मेम्बर बन गया |

जाने सुहास गोपीनाथ द्वारा ग्लोबल्स इंक स्टार्टअप शुरू करने से लेकर अभी तक के सफ़र की कहानी Globals Inc Founder, CEO & Chairman Suhas Gopinath Success Story

सुहास गोपीनाथ ने अमेरिका में अपनी कंपनी ग्लोबल्स इंक का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भारत में उसी नाम पर कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया | उनकी कंपनी कम्पनी वेब सॉल्यूशन, मोबाइल सॉल्यूशन और उससे जुड़े रिसर्च डेटा मार्किट को उपलब्ध कराती है । ये उनकी लगन, मेहनत और स्मार्टनेस का ही परिणाम था कि कंपनी को पहले वर्ष ही  1 लाख रूपये और दूसरे वर्ष पूरे 5 लाख का टर्नओवर प्राप्त हुआ | आज सुहास गोपीनाथ की इस कंपनी की ब्रांचे ब्रिटेन, स्पेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इटली समेत कई दूसरे देशो में फ़ैल चुकी है जिसे देखकर उन्हें और उनके परिवार को बहुत गर्व और ख़ुशी महसूस होती है | अपनी छोटी सी उम्र में इन कारनामो और ऐसी सोच के लिए उन्हें कई राजकीय और राष्ट्रीय सम्मानों से पुरस्कृत किया जा चुका है |
 

इस कहानी से हमे प्रेरणा लेनी चाहिये कि जीवन में हम अपने लक्ष्य को कभी भी किसी भी समय प्राप्त कर सकते है | बस जरुरत है तो कुछ करने चाह और हौसले की | हमे आशा है कि आपको हमारी ये ग्लोबल्स इंक सीईओ सुहास गोपीनाथ के सफल जीवन की कहानी ‘Suhas Gopinath Success Story’ आपको जरूर पसंद आई होगी और आपके लिए प्रेरणा का श्रोत भी रही होगी।

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महिला को दहेज में मिली भैंस से खड़ा किया कारोबार, इस महिला की कामयाबी ने गांव की बदल दी तकदीर

आप यह कल्पना भी नही कर सकते हैं कि किसी महिला को दहेज में एक भैंस मिले और वह उसकी मदद से अपनी दूरगामी सोच, लगन और मेहनत से ऐसा व्यापार खड़ा कर दे कि एक समय बाद उनकी प्रेरणा से दर्जनों महिलाएं और पुरुष डेयरी उद्योग से जुड़कर बंपर लाभ कमाने लगें। कल्पना अगर नहीं कर सकते हैं तो अब उसकी जरूरत भी नहीं है क्योंकि यह असाधारण सी लगने वाली घटना सच है और यह राजधानी लखनऊ के एक गांव की रहने वाली महिला ने कर दिखाया है। आज हमको आपको उन्हीं की सफलता की कहानी बता रहे हैं|

बिटानी देवी पांचवी पास हैं। वह निगोहां के मीरकनगर गांव की रहने वाली हैं। आज से 37 साल पहले बिटानी देवी को शादी के बाद दहेज में एक भैंस मिली थी। इसे लेकर साल 1985 में उन्होंने अपना डेयरी का काम शुरू किया। उनकी इस कोशिश में परिवार ने भी जमकर मदद की और इसका नतीजा ये हुआ कि बिटानी देवी का व्यापार आज ऐसे मुकाम पर पहुंच गया है, जहां वह दो दर्जन से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।

फिलहाल, उनके पास 16 गायें और 11 भैसें हैं, जिनसे हर दिन 100 से 120 लीटर दूध मिलता है। इन मवेशियों को खिलाने-पिलाने से लेकर उनका दूध दूहने तक का सारा काम बिटानी देवी अकेले ही करती हैं। बिटानी देवी बताती हैं कि उनके शिक्षक पति अब नौकरी से रिटायर हो गए हैं लेकिन उनकी दिलचस्पी इन कामों में नहीं है। वह उनका हौसला बढ़ाते हैं। बिटानी देवी दूध पराग कंपनी को दूध बेचती हैं। उनके जरिए आसपास की महिलाएं और पुरुष भी डेयरी कारोबार से जुड़कर लाभ कमाने लगे हैं।

यह बिटानी देवी की मेहनत का ही फल है कि उन्हें साल 2005 से लगातार लखनऊ में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन के लिए गोकुल पुरस्कार मिल रहा है। बिटानी देवी का सपना है कि एक दिन वह पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन करने वाली महिला के तौर पर जानी जाएं। प्रदेश स्तर पर मिलने वाले पुरस्कारों में वह कई बार टॉप-5 में रही हैं|

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