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*⚜️आज का प्रेरक प्रसंग⚜️*
*!!जिंदगी में प्राथमिकता सेट करें*!!
एक बार फिलोसॉफी की क्लास में एक प्रोफेसर प्रवेश करते है। उनके साथ में एक कांच का जार, कुछ पत्थर, कंकड़ और कुछ बालू भी थी। प्रोफेसर के प्रवेश करते ही सभी ने अभिवादन किया।
प्रोफेसर ने बताया की आज क्लास में अन्य क्लास की अपेक्षा कुछ खास सीखने को मिलेगा। विद्यार्थी खुश एवं एक्ससिटेड थे, आज कुछ सीखने को मिलेगा।
प्रोफेसर अब खाली ज़ार में पत्थरों को भरना शुरू किया, जब तक जार भर नही गया। जार भरने पर प्रोफेसर ने विद्यार्थियों से पूछा- “क्या जार भर गया”?
सभी ने हाँ में उत्तर दिया। अब प्रोफेसर ने कंकडों को जार में डालना शुरू किया, साथ ही साथ जार को हिलाया भी, जिससे पत्थरों के बीच मे कंकड़ अपना रास्ता आसानी से बना पाए। जब जार भर गया तो दोवारा प्रोफेसर ने विद्यार्थियों से पूछा- “क्या अब जार पूरा भर गया?” इस पर दोबारा विधार्थितो ने हाँ में जवाब दिया।
अब प्रोफेसर ने उसमे बालू के कण डालने आरम्भ किये, बालू के कण अपना रास्ता बनाते हुए उस जार में प्रवेश कर गये। प्रोफेसर के दोबारा पूछने पर विद्यार्थियों में कहा “अब जार पूर्ण रूप से भर गया है”।
ऐसा सुनकर प्रोफेसर ने पानी लेकर उस ज़ार में उड़ेल दिया। वह भी उसमें समा गया। प्रोफेसर ने विद्यार्थियों को समझाते हुए बताया, कि आपको अपने जीवन में प्राथमिकता को सेट करना होगा।
जिंदगी भी एक कांच के ज़ार की तरह है, जिसमे सबसे जरूरी पत्थर है, क्योंकि पत्थर से अभिप्राय आपके परिवार, चरित्र और स्वास्थ्य है, जबकि कंकड़ आपकी नौकरी एवं अन्य आवश्यकता है तथा बालू हमारे जीवन की छोटी-छोटी ज़रूरतों का प्रतिनिधित्व करती है।
इसलिए यदि हम अपने जीवन रूपी जार में पहले बालू भर देंगे तो बाकी चीजों के लिए जगह नहीं बचेगी। इसलिए आपके जीवन में जो सबसे ज्यादा जरूरी है, उसे ज्यादा महत्व और समय दें।
*शिक्षा*:-जीवन की ज़रूरतों की प्राथमिकता को समझें। जो जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हो, पहले उसी में फोकस करें। समय बचने पर बाकी चीजें बाद में करें। चीजों में संतुलन बनाने में सफल होने वाले ही कामयाब लोग कहलाते हैं।
*सदैव प्रसन्न रहिये*
*जो प्राप्त है पर्याप्त है*