भारत की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाएं || बहुद्देशीय परियोजनाएं || multipurpose projects of India. ||

नमस्कार दोस्तों , स्वागत है आपका आपकी अपनी वेबसाइट samrpan.in पर | आज हम बात करेंगे विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के बारे में | सिंचाई परियोजनाएं जिन्हें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने “आधुनिक भारत के मंदिर” कहा है | इस पोस्ट में हम जानेंगे तीन महत्वपूर्ण सिचाई परियोजनाओं एवं योजनाओं को |

भारत की सिंचाई परियोजनाओं के प्रकार 

1. लघु सिंचाई परियोजनाएँ

• इस सिंचाई परियोजना के अंतर्गत 2,000 हेक्टेयर से कम क्षेत्र की सिंचाई होती है। इसके अंतर्गत कुआँ, नलकूप, डीजल पम्पसेट, तालाब, ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर आदि शामिल किए जाते हैं।

भारत की सिंचाई आवश्यकताओं की लगभग 62% की आपूर्ति लघु सिंचाई परियोजनाओं से होती है। देश में सिंचित क्षेत्र के संवर्द्धन की दिशा में लघु सिंचाई के बढ़ते महत्व को देखते हुए जून 2010 में राष्ट्रीय लघु (सूक्ष्म) सिंचाई मिशन की शुरुआत की गई।

2. मध्यम सिंचाई परियोजनाएँ

इस सिंचाई परियोजना के अंतर्गत 2,000 से 10,000 हेक्टेयर तक क्षेत्र की सिंचाई होती है। इनमें नहरी सिंचाई प्रमुख है।

3.वृहत् सिंचाई परियोजनाएँ

इनसे 10,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों की सिंचाई होती है। इसके लिए बड़े बांध बनाकर नहरें निकाली जाती हैं। बड़ी व मध्यम परियोजना से देश की 38% सिंचाई आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।

 

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना

‘केन्द्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने 2 जुलाई, 2015 को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) को स्वीकृति प्रदान की।

. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत अगले पाँच वर्षों अर्थात् 2015-20 के लिए रु. 50,000 करोड़ रूपये उपलब्ध कराए गए। PMKSY का मुख्य उद्देश्य, सिंचाई को प्रभावी बनाते हुए हर खेत तक किसी-न-किसी माध्यम से सिंचाई सुविधा सुनिश्चित कराना है, जिससे हर बूंद अधिक फसल को सफल बनाया जा सके।

• इस योजना का लक्ष्य, सिंचाई में निवेश की प्रक्रिया में एकरूपता (Uniformity) लाते हुए दक्षता को प्रभावी बनाना है। राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना की निगरानी राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC) द्वारा की जाती है। जिला स्तर पर इसके लिए जिला स्तरीय समिति गठित की जाएगी।

  • वर्ष 2011-12 में सर्वाधिक सिंचित क्षेत्रफल वाले पाँच राज्य क्रमशः उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश एवं आन्ध्रप्रदेश हैं।
  • कुल क्षेत्रफल के प्रतिशत की दृष्टि से सर्वाधिक सिंचित राज्य पंजाब है। इस प्रदेश में 8% क्षेत्रफल पर सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  • देश में सबसे कम सिंचित क्षेत्र प्रतिशत के दृष्टिकोण से मिजोरम पाया जाता है। यहाँ 3% क्षेत्रफल पर सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध हैं। नलकूपों तथा कुओं द्वारा कुल सिंचित क्षेत्र का 57.0% भाग सिंचित होता है। नलकूप, कुआँ तथा नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्रों को क्षेत्रफल के आधार पर अग्रलिखित क्रम में रखा गया है- नलकूप नहर और कुआँ।
  • नहरों द्वारा 0% सिंचित क्षेत्र पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जाती है।
  • भारत में तालाबों द्वारा 0% क्षेत्रफल पर सिंचाई की जाती हैं।

बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना

  • बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं से सिंचाई की सुविधा के अलावा बाढ़ नियंत्रण, पेयजल आपूर्ति, जलविद्युत उत्पादन, नहरी परिवहन, पर्यटन आदि अनेक कार्य किए जा सकते हैं। जवाहरलाल नेहरू जी ने इसे आधुनिक भारत का मंदिर भी कहा था।
  • वर्तमान समय में यद्यपि इन परियोजनाओं की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। फिर भी सिंचाई, पेयजल आपूर्ति, जलविद्युत उत्पादन आदि की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए इनके महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता।दामोदर घाटी परियोजना
  • यह स्वतंत्र भारत की प्रथम बहुउद्देशीय परियोजना है। झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में फैली दामोदर घाटी में संयुक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना (1933) के आधार पर संयुक्त विकास के लिए वर्ष 1948 में दामोदर घाटी निगम (DVC) की स्थापना की गई। दामोदर नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से निकलकर पश्चिम बंगाल में हुगली नदी से मिल जाती है। इस परियोजना में तिलैया, कोनार, मैथान तथा पंचेत पहाड़ी पर बांध बनाए गए हैं जबकि बोकारो, दुर्गापुर, चन्द्रपुर तथा पतरातू में ताप विद्युत गृहों का निर्माण किया गया है।
  • दुर्गापुर में एक बड़ा अवरोधक इसी परियोजना के अंतर्गत निर्मित किया गया है। तिलैया बांध दामोदर की सहायक बराकर नदी पर हजारी बाग जिले में बनाया गया है मैथान बांध भी बराकर नदी व दामोदर नदी के संगम पर बना है जबकि कोनार बांध कोनार नदी (दामोदर की सहायक नदी) पर बोकारो विद्युत संयंत्र को जल उपलब्ध कराने में सहायक है।भाखड़ा नांगल परियोजना
  • पंजाब – हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी पर बनाई गई यह देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय योजना है। भाखड़ा बांध विश्व का सबसे ऊँचा गुरुत्वीय बांध (226 मीटर) है। बांध के पीछे बनी झील का नाम गोविन्द सागर (हिमाचल प्रदेश) है। हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्य हैं।
  • यह एशिया का दूसरा सबसे ऊँचा बांध है, जिसकी ऊंचाई 55 मीटर है। इससे ऊंचा एकमात्र टिहरी बांध (261 मीटर) है। इसका जल संग्रहण क्षेत्र गोविंद सागर कहलाता है, जिसमें 9 अरब 34 करोड़ क्यूसेक लीटर जल संग्रहण किया। जा सकता है।
  • इस जल संग्रहण क्षेत्र की गिनती मध्य प्रदेश के इंदिरा सागर बांध (12 अरब, 22 करोड़ क्यूसेक लीटर) के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े संग्रहण क्षेत्र के रूप में होती है। यह सतलुज व व्यास नदी में आने वाली बाढ़ से बचाता है व सिंचाई के लिए जल-विद्युत भी उपलब्ध कराता है।
Please Share Via ....

Related Posts