1.अन्तःस्रावी ग्रन्थियों को कहा जाता है -नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ
2.फलों के पकने से पहले गिरने पर कुछ मामलों में उपज की महत्त्वपूर्ण हानि होती है। इसे रोका जा सकता है–ऑक्सिन के छिड़काव द्वारा
3.मूत्र का असामान्य घटक है- कीटोन निकाय
4.रक्त के स्कंदन में मदद करने वाला विटामिन है- विटामिन के
5. वे रक्त कणिकाएँ जो रोगों का प्रतिरोध करने में सहायता करती हैं –लसीका कोशिकाएँ
6. लसीका का कार्य है–प्रतिरक्षी (Antibodies) का निर्माण करके शरीर की सुरक्षा करना
8.रेसिपीरिन का प्रयोग करते हैं – उच्च रक्तचाप को कम करने में
9.रक्त में मूत्राम्ल के उच्च स्तर के कारण रोग हो जाता है- गाउट
10.मधुमेह के रोगियों को मधुरण-कारण के रूप में दिए जाने वाले एक उत्पादन का नाम ‘एस्पार्टम’ है, वह वर्ग जिससे यह संबंधित है–पेप्टाइड्स
11.प्रतिजन एक प्रकार का प्रोटीन पदार्थ है जो पाया जाता है–लाल रुधिर कणों की कोशिका कला में
12. गुर्दे को रक्तपूर्ति करने वाली रुधिर वाहिका है.–वृक्क धमनी
13.इन्सुलिन का कार्य है –रुधिर में ग्लूकोज की मात्रा का सामान्य बनाए रखना
14.वह धातु जो इन्सुलिन में पायी जाती है –जस्ता
15.जानवरों की एक जाति द्वारा उसी जाति के अन्य सदस्यों को आकर्षित करने के लिए मोचित किए जाने वाले रासायनिक द्रव्य है–फरोमोन
16.तालाबों एवं कुओं को छोड़ने से मच्छरों को नियंत्रित करता है– गैबुसिया फिश
17.’हाइपोग्लाइसीमिया’ से होता है–जनन क्षमता तथा दृष्टि ज्ञान कम होना
’18.हैजा फैलता है– जीवाणु से
19.’एथलीट फुट’ रोग होता है– कवक से
20.पशुओं का खुरपका रोग होता है__वायरस से
21.मानव-गुर्दे में बनने वाली ‘पथरी’ प्रायः बनी होती है– कैल्सियम ऑक्जेलेट की
22.’होमोफोलिया’ को ‘Bleeder Disease कहते हैं, यह रोग केवल पुरुषों में होता है, जबकि महिलाएं सिर्फ—वाहक का कार्य करती हैं
23.कोबाल्ट 60 आमतौर पर विकिरण चिकित्सा में प्रयुक्त होता है क्योंकि यह उत्सर्जित करता है —बीटा किरणें
24.भोजन में उपस्थित जटिल पोषक पदार्थों (कार्बोहाइड्रेटस, वसा, प्रोटीन) का सरल और छोटी-छोटी इकाइयों में टूटने की क्रिया पाचन क्रिया कहलाती है। ये आहार नाल में होती है। आहार नाल को निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है-
(i) मुख
(ii) ग्रासिका
(iii) ग्रास नली
(iv) अमाशय
(v) छोटी आंत
(vi) बड़ी आंत
•दाँत- दाँतों के अध्ययन को ओडोन्टोलॉजी कहा जाता है। दाँतों के ऊपरी हिस्से को इनेमिल कहते हैं जो मानव शरीर का सबसे कठोर भाग होता है।