क्षेत्रफल: 2317 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : 1074304
जनसंख्या घनत्व 464 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी
लिंगानुपात : 881
साक्षरता दर : 70.56
गठन की तिथि 1 नवंबर, 1989
मुख्य उद्योग: कृषि उपकरण
कैथल जिला अम्बाला मण्डल का हिस्सा था है। यह जिला 1 नवम्बर, 1989 को कुरुक्षेत्र जिले को काटकर बनाया गया था। कैथल का नाम यजुर्वेद कथा संहिता के रचियता कपिल ऋषि के नाम पर पड़ा। इसलिए इसे कपिलमुनि की नगरी भी कहा जाता है।
- कैथल के फरल गाँव में फल्गु का प्रसिद्ध मेला लगता है।
- कैथल करनाल मार्ग पर स्थित मुंदड़ी गांव में रजि लव-कुश महातीर्थ के कारण भी कैथल की अलग पहचान है। वाल्मिकी संस्कृत विश्वविद्यालय |
- सन् 1398 में कैथल के जाटों ने तैमूर लंग का जबरदस्त विरोध किया था ।
- राधा कृष्ण सनातन धर्म कॉलेज कैथल का सबसे पुराना कॉलेज है जो सन् 1954 में स्थापित हुआ था।
कैथल जिले के महत्त्वपूर्ण स्थल
रजिया सुल्तान का मकबरा
कैथल नगर के निकट पश्चिम दिशा में संगरूर रोड पर भारत की सम्राज्ञी रजिया सुल्तान का मकबरा है। अधिकांश इतिहासकारों का यह मानना है कि इल्तुतमिश की पुत्री रजिया और उसके पति का कत्ल उसी के सरदारों द्वारा कैथल के निकट कर दिया गया था। आज उसी के स्थान पर यह जीर्ण-शीर्ण मकबरा है।
फल्गु तीर्थ, फरल
कैथल से 25 किमी दूर फरल गाँव में फल्गु ऋषि का मन्दिर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कुरुक्षेत्र के प्राचीन वनों में से एक फलकी वन था जो यज्ञ और तप करने के लिए उपयुक्त माना जाता था। आश्विन महीने की सोमवती अमावस्या को जो व्यक्ति फलकी वन स्थित सरोवर में स्नान कर पिण्डदान करेगा उस दिन उसके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी।
गुरुद्वारा नीम साहिब : यह गुरुद्वारा कैथल में प्रताप गेट के निकट स्थित है। सिक्खों के नौवें गुरु तेगबहादुर जी मालवा प्रदेश की यात्रा करते हुए परिवार सहित कार्तिक बंदी सात विक्रमी संवत 1723 शाम को कैथल के ठण्डहार तीर्थ पर आये थे। माना जाता है कि प्रातः काल ठण्डहार तीर्थ पर स्नान करके गुरुजी यहाँ स्थित एक नीम के पेड़ के नीचे ध्यानमग्न थे। अनेक श्रद्धालु उनके दर्शनार्थ आने लगे, श्रद्धालुओं में ज्वर से पीड़ित एक व्यक्ति भी था। गुरुजी ने उसे नीम के पत्ते खाने के लिए दिए और यह स्वस्थ हो गया। इसी स्थान पर कालान्तर में एक गुरुद्वारा निर्मित हुआ जिसे नीम • साहिब गुरुद्वारा के नाम से जाना गया।
नवग्रह कुण्ड
कैथल के पुरातन तीर्थों में नवग्रह कुण्डों का विशेष महत्त्व है। महाभारत के समय भगवान कृष्ण ने अभ्युत्थान हेतु नवग्रह यज्ञ का अनुष्ठान धर्मराज युि ष्ठिर के हाथों करवाकर नवग्रह कुण्डों (सूर्य कुण्ड, चन्द्र कुण्ड, मंगल कुण्ड, शनि कुण्ड, राहु कुण्ड और केतु कुण्ड) का निर्माण करवाया था।
कपिलमुनि मंदिर, कलायत (कैथल)
जिला कैथल के करने कलायत में कपिल मुनि का मन्दिर है। मन्दिर परिसर के साथ काफी लम्बा चौड़ा तालाब है। महर्षि कपिल की यह साधना भूमि थी और सांख्य दर्शन का ज्ञान दिया था। इस सरोवर में ही महर्षि और उनकी माता देव इति स्नान करते थे |
शाहकमाल की मजार
कैथल में बाबा शाहकमाल की मजार पर भी श्रद्धा सच्चे मन से मन्नत माँगने आते हैं। यहाँ हर गुरुवार को मेला लगता है।
महत्त्वपूर्ण व्यक्ति
भाई उदय सिंह
कैथल रियासत के अन्तिम शासक थे। भाई उदयसिंह का जीर्ण-शीर्ण किला शहर के तभी विद्यमान है।
भाई संतोख सिंह
कैथल रियासत के अन्तिम शासक भाई उदर के दरबारी कवि थे। भाई संतोख सिंह ने एक लाख से अधिक छन्द लिखे तथा अनेक ग्रंथों की रचना की।
चीका
कैथल से तीस किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिम में कैथल पटियाला रोड पर स्थित चौका कस्बा एक ऐतिहासिक गाँव है। इसके निकट स्थित गुहाग के कारण इसे आमतौर पर गुहला चीका कहा जाता है। गुहला का पुराना नाम गुलशेर अथवा गुलशहर बताया जाता है।
पुण्डरी
यह क़स्बा कैथल से 15 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसका नाम पुण्डिरिक ऋषि, जिनकी यह स्थली मानी जाती है, के नाम पर पड़ा है।