गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स अप्रत्यक्ष कर की श्रेणी में आएगा। जीएसटी वह वैट है जिसमे वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर ही लागू किया जाएगा। वर्तमान में वैट केवल वस्तुओं पर ही लागू होता है। जीएसटी लागू होने के बाद सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी, वैट आदि तमाम तरह के टैक्स हटा दिए जाएंगे। इससे पूरा देश एकीकृत बाजार में बदल जाएगा।
लोकसभा द्वारा 8 अगस्त 2016 को संविधान के 122वें (जीएसटी) संशोधन विधेयक-2014 को सर्वसम्मति से पारित किया गया। विधेयक दो तिहाई बहुमत द्वारा 443 सदस्यों के मतों द्वारा पारित हुआ।
इससे पहले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संशोधन विधेयक 3 अगस्त 2016 को राज्यसभा में पारित किया गया था।
विधयेक पारित होने के लिए दो तिहाई मतों की आवश्यकता के स्थान पर सभी 197 सांसदों ने पक्ष में वोट डाला।
विधेयक के प्रावधान
केंद्रीय कर-
राज्य कर-
जीएसटी काउंसिल के चेयरमैन होंगे केंद्रीय वित्त मंत्री
जीएसटी क्या है और यह किस प्रकार काम करता है
जीएसटी पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है जो भारत को एकीकृत साझा बाजार बना देगा। जीएसटी विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करों का लाभ मूल्य संवर्धन के बाद के चरण में उपलब्ध होगा जो प्रत्येक चरण में मूल्य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्ताओं को इस प्रकार आपूर्ति श्रृंखला में अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणों के सभी मुनाफे समाप्त हो जायेंगे।
जीएसटी से होने वाले लाभ
जीएसटी के लाभों को संक्षेप में इस प्रकार बताया जा सकता है-
व्यापार और उद्योग के लिए
केन्द्र और राज्य सरकारों के लिए
उपभोक्ताओं के लिए
केन्द्र और राज्य स्तर पर जीएसटी में शामिल किए जाने कर
केन्द्रीय स्तर निम्नलिखित करों को शामिल किया जा रहा है-
राज्य स्तर पर, निम्न करों को शामिल किया जा रहा है-
जीएसटी से सम्बंधित प्रमुख कालक्रम व घटनाएं
देश में जीएसटी को 13 वर्ष लंबी यात्रा के बाद पेश किया जा रहा है, क्योंकि अप्रत्यक्ष करों पर गठित केलकर कार्यबल की रिपोर्ट में सर्वप्रथम इसके बारे में विचार-विमर्श किया गया था। भारत में जीएसटी की शुरूआत करने के प्रस्ताव पर प्रमुख मील के पत्थरों को दर्शाने वाला कालक्रम संक्षिप्त में इस प्रकार है –
भारत में जीएसटी का प्रशासनिक स्वरूप
भारत के संघीय ढांचे को ध्यान में रखते हुए जीएसटी के दो घटक होंगे- केन्द्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और राज्य जीएसटी (एसजीएसटी)। केन्द्र और राज्य दोनों एक साथ मूल्य श्रृंखला पर वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लगाएंगे। समानों की प्रत्येक सप्लाई और सेवाओं पर टैक्स लगाया जाएगा। केन्द्र, अपना केन्द्रीय वस्तु और सेवा कर (सीजीएसटी) लगाएंगा और कर संग्रह करेगा और राज्य, अपने राज्य के अंदर सभी कारोबार पर राज्य वस्तु और सेवा कर (एसजीएसटी) लगाएंगे। सीजीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट से हर चरण में आउटपुट पर सीजीएसटी देनदारी चुकाई जाएगी। इसी तरह इनपुट पर अदा किए गए एसजीएसटी से आउटपुट पर एसजीएसटी को अदा किया जा सकेगा। क्रेडिट के आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग की अनुमति नहीं दी जाएगी।
वस्तु और सेवाओं से संबंधित एक विशेष कारोबार पर एक साथ जीएसटी (सीजीएसटी) तथा राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) टैक्स
केन्द्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी एक साथ प्रत्येक वस्तु और सेवा सप्लाई कारोबार पर लगाया जाएगा, लेकिन उन वस्तुओं और सेवाओं को छोड़कर जो जीएसटी के दायरे से बाहर हैं और वैसे कारोबार को छोड़कर जो न्यूनतम सीमा से कम हो। दोनों टैक्स सामान कीमत या मूल्य पर लगेगा, जबकि राज्य के वैट में वस्तु के मूल्य पर केन्द्रयी उत्पाद शुल्क सहित टैक्स लगाया जाता है।
जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत वस्तु और सेवाओं के बीच क्रेडिट का आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग
वस्तु और सेवाओं के बीच क्रेडिट का आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग करने की अनुमति होगी। इसी तरह एसजीएसटी के मामले में क्रेडिट के आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग की सुविधा होगी, लेकिन आईजीएसटी मॉडल के अंतर्गत वस्तु और सेवा सप्लाई के अंतर-राज्य मामले को छोड़कर सीजीएसटी और एसजीएसटी के आड़े-तिरछे अतिरिक्त उपयोग की अनुमति नहीं होगी।
आईजीएसटी तरीके के संदर्भ में जीएसटी के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं के अंतर-राज्य कारोबार पर टैक्स
केन्द्र अंतर-राज्य कारोबार के मामले में संविधान के अनुच्छेद 269ए (1) के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं की अंतर-राज्य सभी सप्लाई पर एकीकृत वस्तु और सेवा कर (आईजीएसटी) लगाएगा और उसका संग्रह करेगा। आईजीएसटी लगभग सीजीएसटी प्लस एसजीएसटी के बराबर होगा। आईजीएसटी व्यवस्था इस तरह की गई है कि एक राज्य से दूसरे राज्य को इनपुट टैक्स क्रेडिट का प्रवाह अबाध रूप से हो। अंतर-राज्य विक्रेता अपनी खरीददारी पर आईजीएसटी, सीजीएसटी तथा एसजीएसटी क्रेडिट के समायोजन के बाद अपनी वस्तुओं की बिक्री पर केन्द्र सरकार को आईजीएसटी का भुगतान करेगा। निर्यातक राज्य आईजीएसटी भुगतान में प्रयुक्त एसजीएसटी का क्रेडिट केन्द्र को हस्तांतरित कर देगा। आयातक डीलर अपने राज्य में आउटपुट टैक्स दायित्व (दोनों सीजीएसटी और एसजीएसटी) पूरा करते हुए आईजीएसटी क्रेडिट का दावा करेगा। केन्द्र एसजीएसटी भुगतान में प्रयुक्त आईजीएसटी क्रेडिट आयातक राज्य को हस्तांतरित करेगा। जीएसटी एक गंतव्य आधारित टैक्स है इसलिए अंतिम उत्पाद पर सभी एसजीएसटी साधारतः उपभोक्ता राज्य को प्राप्त होगा।
जीएसटी लागू करने में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का उपयोग
देश में जीएसटी लागू करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों ने मिलकर वस्तु और सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) बनाया है। यह लाभ रहति गैर-सरकारी कंपनी के रूप में पंजीकृत है ताकि केन्द्र तथा राज्य सरकारों टैक्स देने वाले लोगों और अन्य हितधारकों के लिए साझा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अवसंरचना उपलब्ध कराई जा सके। जीएसटीएन का मुख्य उद्देश्य करदाताओं को मानक और एक समान इंटरफेस प्रदान करना है और केन्द्र तथा राज्य/केन्द्रशासित सरकारों के साथ अवसंरचना और सेवा साझा करना है।
जीएसटीएन साझा जीएसटी पोर्टल सहित व्यापक अत्याधुनिक आईटी अवसंरचना विकास का कार्य कर रही है। इससे पंजीकरण, रिटर्न तथा सभी करदाताओं को भुगतान और वैसे राज्यों के लिए बैंक एन्ड आईटी मॉड्यूल प्रदान करना है। इसमें रिटर्न प्रोसेसिंग, पंजीकरण, ऑडिट, एसेसमेंट, अपील शामिल हैं। जीएसटी के सफल प्रशासन के लिए सभी राज्य, लेखा-प्राधिकार, भारतीय रिजर्व बैंक तथा बैंक आईटी अवसंरचना तैयार कर रहे हैं।
कागज रूप में रिटर्न नहीं भरे जा सकेंगे। सभी टैक्स भुगतान ऑनलाइन होंगे। एक-दूसरे से नहीं मिलने वाले रिटर्न ऑटो-जेनरेट होंगे और मानवीय हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं होगी। अधिकतर रिटर्न सेल्फ एसेस होंगे।
जीएसटी के अंतर्गत आयात पर टैक्स
आयात पर अभी लगने वाला अतिरिक्त उत्पाद शुल्क या सीवीडी और विशेष अतिरिक्त शुल्क या एसएडी जीएसटी में समाहित हो जाएंगे। संविधान के अनुच्छेद 269ए (1) की व्याख्या के अनुसार भारत के भू-भाग में सभी प्रकार के आयात पर आईजीएसटी लगेगा। वर्तमान व्यवस्था से विभिन्न आयातित वस्तु का उपभोग करने वाले राज्य आयातित वस्तुओं पर आईजीएसटी भुगतान में से अधिक हिस्सा प्राप्त करेंगे।
संविधान (122वां संशोधन) विधेयक 2014 की प्रमुख विशेषताएं
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं-
जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित पंजीकरण प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं
जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित पंजीकरण प्रक्रियाओं की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार है:
जीएसटी के अंतर्गत रिटर्न फाइल करने की प्रस्तावित प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं
जीएसटी के अंतर्गत रिटर्न फाइल करने की प्रस्तावित प्रक्रियाओं की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैः
जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित भुगतान प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं
जीएसटी के अंतर्गत प्रस्तावित भुगतान प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैः
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