35 वें संशोधन अधिनियम के अनुसार स्पीकर /सभापति इस बात का अंतिम निर्णय लेगा कि सदस्य का त्यागपत्र स्वैच्छिक है या बलपूर्वक | यदि त्यागपत्र बलपूर्वक है तो अध्यक्ष /सभापति त्यागपत्र लेने से इंकार कर सकता है
सदस्यों की अयोग्यता एवं निरहर्ताएँ (Disqualification and Disqualification of Members)
संविधान के अनुच्छेद 102 के अनुसार निम्न निरहर्ताएँ हैं
- कोई लाभ का पद धारण करता है |
- दिवालिया घोषित होने पर |
- पागल हो जाए और उच्च न्यायालय इसकी घोषणा कर दे |
- विदेशी राज्य की नागरिकता ग्रहण करने पर |
- अनुच्छेद 102 (2) के अनुसार दसवीं सूची के आधार पर दल परिवर्तन करके 
अनुच्छेद 103 और विवाद अनुच्छेद 102 के अंतर्गत दलबदल को छोड़कर अन्य सभी मामलों में राष्ट्रपति आयोग से परामर्श करने के बाद निर्णय लेगा और उसका (राष्ट्रपति) निर्णय अंतिम होगा |
निर्वाचन संबंधी विवाद (Election dispute)
- संसद सदस्य के निर्वाचन मामले में अंतिम निर्णय संबंधी राज्य का उच्च न्यायालय करेगा |
- उच्च न्यायालय किसी भी निर्वाचन को शून्य घोषित कर सकता है, लेकिन राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति संबंधी अंतिम निर्णय सर्वोच्च न्यायालय लेता है |
संसद का सत्र (Session of parliament)
- दोनों सदनों को आहूत करने, सत्रावसान करने और लोकसभा का विघटन करने की शक्ति राष्ट्रपति को प्राप्त है |
- अनुच्छेद 85 (1) के अंतर्गत राष्ट्रपति दोनों सदनों को ऐसे अंतराल पर आहूत करेगा कि एक सत्र की अंतिम बैठक और उसके बाद के सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तारीख के बीच 6 माह से अधिक का अंतराल नहीं होगा|
संसदीय सत्र (Parliamentary session)
- सामान्यतः प्रतिवर्ष संसद के 3 सत्र या अधिवेशन होते हैं,यथा – बजट अधिवेशन (ग्रीष्मकालीन) (फरवरी-मई), वर्षाकालीन अधिवेशन (मानसून सत्र) (जुलाई-सितंबर) एवं शीतकालीन अधिवेशन (नवंबर-दिसंबर) |
- किंतु राज्यसभा के मामले में बजट अधिवेशन को दो अधिवेशनों में विभाजित कर दिया जाता है, इन दो अधिवेशनों के मध्य 3 से 4 सप्ताह का अवकाश होता है, इस प्रकार राज्यसभा के 1 वर्ष में 4 अधिवेशन होते हैं बजट सत्र सबसे लंबा तथा शीत कालीन सत्र सर्वाधिक छोटा सत्र होता है|
सत्र (The session)
- संसद के प्रथम अधिवेशन और उसका सत्रावसान अथवा विघटन के बीच की अवधि को सत्र कहा जाता है |
- दीर्घावकाश संसद के सत्रावसान होने और नए सत्र में उसके संबेत होने के बीच के समय को कहते हैं |
- संसद की बैठक विघटन, सत्रावसान, स्थगन द्वारा समाप्त की जा सकती है |
- लोकसभा का विघटन दो प्रकार से हो सकता है –
- 5 वर्ष की अवधि की समाप्ति पर,
- राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 85(2) के अधीन शक्ति के प्रयोग द्वारा |
संयुक्त बैठक (joint meeting)
- संविधान के अनुच्छेद 108 के अनुसार, राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदन राज्यसभा व लोकसभा की संयुक्त बैठक बुलाने का अधिकार है |
- यदि एक सदन द्वारा पारित किया विधेयक दूसरे सदन द्वारा अस्वीकार कर दिया जाए |
- विधेयक में किए जाने वाले संशोधनों के बारे में दोनों सदन अंतिम रूप से असहमत हो गए हो |
- दूसरे सदन को विधेयक प्राप्त होने की तारीख से उसके द्वारा विधेयक किए बिना 6 माह से अधिक बीत गए हो |
- इस प्रकार की संयुक्त बैठकों की अध्यक्षता लोकसभा के स्पीकर द्वारा की जाती है तथा सभी निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से लिए जाते हैं |
- संविधान के लागू होने से अभी तक केवल 3 बार 1961, 1978 एवं 2002 में संयुक्त अधिवेशन आहूत किया गया है |