201 इंसुलिन ग्लुकोज से ग्लाइकोजिन बनाने की क्रिया को नियंत्रित करता है |
202 इंसुलिन के अल्प स्रवण से मधुमेह नामक रोग होता है |
203 रूधिर मे ग्लूकोज की मात्रा बढना मधुमेह कहलाता है |
204 शरीर से हृदय की ओर रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी को ‘शिरा’ कहते हैं |
205 शिरा मे अशुद्ध रक्त अर्थात कार्बन डाई आक्साइड युक्त रक्त होता है | इसका अपवाद पल्मोरीन शिरा है |
206 पल्मोरीन शिरा फेफडे से बायें अलिंद मे रक्त को ले जाती है ,इसमे शुद्ध रक्त होता हैं |
207 हृदय से शरीर की ओर रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिनी को धमनी कहते हैं |धमनी मे शुद्ध रक्त अर्थात आक्सीजन युक्त रक्त होता है | इसका अपवाद पल्मोनरी धमनी है, पल्मोनरी धमनी दाहिने निलय से फेफडे मे रक्त पहुंचाती है ,इसमे अशुद्ध रक्त होता है |
208 हृदय के दायें भाग मे अशुद्ध रक्त तथा बायें भाग मे शुद्ध रक्त होता है |
209 शरीर से अशुद्ध रक्त दाया अलिंद से दाया निलय फिर फेफडे मे जाता है |
210 शुद्ध रक्त फेफडे से बायां अलिंद,बायां अलिंद से बायां निलय फिर शरीर मे प्रवेश करता है |
211 हृदय की मांसपेशियों को रक्त पहुंचाने वाली वाहिनी को कोरोनरी धमनी कहते हैं | इसी मे किसी प्रकार की रूकावट होने पर हृदयाघात होता है |
212 सामान्य अवस्था मे मनुष्य का हृदय एक मिनट मे 72 बार (भ्रूण अवस्था मे 150 बार) धडकता है तथा एक धडकन मे लगभग 70 मि.ली. रक्त पम्प करता है |
213 रूधिर मे उपस्थित कार्बन डाई आक्साइड रूधिर के PH को कम करके हृदय की गति को बढाता है, अर्थात अम्लीयता हृदय की गति को बढाती है तथा क्षारीयता हृदय की गति को कम करती है |
214 वृक्कों को रूधिर की आपूर्ति अन्य अंगों की तुलना मे बहुत अधिक होती है |
215 वृक्क का मुख्य कार्य उत्सर्जन करना होता है |
216 परजीवी जंतुओं को आहार पचाने की आवश्यकता नही होती क्योंकि वे पचा-पचाया भोजन अपने पोषक की आतों या अन्य स्थानों मे रहकर शोषित करते हैं | इस प्रकार के परजीवी का उदाहरण फीताकृमि है |
217 विटामिंस जटिल कार्बनिक पदार्थ होते हैं | इनकी थोडी सी मात्रा शरीर की उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित करती है
218 जल मे घुलनशील विटामिंस :B तथा C
219 वसा मे घुलनशील विटामिंस :A, D, E, K
220 विटामिनों का संश्लेषण हमारे शरीर की कोशिकाओं द्वारा नहीं हो सकता, इसकी पूर्ति विटामिंस युक्त भोजन से होती है | विटामिन D तथा K का संश्लेषण हमारे शरीर द्वारा होता है |
221 विटामिंस तथा इनकी कमी से होने वाले रोग :विटामिंस कमी से होने वाला रोग
विटामिन A रतौधी, संक्रमण रोगों का खतरा
विटामिन B1 बेरी-बेरी
विटामिन B2 त्वचा का फटना, आंख लाल होना, जीभ मे सूजन
विटामिन B3 बाल सफेद होना, मंद बुद्धि
विटामिन B6 रक्ताल्पता
विटामिन B7 लकवा, बालों का गिरना
विटामिन B12 एनीमिया, पीलिया
विटामिन C स्कर्वी, मसूडों का फूलना, भार मे कमी
विटामिन D रिकेट्स (बच्चों में), आस्टियोमलेशिया (वयस्कों में)
विटामिन E जनन शक्ति का कम होना
विटामिन K रक्त का थक्का न बनना |
222 फोलिक एसिड की कमी से एनीमिया रोग हो जाता है |
223 घेंघा रोग भोजन मे आयोडीन की कमी से होता है | इस रोग मे थाइरायड ग्रंथि के आकार मे वृद्धि हो जाती है |
224 कार्टेक्स के विकृत हो जाने पर उपापचयी प्रक्रमों में गडबडी उत्पन्न हो जाती है | इस रोग को एडीसन रोग कहते हैं |
225 कार्बोहाइड्रेट : कार्बन, हाइड्रोजन एवं आक्सीजन के 1:2:1 के अनुपात से मिलकर बने कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट कहलाते हैं | शरीर की ऊर्जा की आवश्यकता की 50 से 75 प्रतिशत मात्रा की पूर्ति इन्ही पदार्थों द्वारा की जाती है |
226 एक ग्राम ग्लूकोज के पूर्ण आक्सीकरण से 4.2 किलो कैलोरी ऊर्जा उत्पन्न होती है |
227 प्रोटीन शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक है | इसकी कमी से शारीरिक विकास रूक जाता है | बच्चों में इसकी कमी से क्वाशियोर्कर एवं मरस्मस रोग हो जाता है |
228 क्वाशियोर्कर रोग में बच्चों का हाथ-पांव दुबला-पतला हो जाता है एवं पेट बाहर की ओर निकल जाता है |
229 मरस्मस रोग मे बच्चों की मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं |
230 वसा सामान्यतया 20’C पर ठोस अवस्था मे होते हैं, परंतु यदि वे इस ताप पर द्रव अवस्था में हो तो उन्हे तेल कहते हैं
231 शरीर मे वसा का संश्लेषण माइटोकांड्रिया मे होता है |
232 वसा शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है तथा शरीर के विभिन्न अंगों को चोटों से बचाती है |वसा की कमी से त्वचा रूखी हो जाती है, वजन मे कमी आती है एवं शरीर का विकास रूक जाता है |
233 वसा की अधिकता से शरीर स्थूल हो जाता है, हृदय की बीमारी हो जाता है एवं रक्त चाप बढ जाता है |
234 कैल्सियम : यह विटामिन के साथ मिलकर हड्डियों एवं दांतों को मजबूती प्रदान करता है |
235 फास्फोरस : यह कैल्सियम से सम्बद्ध होकर दातों तथा हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है |
236 लौह : लोहा लाल रूधिर कणिकाओं में हीमोग्लोविन के बनने के लिए तथा ऊतक मे आक्सीकरण के लिए आवश्यक है
237 आयोडीन : यह थाइराइड ग्रंथि द्वारा स्रावित हार्मोन के संश्लेषण के लिए आवश्यक है |
238 गर्भवती स्त्रीयों के लिए प्राय: कैल्शियम और आयरन की आवश्यकता होती है |
239 दूध को संतुलित आहार नही माना जाता क्योंकि इसमे आयरन एवं विटामिन सी की कमी होती है |
240 खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए सोडियम बेंजोएट का प्रयोग किया जाता है |
241 विटामिन की खोज फंक ने किया |
242 लार मे मुख्य रूप से पाया जाने वाला एंजाइम टायलिन है |
243 लार का PH मान 6.5 होता है तथा प्रकृति अम्लीय होती है
244 दूध को फाडने या थक्का बनाने का कार्य रेनिन करता है |
245 रूधिर मे शर्करा की मात्रा को इंसुलिन नियंत्रित करता है |
246 मानव शरीर मे सामान्य रक्त दाब 120/80 होता है |
247 WBC का मुख्य कार्य शरीर को रोगों के संक्रमण से बचाना होता है |
248 RBC का मुख्य कार्य शरीर की हर कोशिका मे आक्सीजन को पहुंचाना होता है |
249 WBC का निर्माण तथा RBC का विनाश प्लीहा मे होता है |
250 लाल रक्त कणिकाओं का कब्रगाह प्लीहा को कहते हैं |
251 रक्त के शुद्धिकरण का कार्य फेफडा करता है |
252 शुद्ध जल का PH मान 7.0 तथा समुद्री जल का PH मान 8.4 और दूध का PH मान 6.4 होता है |
253 बैक्टिरिया की खोज ल्यूवेन हाक ने की |
254 शरीर का सबसे कठोर तत्व एनामिल (दातों के ऊपर) होता है |
255 आखों मे बाहर से पडने वाले प्रकाश को आइरिस नियंत्रित करता है |
256 शरीर मे कोलोस्ट्राल की अधिकता के कारण हृदयाघात होता है |
257 इंसुलिन की कमी से डायबिटिज रोग होता है |
258 हल्का कार्य करने वाले पुरूष को 2000कैलोरी, 8 घण्टा कार्य करने वाले पुरूष को 3000 कैलोरी एवं कठिन परिश्रम करने वाले पुरूष को 3600 कैलोरी भोजन की आवश्यकता होती है |
259 विषाणु (Virus) अथवा परजीवि (Protozoa) को सजीव एवं निर्जिव के बीच की कडी कहते है | विषाणु को महीन चूर्ण के रूप मे शीशी मे बंद करके असीमित समय तक रखा जा सकता है
260 विषाणु निर्जीव होते हैं | विषाणु कोशिकाओं मे द्विगुणन करते हैं |
261 विषाणु का संघटन RNA अथवा DNA तथा प्रोटीन से होता है |
262 स्वतंत्र विषाणु पोषण, श्वसन, वृद्धि एवं विखण्डन नही करते |
263 विषाणुओं द्वारा उत्पन्न होने वाले कुछ रोग हैं- जुकाम, इंफ्लुएंजा, खसरा, पोलियो, चेचक, पीलिया, एड्स, रेबीज, मलेरिया, पायरिया, पेचिश, काला-जार आदि |
264 तम्बाकू का मोजैक रोग विषाणु द्वारा होता है |
265 अब तक ज्ञात एक-कोशकीय जीवधारीयों मे जीवाणु (Bacteria) सरलतम जीवधारी है |
266 जैव पदार्थों का सडना तथा क्षय होना,प्रकृति मे जीवाणुओं का महत्वपूर्ण कार्य है |
267 कुछ विशेष प्रकार के जीवाणु दलहनी पौधों की जडों मे स्थित छोटी-छोटी गाठों मे पाये जाते हैं ,ये जीवाणु वायु से नाइट्रोजन ले कर उसे जल मे विलेय नाइट्रेट लवणों मे परिवर्तित कर देते हैं |
268 घरों मे दूध मे उपस्थित शर्करा को कैक्टिन एसिड मे बदल कर दही बनाने के लिए भी जीवाणुओं का उपयोग किया जाता है |
269 दूध का फटना, मक्खन से दुर्गंध आना, डिबा मे बंद या खुली सामाग्री का सडना, अचार, मुरब्बा आदि का खराब होना आदि जीवाणु जनित क्रियायें होती हैं |
270 नीबू का कैंकर रोग, आलू का स्कैब, सेब एवं नाशपाती की अंगमारी, तम्बाकू का विल्ट आदि जीवाणु जनित रोग हैं |
271 मनुष्यों मे होने वाले कुछ जीवाणु जनित रोग- क्षय, हैजा, डिप्थीरिया, टायफाइड, न्यूमोनिया, टिटनेस (धनु रोग), काली खांसी, सिफलिस आदि हैं |
272 कुछ प्रमुख रोग एवं उससे प्रभावित अंग :
रोग प्रभावित अंग
मलेरिया तिल्ली एवं RBC
डिप्थिरिया श्वास नली
जुकाम श्वसन मार्ग
काली खांसी श्वसन तंत्र
खसरा श्वसन मार्ग
क्षय रोग फेफडा
इंफ्लुएंजा श्वसन मार्ग
निमोनिया फेफडा
चेचक त्वचा,श्वसन मार्ग
सिफलिस शिश्न
पीलिया यकृत
पायरिया मसूढे
एड्स प्रतिरक्षा तंत्र
टायफाइड आंत
रेबीज केंद्रीय तंत्रिका तंत्र
पेचिस आंत
टिटनेस तंत्रिका तंत्र
हैजा आंत
पोलियो निगल द्वार,आंत,रीढ रज्जु
हेपेटाइटिस यकृत
273 फाइलेरिया रोग के कृमि का संचरण क्यूलेक्स मच्छरों के दंस से होता है | इस रोग मे पैरों, वृषण कोषों तथा शरीर के अन्य भागों मे सूजन हो जाती है | इसे हाथी पांव भी कहते हैं |
274 दमा एक संक्रामक रोग है |
275 एड्स HIV नामक वाइरस से फैलता है | AIDS= Acquired Immuno Deficienoy Syndrome .
276 डेंगू ज्वर मादा मच्छर के काटने से होता है |
277 चिकन गुनिया दुर्बल बनाने वाली गैर घातक बीमारी है | यह मच्छर के काटने से फैलता है | मनुष्य ही इसके वाइरस का मुख्य स्रोत है | मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटकर अन्य व्यक्ति को काटता है जिससे यह बीमारी फैलती है |
278 वर्णांधता तथा हीमोफिलिया से मुख्यत: पुरूष प्रभावित होते हैं | इन रोगों की वाहक स्त्रियां होती हैं |
279 पटाऊ सिंट्रोम के रोगी का ऊपर का होठ बीच से फट जाता है तथा तालु मे दरार हो जाती है |
280 बीमारियों से बचाव के लिए लगने वाले टीके :
बीमारी बी.सी.जी.
तपेदिक (क्षय या टी.बी.) रोग से बचाव के लिए ओ.पी.वी.
पोलियो से बचाव के लिए डी.टी.
टिटनेस और डिप्थीरिया से बचाव के लिए डी.पी.टी
टिटनेस और डिप्थीरिया से बचाव के लिए टी.टी
टिटनेस से बचाव के लिए, गर्भवती महिलाओं को |
281 भैंस के दूध में वसा की औसत मात्र 7.2 प्रतिशत होती है जबकि गाय की दूध में 3 प्रतिशत से 7 प्रतिशत वसा होती है।
282 अल्फा-किरेटिन एक प्रोटीन है जो मानव त्वचा के बाहरी परत में पाया जाता है।
283 विटामिन C घाव के जल्दी भरने में सहायक होता है।
284 प्लाज्मा प्रोटीन का संश्लेषण यकृत (लीवर) में होता है।
285 लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण अस्थिमज्जा (Bone marrow) में होता है।
286 जेरोफ्थाल्मिया (Xerophthalmia) तथा रतोंधी विटामिन A की कमी के कारण होते हैं।
287 पाचन के दौरान स्टार्च को माल्टोज में एमाईलेज नामक एन्जाइम बदलता है।
288 रक्त की अशुद्धियों को kidneys (वृक्क) छानकर अलग करती हैं।
289 मनुष्य के गुणसूत्रों की संख्या 46 (23 जोड़ी) होती है।
290 हेपेटाइटिस-B वायरस पीलिया (jaundice) रोग के लिए जिम्मेदार है।
291 पीलिया लीवर की बीमारी है।
292 ओरल रिहाईड्रेशन सलूशन (O. R. S.) का प्रयोग दस्त और डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण) होने पर किया जाता है।
293 इन्सुलिन अग्नाशय (pancreas) में बनता है जो रक्तशर्करा को पचाने में सहायक होता है।
294 इन्सुलिन की कमी से मधुमेह (डायबिटीज) नामक बीमारी होती है।
295 मानव भ्रूण का हृदय चौथे सप्ताह से धडकने लगता है।
296 दूध को पचाने के लिए आवश्यक एन्जाइम रेनिन और लैक्टोस मानव शरीर में 8 वर्ष की आयु में लुप्त हो जाते हैं।
297 विटामिन D को हार्मोन माना जाता है।
298 खुराक में प्रोटीन की अत्यधिक कमी से क्वशिओर्कोर (Kwashiorkor) बीमारी हो जाती है।
299 पशुओं में खुर एवं मुंह पका बीमारी वायरस के कारण होता है।
300 उत्परिवर्तन के द्वारा नयें जीवों की उत्पत्ति का सिद्धांत ह्यूगो डी व्रीज ने दिया।
जीव विज्ञान सामान्य ज्ञान 11