Categories: Uncategorized

Russia Ukraine War: खतरे में विदेशों से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों का भविष्य, ये नियम डालेंगे रोड़ा

यूक्रेन और चीन समेत विदेशों से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में फंसा हुआ है। अपनी जान बचाने के बाद उन्हें सबसे बड़ी चिंता सता रही है वह है अपना करियर और डिग्री बचाने की।  जहां एक ओर रूस और यूक्रेन में जारी जंग (Russia Ukraine War) के कारण यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे भारतीयों को स्वदेश लौटना पड़ रहा है। वहीं, चीन से दो साल पहले कोरोना महामारी के कारण भारत लौटे स्टूडेंट भी अभी तक वापस चीन नहीं लौट पाए हैं। इधर, रूस और यूक्रेन की जंग कब खत्म होगी? कब वहां पहले की तरह हालात सामान्य होंगे? कब ये भारतीय छात्र वापस यूक्रेन जाएंगे? तथा इनकी पढ़ाई दोबारा कब शुरू होगी? पढ़ाई में लंबा गैप आने के कारण क्या इनकी डिग्रियां बेकार हो जाएंगी? इन सब सवालों के बारे में अभी कोई भी जवाब देने की स्थिति में नहीं है।

 

ऐसे समझिए करियर पर संकट को

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई छह साल में पूरी होती है। इसके बाद स्टूडेंट्स को एक साल अनिवार्य इंटर्नशिप करनी पड़ती है। फिर भारत में प्रैक्टिस करने और लाइसेंस प्राप्त करने हेतु एफएमजीई यानी फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम (FMGE) के लिए पात्रता हेतु एक साल की सुपरवाइज्ड इंटर्नशिप भी करनी पड़ती है। इनके बाद
एफएमजी एग्जाम क्वालीफाई करना पड़ता है। इस एग्जाम को क्वालीफाई करने के लिए एमबीबीएस में दाखिले के बाद से अधिकतम
10 साल की समय-सीमा होती है। जो छात्र यूक्रेन से पढ़कर आते हैं उनके सात साल वहां पूरे हो चुके होते हैं। एक साल देश में इंटर्नशिप और एफएमजी के लिए कोचिंग या तैयारी भी करनी पड़ती है। तो आठ साल पूरे हो जाते हैं। फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम को क्वालीफाई करने के लिए स्टूडेंट्स को काफी तैयारी करनी पड़ती है। इसके लिए छात्रों के पास सिर्फ दो साल का समय बचता है। कई बार तो एफएमजीई को क्वालीफाई करने में दो से तीन साल भी लग जाते हैं।

 

 

 

फैडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया
के अध्यक्ष डॉ मनीष ने अमर उजाला डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि यूक्रेन से लौटे छात्रों के बारे में बात करें तो इनमें से कई छात्र प्रथम वर्ष के हैं तो कई द्वितीय
, तृतीय और चौथे वर्ष के तो कुछ अंतिम वर्ष के भी हैं। इन छात्रों की पढ़ाई में युद्ध को
लेकर जारी अनिश्चितता के कारण एक लंबा गैप आने की आशंका बनी हुई है। सरकार भी नियमों से बंधी हुई है। ऐसे में ये छात्र अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं
, क्योंकि लंबे समय तक वापस नहीं लौट पाने की वजह से इनकी पढ़ाई बाधित हो जाएगी और इनकी मेडिकल डिग्री पर भी खतरा मंडराएगा। वहीं, जो छात्र अंतिम वर्ष में है उन्हें चिंता सता रही है एफएमजी एग्जाम को क्वालीफाई कर पाने की समय-सीमा को लेकर। छात्रों के सामने चुनौती है कि इन्हें अपनी पढ़ाई खत्म करने और इंटर्नशिप करने के बाद एफएमजी एग्जाम को क्वालीफाई करने की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाएगा।

 

चीन से पढ़ रहे सैकड़ों छात्र भी
परेशान
:

 

उधर, कोरोना महामारी के कारण बीते दो सालों में भारत लौटे सैकड़ों छात्र अभी भी देश में ही फंसे हुए हैं। इनमें चीन, फिलीपींस समेत कई देशों से आए हुए मेडिकल छात्र शामिल है, जिन्हें संबंधित देश, वहां के विश्वविद्यालयों द्वारा अभी तक वापस नहीं बुलाया गया है। चीन जैसे कुछ देशों में तो अभी भी कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए यात्रा प्रतिबंध लागू कर रखे हैं और विदेश नागरिकों को चीनी वीजा जारी करने पर रोक लगी हुई है। ऐसे में सैकड़ों भारतीय छात्र जो चीन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे, वापस नहीं लौट सके। हालांकि, इनकी पढ़ाई ऑनलाइन माध्यम से जारी है, लेकिन भारत में मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में ऑनलाइन पढ़ाई को मान्यता नहीं दी गई है। नेशनल मेडिकल कमीशन ऑनलाइन पढ़ाई वाली मेडिकल डिग्रियों को मान्यता नहीं देता है। 

 

ऑनलाइन पढ़ाई वाली मेडिकल डिग्री मान्य नहीं :

 

नेशनल मेडिकल कमिशन के नियमानुसार, मेडिकल शिक्षा
क्षेत्र में सिर्फ वही डिग्री स्वीकार की जाती है जो पूर्णकालिक नियमित पाठ्यक्रम का हिस्सा है। ऑनलाइन की गई किसी भी प्रकार की पढ़ाई हो वाली डिग्रियां मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में स्वीकार नहीं की जाती। इसके अलावा यूरोपीय देशों की तर्ज पर क्रेडिट सिस्टम योजना लागू नहीं होने से किसी एक देश
, राज्य या एक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे छात्र किसी भी दूसरे देश, राज्य और विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले सकते हैं। इसके अलावा हमारे यहां भी इतनी मेडिकल सीटों की उपलब्धता नहीं है कि सरकार सभी छात्रों को भारत में पढ़ने की स्वीकृति दे सके। 

 

चीन से लौटे छात्रों का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन :

 

वहीं, चीन से लौटे छात्रों के एक समूह ने भी दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उनकी ऑनलाइन पढ़ाई को स्वीकार किया जाए। क्योंकि, सैकड़ों छात्र कोरोना वायरस के कारण भारत लौटे थे जो कि दोबारा चीन नहीं जा सके हैं। साथ ही उन छात्रों की अनिवार्य इंटर्नशिप चीनी अस्पतालों और विश्वविद्यालयों के अंतर्गत होनी थी जो कि नहीं हो पाई, इसलिए छात्र चाहते हैं कि उन्हें भारत में इंटर्नशिप पूरी करने का मौका दिया जाए। यह मामला अभी दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है। न्यायालय ने इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और नेशनल मेडिकल कमीशन समेत अन्य हितधारकों से जवाब मांगा है।

 

केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह बोले- सरकार आपके साथ है, मदद करेगी :

 

हालांकि, यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन गंगा के तहत पोलैंड में प्रधानमंत्री के विशेष दूत बनकर गए केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने भारतीय छात्रों को आश्वासन दिया है कि सरकार उनके साथ है और यथासंभव पूरी मदद करेगी

Please Share Via ....
Khusi Sharma

Recent Posts

मोबाइल का नशा Mobile ka nasha

Mobile ka nasha  मोबाइल का नशा के बारे में सुनिए डॉ दीक्षांत क्या कहते हैं?    …

1 year ago

Daily Current Affairs 15-03-2024 करंट अफेयर

❍ करंट अफेयर ⌲ 15-03-2023 1. ‘आसिफ अली जरदारी’ ने पाकिस्तान के 14वें राष्ट्रपति के रूप…

1 year ago

Daily Current Affairs 13-03-2024 करंट अफेयर

कर्रेंट अफेयर्स ➜ 13-03-2024 1. भारत के पहले स्वदेशी हरित हाइड्रोजन अंतर्देशीय जलमार्ग जहाज को किस…

1 year ago

Daily Current Affairs 08-02-2024 करंट अफेयर

❍ करंट अफेयर ⌲ 08-02-2023 1. नई दिल्ली में 4 दिवसीय ‘राष्‍ट्रीय आरोग्‍य मेला 2024’ संपन्न…

1 year ago

Daily Current Affairs 05-02-2024 करंट अफेयर

कर्रेंट अफेयर्स - 05 फरवरी ════════════════════════ 01. किसे देश के मिशन मून स्नाइपर ने चन्द्रमा…

1 year ago