क्षेत्रफल 898 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : 561293
जनसंख्या घनत्व: 625 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी.
लिंगानुपात : 873
साक्षरता दर: 83.44
गठन की तिथि 15 अगस्त 1995
मुख्य उद्योग : एचएमटी, पिंजौर
परिचय :
पंचकूला का गठन 15 अगस्त, 1995 को हरियाणा के 17वें जिले के रूप में किया गया। पंचकूला को पेरिस ऑफ हरियाणा भी कहते हैं। इस जिले के उत्तर और पूर्व में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण में अम्बाला और पश्चिम में चण्डीगढ़ व पंजाब लगते हैं।
- यहाँ घग्घर, सिरसा नदी और कौशल्या नदियाँ बहती हैं। मोरनी पहाड़ी यहाँ की सबसे ऊँची पहाड़ी है।
- यहाँ पंचकूला अर्बन स्टेट, एचएमटी, पिंजौर और सूरजपुर आए हैं। औद्योगिक क्षेत्र के रूप में उभरकर सामने
- पंचकूला स्थित मनसा देवी के मन्दिर में उत्तरी भारत के लोगों की काफी मान्यता है। यहाँ के दो मन्दिरों में से एक मन्दिर पटियाला रियासत के राजा करमसिंह ने 1861 ईस्वी में बनवाया था।
- पहले पिंजौर का नाम पंचपुरा था जो बाद में पिंजोर के नाम से जाना जाने लगा। पिंजौर मुगल बाग के लिए जाना जाता है जिसे 17वीं सदी में फिदा ए खान ने बनवाया था। आधुनिक काल में इस बाग को पटियाला के महाराजा यादविन्द्रसिंह की याद में ‘यादविन्द्र गार्डन’ के नाम से जाना जाता है। पंचकूला के अन्य पर्यटक स्थलों में मोरनी पहाडियाँ, कालका देवी मन्दिर आदि मशहूर हैं।
जवाहर नवोदय विद्यालय, मौली : सातवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान प्रत्येक जिले में औसतन एक नवोदय विद्यालय के रूप में आवासीय स्कूल खोलने का निर्णय तत्कालीन सरकार द्वारा लिया गया। जवाहर नवोदय विद्यालय, मौली की स्थापना सन् 1995 में हुई।
जैनेन्द्र जैन गुरुकुल : पंचकूला के सैक्टर एक में स्थित यह गुरुकुल आज भी अपने समृद्ध इतिहास की गवाही देता है। इस गुरुकुल की स्थापना 21 फरवरी, 1929 में स्वामी धनीराम व उनके शिष्य आचार्य कृष्णचन्द द्वारा की गयी।
हरियाणा राज्य परामर्श सोसाइटी, पंचकूला : हरियाणा राज्य सरकार ने सन् 2007 में हरियाणा राज्य परामर्श सोसाइटी की स्थापना की।
महत्वपूर्ण स्थल
मनसा देवी मन्दिर, पंचकूला : चण्डीगढ़ से लगभग नौ किमी दूर मनीमाजरा के निकट शिवालिक पहाडियों के प्रथम शिखर पर सुशोभित माता मनसा देवी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक मन्दिर है।
कालीमाता मन्दिर, कालका : पहाड़ी क्षेत्र कालका में कालका-शिमला मार्ग पर पहाड़ियों से घिरा काली माता मन्दिर लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है।
पिंजौर का यादवेन्द्र उद्यान : चण्डीगढ़-शिमला राजमार्ग पर अम्बाला से लगभग 70 और पंचकूला से 11 किमी दूर 40 एकड़ भू-खण्ड पर स्थित पिंजौर के यादवेन्द्र उद्यान को उत्तरी भारत का ‘नन्दन वन’ कहा जाता है।
मोरनी हिल्स : शिवालिक गिरिमाला में स्थित मोरनी नाम का पहाड़ी क्षेत्र एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
कालका : अम्बाला शिमला नेशनल हाइवे पर पंचकूला से लगभग 15 किमी दूर उत्तर-पूर्व में स्थित कालका हरियाणा का इस दिशा मे अन्तिम कस्बा है। यहाँ काली देवी का एक प्राचीन मन्दिर है, इसी की वजह से पहले इसे कालिका गाँव के नाम से पुकारा जाता था जो कालान्तर में बदलकर कालका हो गया।
पिंजौर : महाभारत काल में राजा विराट की राजधानी रह चुके पिंजौर को कभी विराट नगर के नाम से भी जाना जाता था। इसे 360 बावड़ियों वाला कस्बा भी कहा जाता है।
- पिंजौर और कालका के बीच शिवालिक की पहाड़ियों में खुदाई से आदिमानव द्वारा करीब एक लाख साल पहले प्रयुक्त किये गये पत्थर के औजार पाए गए, जिन्हें अभी भी सुरक्षित रखा गया है।
- आज का पिंजौर ही महाभारतकालीन पंचपुर का अपभ्रंश है।
हरियाणा के ऐतिहासिक कस्बे हाँसी से प्राप्त पृथ्वीराज चौहान के एक शिलालेख में भी पिंजौर को पंचपुर के नाम से सम्बोधित किया गया है।
इतिहासकार मिहाजपस सराज ने अपने ‘तदकाते नासिरी’ नामक ग्रन्थ में लिखा है कि नसीरुद्दीन महमूद ने पिंजोर को सिरमौर के शासक से छीनकर यहाँ के मंदिरों और प्राचीन जलकुंडों को बड़ी बेरहमी से रौंद डाला था। बाद में पिंजौर ने तैमूरलंग और चंगेजखों के आक्रमणों को भी झेला ।
- चंडीगढ़ मोहाली और पंचकूला को ट्राई सिटी – कहा जाता है।
- मोरनी की पहाड़ियां हरड़ उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं तथा मोरनी हरियाणा का एकमात्र स्थल है। मोरनी की पहाड़ियों में वर्ल्ड हर्बल फोरेस्ट की स्थापना की जा रही है।