क्षेत्रफल: 1574 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : 1128350
जनसंख्या घनत्व: 717 व्यक्ति प्रतिवर्ग किमी.
लिंगानुपात: 885
साक्षरता दर : 82.89
गठन की तिथि: 1 नवंबर, 1966
मुख्य उद्योग : मिक्सी तथा वैज्ञानिक उपकरण
परिचय :
- इसे मिक्सी सीटी कहते हैं। कहा जाता है कि इस नगर की स्थापना 14वीं शताब्दी में अम्बा राजपूत द्वारा की गई थी जिससे इसका नाम अम्बाला पड़ा। एक अन्य अवधारणा है कि इस नगर का नाम अम्बा (भवानीदेवी) के नाम पर पड़ा जिनका मन्दिर नगर में अब भी स्थित है।
- अम्बाला एक ऐतिहासिक नगर है । ऐतिहासिक तथ्यों से पता चलता है कि अम्बाला को आर्यों ने अपनी राजधानी बनाया था।
- सन् 1842 में अम्बाला को शिमला के अधीन किया गया था। सन् 1843 में करनाल से यहाँ छावनी लाई गयी थी। वॉयसरॉय लॉर्ड केनिंग ने जनवरी 1860 में यहाँ दरबार लगया तब यहाँ डाक की सुविधा शुरू हुई
थी। दिल्ली और ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला के रास्ते में होने के कारण सन् 1880 में अम्बाला को रेलवे लाइन से जोड़ा गया था।
- जिले के रूप में अम्बाला का गठन अंग्रेजों के शासनकाल में सन् 1847 में हुआ था।
- अम्बाला के दक्षिण में कुरुक्षेत्र जिला है जबकि पूर्व में यमुनानगर और पश्चिम में पंजाब का पटियाला जिला स्थित है। उत्तर में अरावली की पहाड़ियाँ और पंचकूला जिला विद्यमान है। यह जिला राज्य तथा देश की राजधानी से राष्ट्रीय राजमार्ग-1 (जी. टी रोड) से जुड़ा हुआ है।
- मिक्सी उद्योग और वैज्ञानिक उपकरण उद्योग के बल पर भारत ही नहीं बल्कि विश्व में अम्बाला का एक विशिष्ट स्थान है। अम्बाला मिक्सी-कम- ग्राईंडर, वैज्ञानिक उपकरण, गैस-स्टोव, हस्तनिर्मित दरियाँ तथा इंजीनियरिंग सम्बन्धी उपकरणों का बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए एक औद्योगिक नगर के रूप में जाना। जाता है। अकेले इस जिले की लघु औद्योगिक इकाईयों द्वारा देश के वैज्ञानिक उपकरणों के निर्यात में 20 प्रतिशत का हिस्सा है। दूसरे विश्वयुद्ध के पूर्व से ही यहाँ का शीशा उद्योग प्रसिद्ध है।
- अप्रतिम सिने गायिका जोहराबाई अम्बालावाली का सम्बन्ध अम्बाला शहर से ही था।
- अंग्रेजी शासनकाल में अम्बाला छावनी को 1843 ईस्वी में ब्रिटिश सैनिक छावनी के रूप में आबाद कर विकसित किया गया था। सन् 1857 में इस छावनी में में तैनात हिन्दुस्तानी सैनिकों ने 10 मई को ही यानी उसी दिन मेरठ में बगावत हुई थी, विद्रोह का झण्डा बुलन्द कर दिया था।
अम्बाला कैंट उत्तरी भारत का सबसे बड़ा रेल जंक्शन है। किसी जमाने में अम्बाला में फुटबाल का बडा बोलबाला था।
- अम्बाला की प्रमुख नदियाँ मारकण्डा, टांगरी व घग्घर है।
महर्षि मारकण्डेश्वर विश्वविद्यालय, मुलाना : महर्षि मारकण्डेश्वर एजुकेशन ट्रस्ट की स्थापना तरसेमकुमार गर्ग के प्रयासों से सन् 1993 में हुई। उक्त ट्रस्ट द्वारा सन 1995 में एम एम इंजीनियरिंग कॉलेज प्रारम्भ किया गया। वर्ष 2007 में इस संस्थान ने महर्षि मारकण्डेश्वर विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त किया। यह हरियाणा का प्रथम स्वपोषित विश्वविद्यालय है।
अम्बाला के दर्शनीय स्थल
गुरुद्वारा लखनौर साहिब : अम्बाला-बड़ौला मार्ग पर जिला मुख्यालय से तेरह किमी दूर स्थित गांव लखनौर साहिब धार्मिक महत्त्व रखता है। सिक्खों के दसवें गुरु गोविन्दसिंह जी की माता का जन्म स्थान होने के कारण इस गाँव को गुरु गोविन्द सिंह जी का ननिहाल होने का गौरव प्राप्त है। लखनौर साहिब का प्राचीन नाम लखनावती’, ‘लखनपुर और लखनौती इत्यादि रूप में दर्ज है।
अम्बिका देवी मन्दिर : अम्बाला शहर के मन्दिरों में अम्बिकादेवी मन्दिर का ऐतिहासिक महत्त्व है। मान्यता है कि द्वापर आ में कौरवों और पाण्डवों के समय अम्बा, अम्बालिका और अम्बिका की याद में माँ भवानी का यह मन्दिर बनाया गया था।
माँ दुखभंजनी मन्दिर : अम्बाला शहर के पश्चिम में स्थित महाकाली माँ दुखभंजनी मन्दिर जल से घिरा हुआ है। इस मन्दिर को दूर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे यह पानी पर तैर रहा हो।
दरगाह नौगजा पीर : अम्बाला शाहबाद मार्ग पर अम्बाला से बाहर किमी दूर स्थित बाबा नौगजा पीर की दरगाह एक दर्शनीय स्थल है।
गुरुद्वारा गोविंदपुरा साहिब : यह एस.ए. जैन कॉलेज मार्ग पर स्थित एक नव्य गुरुद्वारा है जो दसवें सिक्ख गुरु श्री गोविन्द सिंह के सम्मान में निर्मित किया गया था।
गुरुद्वारा मंजी साहिब : सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्द बादशाह जहाँगीर से मिलने जाते हुए अम्बाला में जिस स्थान पर विश्राम हेतु रुके थे, उसी स्थान पर यह गुरुद्वारा बना हुआ है।
सेंट पाल चर्च : इस चर्च का निर्माण जनवरी 1857 में हुआ था जो भारत-पाक युद्ध के दौरान 1965 में नष्ट हो
गया था।
किंग फिशर : दिल्ली-अम्बाला-अमृतसर हाइवे (राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 1) पर स्थित किंग फिशर एक आकर्षक और सुन्दर पर्यटन स्थल है।
हरियोली : हरियोली ऋषि मारकण्डेय के मन्दिर के लिए विख्यात है।
क्षेत्रीय अभिलेखागार, अम्बाला मण्डल : इसकी स्थापना 1 अप्रैल 1986 को हुई। यह अम्बाला शहर में पुरानी ट्रेजरी रोड़ पर स्थित है।
- डॉ० जयप्रकाश गुप्ता राष्ट्रभाषा विचार मंच के संस्थापक अम्बाला के ही हैं।
- नारायणगढ़ : इस कस्बे को सिरमौर (हिमाचल प्रदेश) के राजा लक्ष्मीनारायण ने बसाया था। मुगल साम्राज्य के पतन के पश्चात सिरमौर के राजा ने कुलसन में एक किला बनवाया और इसका नाम नारायणगढ़ रखा। इस कारण इस कस्बे का नाम नारायणगढ़ प्रचलित हो गया।
बबियाल : बबियाल जिला अम्बाला का एक छोटा गाँवनुमा कस्बा है। वैज्ञानिक उपकरणों के निर्माण और निर्यात में इस कस्बे की उल्लेखनीय भूमिका है।