छावनी के जसवंत मैदान में 7वें सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस समारोह मनाया जा रहा है । यहाँ वे सोल ऑफ स्टील एल्पाइन चैलेंज की कार यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। यह अभियान देहरादून से शुरू होकर नीति घाटी में स्थित घमशाली में संपन्न होगा। रक्षा मंत्री सशस्त्र बलों के सर्वोच्च बलिदान और उनकी अतुल्य सेवा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए शौर्य स्थल भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
सैन्य बल हमारे सुरक्षित जीवन का एक महत्वपूर्ण आधार है। यह प्रत्येक देशवासी की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। भारतवर्ष में हर साल 14 जनवरी को सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस (Armed Forces Veterans’ Day) मनाया जाता है। इस दिवस को 2017 से मनाया जा रहा है। पहले इस दिवस को युद्धविराम दिवस कहा जाता था। हमारे बहादुर सेना नायकों और पूर्व सैनिकों की राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा और बलिदान के सम्मान में पूर्व सैनिक दिवस (वेटरन्स डे) मनाया जाता है। पहले इसे आर्मिस्टिस डे कहा जाता था। भारत के इतिहास में इन तीनों सेनाओं के सैनिकों ने भारत के लिए अनगिनत त्याग और बलिदान दिए है। सेना में जो सेवामुक्त हो चुके हैं, उन्हें वेटेरन कहा जाता है। वेटेरन का योगदान भी देश के लिए महत्वपूर्ण रहा है। ऐसे में हर साल उनके योगदान को सहारने के लिए इस दिवस का आयोजन होता रहा है।
सातवां सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस
राष्ट्र आज सातवां सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस मना रहा है। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। यह कार्यक्रम देश के 9 स्थानों झुंझुनू, जालंधर, पानागढ़, नई दिल्ली, देहरादून, चेन्नई, चंडीगढ़, भुवनेश्वर और मुंबई में आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में कार्यक्रम का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है।
प्रथम कमांडर इन चीफ का सेवानिवृत्त दिवस
प्रतिवर्ष 14 जनवरी को सशस्त्र बल भूतपूर्व सैनिक दिवस मनाने का कारण यह है कि सन 1953 में आज ही के दिन भारतीय सशस्त्र बल के पहले कमांडर-इन-चीफ फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा सेवानिवृत्त हुए थे।
थल सेना दिवस
भारत में अगले दिन ही 15 जनवरी को थल सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के अवसर देश की रक्षा में कार्यरत्त तथा शहीद बहादुर जवानों के योगदान के प्रति सम्मान व्यक्ति किया जाता है। फील्ड मार्शल के.सी. करियप्पा ने 15 जनवरी, 1949 को जनरल सर फ्रांसिस बुचर (भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ) से भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ का कार्यभार ग्रहण किया था।
भारतीय थल सेना
ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार के अंतर्गत सैन्य विभाग में 1776 में भारतीय थल सेना की बनी। भारतीय सेना का आदर्श वाक्य “स्वपूर्व सेवा” है। भारतीय थल सेना बाहरी तथा अन्तरिक्ष खतरों से देश और देशवासियों की रक्षा करती है तथा देश की सीमा सुरक्षित रखते हुए देश में शांति सुनिश्चित करती है। भारतीय थल सेना में 12 लाख से अधिक सैनिक कार्यरत्त हैं।
Post Views: 832