- संविधान के अनुच्छेद 76 में महान्यायवादी पद सृजित किया गया है।
- भारत का महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार तथा भारतीय उच्चतम न्यायालय में सरकार का प्रमुख वकील होता है।
- भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती कार्यकाल है।
- जो व्यक्ति उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता रखता है, ऐसे किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति महान्यायवादी के पद पर नियुक्त कर सकते हैं।
- देश के महान्यायवादी का कर्त्तव्य कानूनी मामलों में केन्द्र सरकार को सलाह देना और कानून के प्रति उन जिम्मेदारियों को निभाना है, जो राष्ट्रपति को ओर से उनके पास भेजे जाते हैं।
- इसके अतिरिक्त संविधान और किसी अन्य कानून के अन्तर्गत उसका जो काम निर्धारित है, उनका भी पालन उन्हें पूरा करना होता है।
- अपने कर्तव्य के निर्वहन के दौरान उन्हें देश के किसी भी न्यायालय में उपस्थित होने का अधिकार है। महान्यायवादी को संसद की कार्यवाही में भी भाग लेने का अधिकार है, हालांकि उनके पास मतदान का अधिकार नहीं होता। महान्यायवादी के कामकाज में सहायता के लिए सॉलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल होते हैं।
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राज्य का महाधिवक्ता - अनुच्छेद 165 में राज्य के महाधिवक्ता की व्यवस्था की गई है। वह राज्य का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी होता है।
- महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा होती है। राज्यपाल ऐसे व्यक्ति को महाधिवक्ता नियुक्त करता है, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की योग्यता हो।
- वह राज्य सरकार को विधि सम्बन्धी सलाह देता है, जो राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गये हों। विधिक स्वरूप से ऐसे कर्तव्यों का पालन करता है, जो राज्यपाल द्वारा सौंपे गये हों |
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