- संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 में भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की व्यवस्था की गई है इसे सार्वजनिक धन का संरक्षक कहा जाता है।
- भारत का एक नियंत्रक-महालेखा परीक्षक को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करता है। उसे उसके पद से केवल उसी रीति और आधारों पर हटाया जायेगा, जिस रीति और आधारों पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।
- जिसे भारत का नियंत्रक-महालेखा परीक्षक नियुक्त किया जाता है, अपना पद ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिये गये प्रारूप के अनुसार शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।
- इसकी पदावधि 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो पहले हो) तक की होती है।
- नियंत्रक-महालेखा परीक्षक अपने पद की समाप्ति पश्चात भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन किसी और पद का पात्र नहीं होता।
- नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के कार्यालय के प्रशासनिक व्यय, जिनके अंतर्गत उस कार्यालय में सेवा करने वाले व्यक्तियों को या उनके सम्बन्ध में संदेय सभी वेतन, भत्ते और पेंशन हैं, भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।
यह भी पढ़ें भारत के महान्यायवादी
नियंत्रक-महालेखा परीक्षक के कर्त्तव्य और शक्तियाँ
- नियंत्रक-महालेखा परीक्षक संघ के और राज्यों के तथा किसी अन्य प्राधिकारी या निकाय के लेखाओं के सम्बन्ध में ऐसे कर्त्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा, जिन्हें संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन विहित किया जाये।
वह संघ और राज्यों के लेखाओं के सम्बन्ध में ऐसे कर्त्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा, जो इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहले क्रमशः भारत डोमिनियन के और प्रांतों के लेखाओं के सम्बन्ध में भारत के महालेखा परीक्षक को प्रदत्त थीं या उसके द्वारा प्रयोक्तव्य थीं।
Ø नियन्त्रक महालेखा परीक्षक एवं कार्यकाल
वी. नरहरि राव – 1949-54
ए.के. चन्दा – 1954-60
ए.के. राय – 1960-66
एस. रंगनाथन – 1966-72
ए. बक्षी – 1972-78
गियान प्रकाश – 1978-84
टी.एन. चतुर्वेदी – 1984-90
सी. जी. सोमियाह – 1990-96
वी.के. शुंगलू – 1996-2002
वी.एन. कौल – 2008-08
विनोद राय – 2008-13
शशिकान्त शर्मा – 2013…..
Post Views: 1,714